उद्योगपति व समाजसेवक रज्जू भाई श्रॉफ

रज्जू भाई ने एक और बात पहचानी कि हमारे देश के किसान बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं लेकिन फिर भी हमारी खेती उतना फायदा नहीं देती जितना की बाकी देशों के किसानों को मिलता है। इसके पीछे की वजह है उचित मार्गदर्शन। भारत के ज्यादातर किसान उसी पुरानी पद्धति से काम करते चले आ रहे हैं, उस पर कुछ नया अनुसंधान नहीं करते हैं। भारतीय किसान पूरे साल तक खेती करते हैं और अनाज के साथ-साथ सब्जी, फल और फूल भी उगाते हैं, जबकि दूसरे कुछ देशों के किसान सिर्फ एक ही फसल की खेती करते हैं और बाकी के समय में परिवार के साथ घूमने निकल जाते हैं।

रजनीकांत देवीदास श्रॉफ उर्फ रज्जू भाई का जन्म 1934 में गुजरात के कच्छ में एक साधारण परिवार में हुआ था, उनका परिवार स्वतंत्रता के पहले से ही कपडे के व्यापार में था, बाद में पेन बाम और हेयर ऑयल का व्यापार भी शुरू किया गया। रज्जू भाई ने मुंबई के खालसा कालेज से बी.एस.ई. कर अपने परिवार के काम में हाथ बटाना शुरु कर दिया था। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से जल्दी ही बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। रज्जू भाई ने यूनाइटेड फासफोरस लिमिटेड की स्थापना की जिसमें आज भी करीब 14 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं।

कोरोना मदद

रज्जू भाई जल्दी ही एक सफल उद्योगपति बन गये और उनका नाम भारत के साथ-साथ विदशों तक पहुंच गया। कहते हैं कि सफलता की कोई अंतिम सीढ़ी नहीं होती, आप जहां तक चाहो आगे बढ़ सकते हो। व्यावसायिक सफलता के साथ ही रज्जू भाई का समाज सेवा की तरफ झुकाव होने लगा और उन्होंने बड़े स्तर पर समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करना शुरु कर दिया। अब तो रज्जू भाई के पास इसके लिए भी एक टीम है जो इस पर काम करती है और जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाती है। हाल के कोरोना काल में भी रज्जू भाई की तरफ से लोगों की काफी मदद की गयी। इनकी टीम ने मजदूरों और जरूरतमंदों को भोजन, पानी, दवा सहित सभी सामान मुहैया कराया। कोरोना काल में फ्रंट वारियर बने पुलिसकर्मी और स्वास्थ्य कर्मियों को मुफ्त सेनेटाइजर, पानी की बोतल और मास्क वितरित किया गया। यूपीएल की तरफ से करीब 5000 लीटर से अधिक सेनेटाइजर और लगभग 15000 मास्क मुफ्त वितरित किए गए। सड़कों, पुलिस स्टेशनों और अस्पतालों में मुफ्त सेनेटाइजेशन का काम भी इस ग्रुप की तरफ से किया गया। कोरोना काल में महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी यूपीएल की तरफ से मदद की गयी। इनका यह सेवा कार्य सिर्फ भारत तक ही नहीं सीमित था बल्कि फ्रांस, इटली, स्पेन, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका में भी यूपीएल ने लोगों की मदद की।

किसान

रज्जू भाई अर्थात यूपीएल का व्यापार भारत के अलावा हॉलैंड, फ्रांस, इटली, स्पेन, यूएसए, ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और कोलंबिया में भी चलता है। रज्जू भाई ने यूपीएल की शुरुआत भारत से की थी लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने 11 अन्य देशों में भी अपना व्यापार बढ़ाया। रज्जू भाई की कंपनी जिसका पूरा नाम यूनाइटेड फासफोरस लिमिटेड है वह कीटनाशक दवाएं बनाती है, जो किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक है। खेती के दौरान सभी फसलों में कीडे लग जाते हैं, जिससे फसल को नुकसान होता है। कभी कभी तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। रज्जू भाई ने एक और बात पहचानी कि हमारे देश के किसान बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं। लेकिन फिर भी हमारी खेती उतना फायदा नहीं देती जितना की बाकी देशों के किसानों को मिलता है। इसके पीछे की वजह है उचित मार्गदर्शन। भारत के ज्यादातर किसान उसी पुरानी पद्धति से काम करते चले आ रहे हैं, उस पर कुछ नया अनुसंधान नहीं करते हैं। भारतीय किसान पूरे साल तक खेती करते हैं और अनाज के साथ-साथ सब्जी, फल और फूल भी उगाते हैं। जबकि दूसरे कुछ देशों के किसान सिर्फ एक ही फसल की खेती करते हैं और बाकी के समय में परिवार के साथ घूमने निकल जाते हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए रज्जू भाई ने किसानों के लिए एक केंद्र खोला है जहां उन्हें कृषि के नये-नये तरीके सिखाये जाते हैं और यह बताया जाता है कि उनकी जमीन के लिए कौन सी फसल सही होगी। किसान इसका प्रयोग अपनी जमीनों पर करता है और उसे बड़ा फायदा मिलता है। उसकी आमदनी में भी बढोत्तरी होती है।

गुजरात का डांग वनवासी क्षेत्र पहले नक्सलियों के कब्जे वाला माना जाता था लेकिन अब वहां नक्सलियों की संख्या में भारी कमी आई है। रज्जू भाई ने बताया कि डांग में वनवासी लोगों के पास काम नहीं था, ऐसे में वे बंदूक उठाने को मजबूर होते थे लेकिन जब से वहां कंपनियों ने अपना काम शुरु किया तब से लोगों को काम मिल गया और वे भी अब परिवार के साथ सुकून की रोटी खाते हैं। रज्जू भाई ने कहा कि अगर किसी के पास काम होगा और परिवार का पेट भरेगा तो वह कभी भी बंदूक नहीं उठायेगा।

शिक्षा

यूपीएल के अंतर्गत समाज सेवा का काम भी तेजी से चल रहा है। यूपीएल शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पहले से ही काम कर रहा है। कंपनी अपने सीएसआर से शिक्षा, पशुपालन और कृषि क्षेत्र में काम कर रही है। कॉर्पोरेट नियमों के अनुसार कंपनी को अपने मुनाफे का 2 फीसदी सामाजिक कार्यों में देना होता है लेकिन यूपीएल के माध्यम से उससे कई गुना ज्यादा सामाजिक कार्यों में दिया जा रहा है। हालांकि यूपीएल की तरफ से जब लोगों की मदद का काम शुरु किया गया था तब सीएसआर जैसा कोई नियम नहीं था, यह तो बहुत बाद में सरकार ने लागू किया। आज यूपीएल सीएसआर में तीसरे स्थान पर आता है।

रज्जू भाई ने बताया कि उन्होनें व्यापार में कभी भी पैसों को प्राथमिकता नहीं दी बल्कि उन्होने व्यापार भी उन जगहों पर शुरु किया जो इलाके पिछड़े हुए थे जिससे वहां के लोगों का जनजीवन सुधर सके, लेकिन उनके पास चुनौती इस बात की थी कि व्यापार शुरु करने से पहले वहां शिक्षा पर विशेष जोर देना होगा। सन 1970 से उनका शिक्षा क्षेत्र में लगातार कार्य जारी है। वापी में प्लांट शुरु होने के बाद सबसे पहले वहां एक स्कूल की जरुरत महसूस होने लगी क्योंकि प्लांट में काम करने के लिए बाहर से इंजिनियर आते थे, ऐसे में उनके बच्चों के लिए स्कूल की सुविधा नहीं थी। यूपीएल की तरफ से एक बड़े अंग्रेजी स्कूल की स्थापना की गयी जो आज बहुत बड़े स्तर पर चल रहा है और उसमें स्थानीय लोगों के भी बच्चे पढ़ रहे हैं।

अस्पताल

रज्जू भाई ने जब वापी के वनवासी क्षेत्र में अपना प्लांट शुरु किया उस समय वहां के हालात शिक्षा और स्वास्थ्य दृष्टि से बहुत ही चिंताजनक थे। जिसके बाद सबसे पहले वहां एक छोटा सा स्वास्थ्य केंद्र खोला गया जो अब एक बड़ा अस्पताल बन चुका है। अस्पताल की मदद लोगों को समय पर इलाज मिलने लगा और वहां मृत्युदर काफी कम हो गयी। यूपीएल की तरफ से ऐसी टीम का भी गठन हुआ है जो गांव-गांव जाकर किसानों को स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी योजनाओं के बारे में बताती है। किसान अभी भी सामान्य हेल्थ चेकअप नहीं कराता है जिससे उसे बिमारी का पहले से पता नहीं चलता है। इसके साथ ही किसान अपनी संतान की पढ़ाई पर भी कम ध्यान देता है क्योंकि उसकी ऐसी मानसिकता निश्चित होती है कि उसका बेटा बहुत अधिक पढ़ लिख नहीं सकता है इसलिए अगर खेत में ही काम करना है तो फिर बहुत पढ़ने की क्या आवश्कता है।

पत्नी सैंड्रा श्रॉफ के सामाजिक काम

रज्जू भाई और उनकी कंपनी ने मिलकर बहुत काम किया है लेकिन इन सभी कामों में उनकी पत्नी का भी अहम योगदान रहा है। रज्जू भाई ने अपनी पत्नी सैंड्रा श्रॉफ के काम के बारे में बताते हुए कहा कि उनका काम सबसे बेहतरीन होता है। सैंड्रा जो भी काम अपने हाथ में लेती है उसे बहुत ही खूबसूरती से पूरा करती है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत हमने 5 करोड़ का बजट तय किया और यह काम सैंड्रा को दिया गया जिसमें शौचालय का बनाना तय किया गया था लेकिन सैंड्रा ने ना सिर्फ शौचालय बनाया बल्कि इस बात पर भी ध्यान दिया कि शौचालय का पानी और मल कहां जायेगा उसकी भी उचित व्यवस्था की गयी। शौचालय की स्वच्छता और बायोगैस पर भी उन्होंने काफी काम किया।
यूपीएल के विद्यालयों में पढ़ने वाली लडकियों की ओर भी उनका विशेष ध्यान होता है। उनके लिए विद्यालय की स्वच्छता आदि पर भी सैंड्रा विशेष ध्यान देती हैं।

पद्मभूषण सम्मान

देश के राष्ट्रपति हर वर्ष कुछ विशेष व्यक्तियों को पद्म सम्मान से सम्मानित करते हैं। ये वे लोग होते है जो देश या देश की जनता के लिए विशेष मदद या सेवा प्रदान करते है। श्री रजनीकांत देवीदास श्रॉफ उर्फ रज्जू भाई को पद्म विभूषण पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है। व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है। इस सम्मान पर रज्जू भाई ने कहा कि उनका दिल हमेशा से एक राष्ट्र प्रम से ओत-प्रोत रहा है, वे कभी भी इससे पीछे नहीं हटे। उनके लिए यह सम्मान मिलना बेहद गौरव की बात है।

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