गिरिधर पर मोहित बिरहनी मीरा
मीरा अत्यंत उदार मनोभावों से संपन्न भक्त थी। उसके काव्य में हठयोग साधना के संकेत मिलते हैं। भले उनके कृष्ण प्रतीकात्मक है, लेकिन कृष्ण के प्रति उनकी एकाग्रता, संसार से विमुखता, माया मोह से त्याग और आत्म चिंतन दर्शन की उत्कृष्ट लालसा है। उसने अपने समकालीन अनेक संतों एवं साधकों से सत्संग किया और उनके प्रभाव को ग्रहण करके अपने जीवन में उतारा है।