फास्ट टैग टोल के झोल से मुक्ति

बीओटी में बनने वाली सड़कों की लागत सड़क बनाने वाली कम्पनियों द्वारा एक दीर्ध अवधि तक टोल वसूली कर निकाली जाती है। कम्पनियां कम टोल कलेक्शन बताकर इस अवधि को अक्सर बढ़वा लेती रही है। इसे उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का केंद्र माना जाता रहा है। अब मोदी सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटली पारदर्शिता के साथ जोड़ने का बुनियादी काम करके दो मोर्चों पर काम किया है।

मोदी सरकार सुशासन औऱ पारदर्शिता के लिए नवाचारों को बगैर दबाव में आये लागू करने से पीछे नही हटती है। मामला चाहे जीएसटी का हो या नोटबंदी सरकार दृढ़ता के साथ अपने निर्णयों पर अडिग रहती है। ऐसा ही निर्णय टोल प्लाजा पर फ़ास्ट टैग को अनिवार्य करने का है। टोल कम्पनियों की गड़बड़ी औऱ इसे उच्च स्तरीय सरंक्षण के आरोपों को स्थाई तौर पर विराम लगाते हुए सरकार ने देश के सभी 770 टोल प्लाजा पर अब फास्टटैग अनिवार्य कर दिया। 15 फरवरी रात 12 बजे से देश में यह निर्णय लागू कर दिया गया। इसके दो दिन के भीतर ही फास्टैग के जरिये 20 प्रतिशत अधिक टोल का भुगतान किया गया। बता दें कि फास्टैग का उपयोग न करने वाले वाहनों के मालिकों को दोगुना टोल देना होगा। इसके कई फायदों को देखकर इसे अनिवार्य किया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (चेठढक) के अनुसार लागू करते ही फास्टैग के जरिये 103 करोड़ रुपये के लिए 60 लाख ट्रांजेक्शन्स एक  दिन में किए गए हैं। यह संख्या फास्टैग अनिवार्य होने से पहले वाले सप्ताह में किए गए ट्रांजेक्शन्स की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक  रही। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में इसके जरिये 11,294 करोड़ रुपये और 2020-21 में 17 फरवरी तक 18,556 करोड़ रुपये टोल वसूला गया।

फ़ास्ट टैग के अनेकों फायदे

फास्टैग के अनिवार्य होने के बाद 15 लाख से अधिक वाहनों के मालिकों ने इसके लिए अभी तक आवेदन किया है औऱ करीब 2 करोड वाहन पहले ही यह सुविधा हासिल कर चुके है। फास्टैग टोल प्लाजाओं पर इलेक्टॉनिक माध्यम से टोल प्राप्त करने के लिए है। इसे सबसे पहले 2016 में पेश किया गया था। यह एक स्टीकर की तरह होता है, जो वाहन की विंडस्क्रीन पर लग जाता है। इसमें अलग-अलग वाहन के लिए अलग-अलग कोड होता है और टोला प्लाजा पर वह कोड स्कैन होकर अपने आप वाहन के अनुसार टोल कट जाता है। इसे पेटीएम और अमेजन आदि के माध्यम से खरीदा जा सकता है।

पेट्रोल, डीजल और सीएनजी भरवाने की भी मिलेगी सुविधा

डिजिटल पेमेंट के अलावा और दूसरी कई सर्विस में इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके जरिए आप पेट्रोल-डीजल-सीएनजी भी भरवा सकेंगे। साथ ही पार्किंग में भी फास्टैग का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र सरकार फास्टैग को मल्टीपर्पज सर्विस में इस्तेमाल करने की दिशा में काम रही है। सभी तकनीकि अड़चनों को सुलझाने के बाद ही ये कदम उठाया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क परिवहन मंत्रालय का पिछले साल कोरोना काल में टोल टैक्स पर दो गज की दूरी बनाए रखने और कॉन्टैक्टलेस पेमेंट में फ़ास्ट टैग कारगर साबित हुआ है। विभाग के अनुसारफास्टैग को पार्किंग पेमेंट करने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाएगा। इसके तहत हैदराबाद, बेंगलुरु एयरपोर्ट में पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, जिसकी सफलता के बाद अगले चरण में दिल्ली एयरपोर्ट और कनॉट प्लेस पर फास्टैग से पार्किंग फीस भुगतान करने की सर्विस शुरू की जाएगी। अगले चरण में इसे मुंबई, कोलकाता, चेन्नई सहित देश के कई दूसरे शहरों में आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार आगे चलकर फ़ास्ट टैग से गाड़ियों में पेट्रोल, डीजल और सीएनजी भरवाने की सुविधा भी शुरू करने जा रही है। इसमें भी फास्टैग के रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (ठऋखऊ) तकनीक की मदद ली जाएगी, जिसके जरिए अभी टोल प्लाजा पर भुगतान किया जाता है।

भ्रष्टाचार और ट्राफिक जाम से मिलेगी राहत

देशभर में 770 टोल प्लाजा हैं और 80 फीसदी टोल पर वाहन बिना रुके फास्टैग की मदद से टैक्स देकर निकल जा रहे हैं। इसका मतलब ये हुआ कि टोल प्लाजा पर गाड़ियों का वेटिंग टाइम जीरो है। एनएचएआई के अनुसार जिन हाइवे पर ट्रैफिक ज्यादा है, वहां फास्टैग लेन बढ़ाई जाएंगी, ताकी वहां भी टोल भुगतान करने में एक मिनट से ज्यादा का समय न लगे। असल में टोल प्लाजा पर लगने वाली वाहनों की लंबी कतार की असुविधा ही नही टोल वसूलने वाली कम्पनियों की गड़बड़ी भी एक अहम मुद्दा रहा है। बीओटी में बनने वाली सड़कों की लागत सड़क बनाने वाली कम्पनियों द्वारा एक दीर्ध अवधि तक टोल वसूली कर निकाली जाती है। कम्पनियां कम टोल कलेक्शन बताकर इस अवधि को अक्सर बढ़वा लेती रही है। इसे उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का केंद्र माना जाता रहा है। अब मोदी सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटली पारदर्शिता के साथ जोड़ने का बुनियादी काम करके दो मोर्चों पर काम किया है। पहला तो टोल में भ्रष्टाचार खत्म होगा और वास्तविक राजस्व की जानकारी एकत्रित होगी। दूसरा टोल प्लाजाओं पर लगने वाली लंबी कतारें खत्म होगी। औसतन बड़े वाहनों को निकलने में 3 से 4 मिनिट इन प्लाजा पर लगते थे। एक अध्ययन के अनुसार देश का करीब 30 हजार करोड़ का डीजल-पेट्रोल हर वर्ष इस टोल अवरोध के चलते व्यर्थ जाता रहा है। इस नए नियम से देश की यह बड़ी धनराशि बचेगी, जिसको दूसरे विकास कार्यो पर व्यय किया जा सकेगा। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में 90 फीसदी पेट्रोल डीजल विदेश से आयात करना पड़ता है। जाहिर है राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सभी टोल प्लाजा पर फ़ास्ट टैग की अनिवार्यता सभी पहलुओं से राष्ट्रीय हित में ही है। इसके लिए राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की दूरदर्शिता औऱ इच्छाशक्ति को भी सराहना मिलनी चाहिए। वैसे भी नितिन गडकरी इस क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रसिद्ध है।

This Post Has One Comment

  1. DR.PAWAR VEENA SUNIL

    मोदी और गडकरी और पुरी बीजेपी बहोत दूरदृष्टी रखनेवाली पार्टी है.हस्तिनापूर (दिल्ली)पर एक हजार साल तक उनक राज्य रहे, यही शुभकामना!

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