हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
बर्ड फ्लू सतर्कता जरुरी

बर्ड फ्लू सतर्कता जरुरी

by अनुपमा गोरे
in फरवरी-२०२१, सामाजिक, स्वास्थ्य
0

भारत में आए बर्ड फ्लू का विषाणु न जाने भविष्य में किस करवट बैठे और कितने सालों के बाद अपने पंख फिर से फैला दे, यह कोई नहीं बता सकता। इस बार तो इस महामारी ने केवल मुर्गे-मुर्गियों को ही अपनी चपेट में लिया है मगर हो सकता है कि बर्ड फ्लू की भावी पीढ़ी का विषाणु मानवहंता साबित हो।

कोरोना संकट से अभी हम ठीक से उबर भी नहीं पाए हैं कि देश में बर्ड फ्लू की दस्तक ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। बर्ड फ्लू के बारे में आप जरुर जानते होंगे। दुनिया के अलग-अलग देशों में यह वायरस अपना प्रकोप उत्पन्न करता रहा है। पिछले दो दशकों की बात करें तो 1997 में हांग कांग के बर्ड फ्लू के बाद 2005 में इसने दस्तक दी थी। 2005 में दुनिया के अनेक देश जैसे कि मंगोलिया, साइबेरिया, कजाकिस्तान, टर्की, क्रोशिया, रोमानिया, ग्रीस, यूक्रेन सहित भारत भी इसकी चपेट में आये थे। भारत में गनीमत है कि महाराष्ट्र ही इस फ्लू से प्रभावित हुआ था मगर पूरा देश इसे लेकर अलर्ट हो गया था।

वर्तमान 2021 का बर्ड फ्लू बहुत थोड़े समय के अंतराल में देश के कई राज्यों में अपने पांव पसार चुका है। विषाणु वैज्ञानिकों का मत है कि बर्ड फ्लू का वायरस कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा घातक है क्योंकि इससे संक्रमित मनुष्यों की लगभग आधी आबादी की जान खतरे में पड़ जाती है। वहीं कोरोना से मरने वालों का प्रतिशत महज 2 से 3 प्रतिशत होता है।

देश के अनेक राज्यों में पक्षियों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित विभाग और एजेंसियों को अलर्ट जारी कर दिया है। इस एवियन इंफ्लुएंजा वायरस से देश में हजारों पक्षियों की मौत हो चुकी है और कुछ स्थानों पर प्रवासी पक्षियों में भी इस फ्लू का संक्रमण देखने को मिला है। अभी तक भारत के गुजरात, राजस्थान केरल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, और हरियाणा में बर्ड फ्लू के मामले संज्ञान में आये हैं

वैज्ञानिक आगाह करते हैं कि यदि किसी इलाके में पशुओं को फ्लू हो जाए तो वह मनुष्यों में भी फैल सकता है। 1947 में सोवियत फ्लू फैला और फिर गायब हो गया। लेकिन उसके 30 साल बाद 1976 में इसी फ्लू का विषाणु फ्रांस के सूअरों में पाया गया। इन सूअरों से फ्लू के विषाणु अमरीका की एक सैनिक छावनी में पहुंच गए और हजारों सैनिक फ्लू से पीड़ित हो गए। अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड ने अमरीकी नागरिकों को सूअर फ्लू का टीका लगवाया। भारत में आए बर्ड फ्लू का विषाणु न जाने भविष्य में किस करवट बैठे और कितने सालों के बाद अपने पंख फिर से फैला दे, यह कोई नहीं बता सकता। इस बार तो इस महामारी ने केवल मुर्गे-मुर्गियों को ही अपनी चपेट में लिया है मगर हो सकता है कि बर्ड फ्लू की भावी पीढ़ी का विषाणु मानवहंता साबित हो। इसलिए आवश्यक है कि अमरीका से सबक लेकर भारतीय नागरिकों को भी बर्ड फ्लू के टीके लगा दिए जाएं।

बर्ड फ्लू के रोग लक्षण और उपचार

बर्ड फ्लू में जुखाम-खांसी के अलावा निमोनिया के लक्षण भी प्रकट होते है। उचित इलाज नहीं किया गया तो शरीर के अंग जवाब देने लगते हैं। अक्सर देखने में आया है कि ग्रामीण इलाकों या झुग्गी-झोपड़ियों या घर के भीतर मुर्गी पालने वाले गरीब लोगों को ही बर्ड फ्लू का संक्रमण होता है। संक्रमित पक्षियों की बीट या लार के संपर्क में आने पर इसका संक्रमण हो जाता है।
बर्ड फ्लू का वायरस पक्षियों से होता हुआ इंसानों में भी पहुंच जाता है और यह खतरा अक्सर पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले कर्मचारियों और पक्षियों के मांस का व्यवसाय करने वाले लोगों को होता है। संक्रमित पक्षी का अधपका मांस खाने पर भी बर्ड फ्लू वायरस इंसानों में प्रवेश कर सकता है। इसलिए बचाव का बेहतर उपाय यही होता है कि अंडे या पक्षियों के मांस से परहेज करें या अगर खाना हो तो स्वस्थ पक्षी का अच्छी तरह से पका हुआ मांस ही खाएं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मत है कि पक्षियों से इंसानों में बर्ड फ्लू के प्रसार की संभावना सीमित होती है। पक्षियों के गहन संपर्क में रहने वाले मनुष्यों को ही इसका खतरा रहता है। इसलिए सबसे ज्यादा सावधानी पोल्ट्री फार्म और पक्षी व्यवसाय के लोगों को रखने की आवश्यकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार बर्ड फ्लू से संक्रमित किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण की आशंका लगभग नहीं के बराबर होती है और ऐसे मामलों की पुष्टि नहीं हुई है।

बर्ड फ्लू से बचाव और इलाज

मनुष्यों में बर्ड फ्लू के इलाज के लिए सामान्य फ्लू से संबंधित एंटीवायरल दवाओं का प्रयोग किया जाता है। अगर घर में कोई एक व्यक्ति संक्रमित हो जाए तो परिवार के बाकी सदस्यों को भी ये दवाएं लेना जरूरी होता है भले उनमें इसके कोई लक्षण न हों।

मनुष्य में बर्ड फ्लू का संक्रमण होने के 48 घंटे के भीतर इसकी दवाएं खानी होती हैं। टामीफ्लू या रेलेंजा नामक दवाएं इसमें असरदार होती हैं। चीन, जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया में उगने वाले ’स्टार अनिस’ नामक पौधे के बीजों से टामीफ्लू दवा बनाई जाती है। अनेक देश बर्ड फ्लू से बचाव के लिए इसके टीके का विकास करने में जुटे हुए हैं। लेकिन अब तक अधिकांश टीकों पर परीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि निकट भविष्य में ये टीके बर्ड फ्लू से मुकाबले के लिए तैयार हो जाएंगे। फिलहाल इस बर्ड फ्लू से बचाव के लिए जागरुकता और सतर्कता सबसे जरूरी है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinesubject

अनुपमा गोरे

Next Post
किसान-आंदोलन की आड़ में राष्ट्र की एकता, अखंडता, संप्रभुता से खिलवाड़

किसान-आंदोलन की आड़ में राष्ट्र की एकता, अखंडता, संप्रभुता से खिलवाड़

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0