हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चौरी-चौरा कांड: आखिर प्रदर्शनकारियों को क्यों फूंका था पुलिस स्टेशन?

चौरी-चौरा कांड: आखिर प्रदर्शनकारियों को क्यों फूंका था पुलिस स्टेशन?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, विशेष, सामाजिक
0

महात्मा गांधी ने सितम्बर 1920 से फरवरी 1922 तक असहयोग आंदोलन चलाया था इस आंदोलन को पूरे देश से सहयोग मिला था और इस असहयोग आंदोलन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा भी मिली थी लेकिन इसी असहयोग आंदोलन के दौरान एक ऐसी घटना घटी थी जिससे गांधी जी बहुत दुखी हुए थे। 4 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले एक बड़े प्रदर्शनकारी दल की पुलिस से झड़प हो गयी थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई जिससे कुछ प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी और कुछ बुरी तरह से घायल हो गये। इस घटना के बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन को आग लगा दिया जिसमें 3 नागरिकों और करीब 23 पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी। यह घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुई थी जिसके कारण इस घटना का नाम चौरी-चौरा कांड पड़ा।

चौरी-चौरा घटना के समय भारत में ब्रिटिश शासन था और लोग देश को स्वतंत्र कराने की कोशिश में लगे हुए थे और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन भी इसलिए ही शुरु किया था। गांधी जी विदेशी कपड़ो और अंग्रेजी पढ़ाई का बहिष्कार करने की अपील कर रहे थे और सभी से चरखा चलाकर कपड़ा बुनने को कह रहे थे। असहयोग आंदोलन को पूरे देश से समर्थन भी मिल रहा था लेकिन 4 फरवरी को जब आंदोलनकारी चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन के बाहर से गुजर रहे थे तभी पुलिस से उनकी बहस हो गयी जिस पर पुलिस ने फायरिंग शुरु कर दी। देखते ही देखते 11 आंदोलनकारी मौके पर ही ढेर हो गये जबकि सैकड़ो बुरी तरह से घायल हो गये लेकिन पुलिस की गोली जैसे ही खत्म हुई भीड़ पागलों की तरफ पुलिस स्टेशन पर टूट पड़ी और पुलिस को स्टेशन को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान जो भी पुलिसकर्मी बाहर आने की कोशिश करता भीड़ उसे वापस आग में फेंक देती। भीड़ ने चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन को श्मशान बना दिया जिसमें करीब 23 लोगों की जिंदा चिता जलायी गयी।
हिंसा के खिलाफ रहने वाले महात्मा गांधी इस घटना से बहुत आहत हुए और उन्होने चौरी-चौरा कांड के बाद 12 फरवरी 1922 को यह आदोंलन खत्म कर दिया। देश के क्रांतिकारियों को गांधी जी का यह फैसला उचित नहीं लगा क्योंकि वह चौरी-चौरा कांड से खुश थे। क्रांतिकारियों का कहना था कि हमने वही किया जो एक देश प्रेमी को करना चाहिए था। चौरी-चौरा कांड से पहले पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बुरी तरह से पीटा था जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए थे जिससे बाद गुस्साए लोगों ने पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया।
उधर इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी जोरों पर होने लगी पुलिस को जिस पर शक होता उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता। पुलिस ने इस मामले में करीब 200 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। सभी को गोरखपुर जिला कोर्ट में पेश किया गया जहां सुनवाई के बाद अदालत ने 172 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जबकि दो लोगों को कारावास और 47 को जमात दे दिया। लेकिन इन सभी की वकालत कर रहे पंडित मदन मोहन मालवीय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 30 अप्रैल 1923 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने 19 को फांसी, 16 लोगों को काला पानी, बाकी लोगों को कारावास की सजा सुनाई और 38 लोगों को रिहा कर दिया।
मालवीय की यह मेहनत रंग लाई और उन्होने करीब 151 लोगों को मौत के मुंह से बचा लिया। कहा जाता है कि यह मालवीय की एक बड़ी जीत थी लेकिन यह जीत गांधी जी को पसंद नहीं आयी क्योंकि उनका मानना था कि देश को हिंसा के बल पर कभी भी आजाद नहीं करवाया जा सकता है जबकि क्रांतिकारी यह मानते थे कि अंग्रेजों को चरखे की भाषा समझ नहीं आती इसलिए उन्हे मुहतोड़ जवाब देना होगा।
देश की आजादी में भी दो तरह के लोग थे एक गरम दल था और एक नरम दल। गांधी जी के नेतृत्व में जो लोग काम कर रहे थे वह अहिंसावादी थे और बिना किसी खून खराबे के वह देश को आजाद कराना चाहते थे जबकि क्रांतिकारियों में गरम दल के लोग शामिल थे जो अंग्रेजो को उनकी ही भाषा में जवाब देना जानते थे हालांकि यह अलग बात है कि गांधी जी को क्रांतिकारियों के काम करने का तरीका पसंद नहीं आता था। 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

हिंदी विवेक

Next Post
समाज जागरण एवं एकत्रीकरण अभियान

समाज जागरण एवं एकत्रीकरण अभियान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0