उत्तर-दक्षिण के बीच दरार बढ़ाती कांग्रेस!

अगले कुछ महीने में पश्चिम बंगाल और असम सहित चार राज्यों में चुनाव होने वाले है। सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपना अपना प्रचार भी शुरु कर चुकी है किसी की रथ यात्रा निकल रही है तो कोई मछलियाँ पकड़ रहा है जी हां हम बात कर रहे है राहुल गांधी की जो पार्टी प्रचार के लिए दक्षिण मुंबई का रुख कर चुके है और वहां आम लोगों के साथ डांस से लेकर मछली पकड़ने का काम कर रहे है। राहुल गांधी वायनाड सीट से सांसद है और उनका अपने संसदीय क्षेत्र में जाना और लोगों से मिलना एक अच्छी बात है लेकिन इस दौरान उन्होने उत्तर भारतीयों की उपेक्षा की यह गलत की जो कि गलत है।

राहुल गांधी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर भारत से वह 15 साल तक सांसद थे लेकिन उन्हे यहां अलग राजनीति देखने को मिली थी। उत्तर भारत में लोग मुद्दों से हट कर राजनीति करते है जबकि वायनाड सहित दक्षिण भारत में लोग मुद्दों की राजनीति करते है। राहुल गांधी ने यह बयान चाहे जिस भी वजह दे दिया हो लेकिन उनके इस बयान से अमेठी की जनता सबसे ज्यादा दुखी होगी क्योंकि अमेठी की जनता ने राहुल गांधी पर 15 साल तक विश्वास किया और उन्हे अपना प्रतिनिधि बनाए रखा लेकिन एक बार की हार के बाद राहुल ने उत्तर भारतीयों की राजनीति पर ही सवाल खड़ा कर दिया। हालांकि राहुल गांधी से एक सवाल जरुर पूछा जाना चाहिए कि अगर उत्तर भारत के लोगों में मुद्दे की राजनीति करने की क्षमता नही है तो फिर उनकी माता जी और कांग्रेस अध्यक्षा सोनियां गांधी अभी भी रायबरेली से सांसद क्यों है? क्या सोनियां गांधी भी दक्षिण का रुख करने वाली है?

राहुल गांधी के इस बयान के बाद से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। पूरे उत्तर भारतीयों पर सवाल उठाने को लेकर बीजेपी ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि यह राहुल गांधी का विचार इसलिए है कि गांधी परिवार की बहुत पहले से ही यह आदत रही है। इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने भी यही पद्धति पर राजनीति की है यह लोग जब उत्तर में होते है तो दक्षिण की बुराई करते है और जब दक्षिण में होते है तो उत्तर की बुराई करते है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि देश की जनता अब सिर्फ विकास के आधार पर वोट दे रही है। जनता को बाटों और राज करो वाली राजनीति पर अब पूरी तरह से लगाम लग चुकी है क्योंकि जनता मोदी सरकार में विकास देख चुकी है और अब वह सिर्फ विकास के नाम पर वोट देना चाहती है।

एनडीए के दो कार्यकाल के दौरान पूरे देश में विकास की जो लहर देखने को मिली उससे कांग्रेस को भी सीखना चाहिए और लोगों से चुनाव जीतने के लिए विकास के वादे करने चाहिए लेकिन कांग्रेस का कोई भी नेता विकास की बात नहीं करता। कांग्रेस पार्टी की तरफ से सिर्फ पीएम मोदी की नीतियों को गलत साबित करने की कोशिश की जाती है और उसी के आधार पर वोट मांगा जाता है। अगर यह कहें कि कांग्रेस जीतने के लिए भी मोदी का ही सहारा ले रही है तो यह गलत नहीं होगा। राहुल गांधी लगातार पीएम के कार्यों की आलोचना करते नजर आते है हद तो तब हो गयी जब आतंकियों के देश पाकिस्तान पर देश की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी तब भी कांग्रेस ने सेना की तरीफ करने की जगह उसके और सरकार के कार्यों पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। फिलहाल कांग्रेस के लिए सत्ता सर्वोप्रमुख है।

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