गिरिधर पर मोहित बिरहनी मीरा

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मीरा अत्यंत उदार मनोभावों से संपन्न भक्त थी। उसके काव्य में हठयोग साधना के संकेत मिलते हैं। भले उनके कृष्ण प्रतीकात्मक है, लेकिन कृष्ण के प्रति उनकी एकाग्रता, संसार से विमुखता, माया मोह से त्याग और आत्म चिंतन दर्शन की उत्कृष्ट लालसा है। उसने अपने समकालीन अनेक संतों एवं साधकों से सत्संग किया और उनके प्रभाव को ग्रहण करके अपने जीवन में उतारा है।

सेवाभावी-उद्यमी प्रशांत कारुलकर

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भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद लोगों ने आत्मनिर्भरता पर ज्यादा बल दिया है और तेजी से स्वदेशी सामान की तरफ बढ़ रहे है। हमने दिवाली और होली जैसे त्यौहारों के दौरान भी लोगों को स्वदेशी सामान की मांग करते हुए देखा है। कंपनियां भी शहर के साथ-साथ गांवों का रुख कर रही हैं क्योंकि गांव में जमीन सस्ते दर में उपलब्ध हो जाती है और वहां काम करने वालों की भी कोई कमी नहीं है। इसलिए ही हम भी गांव की तरफ रुख कर रहे हैं।

उद्योगपति व समाजसेवक रज्जू भाई श्रॉफ

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रज्जू भाई ने एक और बात पहचानी कि हमारे देश के किसान बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं लेकिन फिर भी हमारी खेती उतना फायदा नहीं देती जितना की बाकी देशों के किसानों को मिलता है। इसके पीछे की वजह है उचित मार्गदर्शन। भारत के ज्यादातर किसान उसी पुरानी पद्धति से काम करते चले आ रहे हैं, उस पर कुछ नया अनुसंधान नहीं करते हैं। भारतीय किसान पूरे साल तक खेती करते हैं और अनाज के साथ-साथ सब्जी, फल और फूल भी उगाते हैं, जबकि दूसरे कुछ देशों के किसान सिर्फ एक ही फसल की खेती करते हैं और बाकी के समय में परिवार के साथ घूमने निकल जाते हैं।

आशिदा … अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी पहचान

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आशिदा स्मार्ट सॉल्यूशन फॉर पॉवर प्रोटेक्शन एंड कंट्रोल कंपनी बिजली के अलग-अलग उपकरण बनाती है जो वर्तमान में कई कंपनियों और घरों में इस्तेमाल किए जाते हैं। आशिदा भारत की एकमात्र प्रमुख कंपनी है जिसने स्वदेशी रुप से स्टैटिक और न्यूमेरिकल रीले की एक श्रृंखला विकसित की है और कंपनी लगातार डायरेक्टरों सुयश कुलकर्णी और सुजय कुलकर्णी के नेतृत्व में विकसित होती जा रही है।

समाज बंधुओं के लिए सदैव तत्पर रहूंगा– आर. एन. सिंह

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अपने परिवार और गांव को छोड़कर मुंबई आने वाले लोगों में अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश के ही हैं। मुंबई की चमक-दमक, यहां मिलने वाली सुविधाएं और आजीविका के साधनों से आकर्षित होकर कई लोग अपनी किस्मत आजमाने यहां आते हैं। कुछ लोगों के सपने साकार होते हैं, कुछ लोगों के नहीं, परन्तु कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके सपने स्वयं के साथ-साथ समाज कल्याण से भी जुड़े होते हैं। ऐसी ही एक सख्सियत हैं आर.एन. सिंह। सुरक्षा से सम्बन्धित व्यवसाय करने वाले आर.एन. सिंह सामाजिक और लोक-कल्याण के कार्यों के लिए अधिक प्रसिद्ध हैं। प्रस्तुत है इसी सन्दर्भ में उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

बदलाव के वाहक बनते ग्रामीण आविष्कारक

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उद्यमिता विकास के लिए कार्य-संस्कृति, अंतर-संरचना और कानून-व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने होंगे, बल्कि युवाओं को आरक्षण आंदोलन और सरकारी या कंपनियों की नौकरी का मोह भी छोड़ना होगा। तभी युवा उद्यमियों की सोचने-विचारने की मेधा प्रखर होगी और किसी आविष्कार को साकार रूप देने के लिए कल्पना-शक्ति विकसित होगी।

परिवर्तन के शिल्पकार

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अब परिवर्तन की गति भी तेज हो गई है। पहले जहां 10-15-20 सालों में परिवर्तन होते थे, वहीं आज हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है और अच्छी बात यह है कि अब भारतीय समाज का मानस भी परिवर्तनों को सहज स्वीकार करने का आदी होने लगा है। भारत ने परिवर्तन को स्वीकार करके उसके अनुरूप ढलना तो सीख लिया है। अब इसके आगे उसे स्वयं को परिवर्तित करके दुनिया के परिवर्तन का शिल्पकार बनने की ओर बढ़ना होगा।

संघ एवं मंदिरों का सेवा कार्य

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ये ऐसे लोग हैं जिन्हें मंदिरों में चढ़ावे तो दिखाई पड़ते हैं परन्तु सामाजिक और प्राकृतिक विपदाओं के समय जिस तरह से मंदिरों की ओर से आर्थिक और सामुदायिक सेवा की जाती है वह दिखाई नहीं देती। हमारे यहां मंदिरों को केवल धार्मिक स्थल के रूप में ही नहीं विकसित किया गया है बल्कि वहां नर और नारायण दोनों की सेवा की बातें की जाती हैं।

आपदा में अवसर खोजते मुनाफाखोर

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नकारात्मकता को प्रसारित करने से भी कोविड संकट में लोगों की जान जा रही है। बेहतर होगा कि सरकार की आलोचनाओं से अपना ध्यान हटाकर हमारे मीडिया समूह कालाबाजारी और जमाखोरी करने वाले चेहरों को लक्षित करके बेनकाब करें। एक माहौल इन तत्वों के विरुद्ध खड़ा किया जाए।

वैक्सीनेशन की सुस्त रफ़्तार

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इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाये और इसका सबसे सटीक जवाब है सभी का जल्द से जल्द वैक्सीनेशन लेकिन वर्तमान हालत को देखते हुए देश में टीकाकरण की प्रगति संतोषजनक नहीं है, कई राज्यों में वैक्सीन की कमी हैं। कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीनेशन है सबसे बड़ा हथियार, लेकिन वैक्सीन की किल्लत चुनौती बन गई है।

जटिल समस्या फलस्तीन-इजराइल संघर्ष

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अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरूशलम को इजराइल की राजधानी बनाने का खुला समर्थन किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि हम अपने दूतावास को यरूशलम में स्थानांतरित करेंगे। हालांकि जो बाइडेन का वर्तमान प्रशासन उस हद तक इजराइल का समर्थक नहीं है, पर सं.रा. सुरक्षा परिषद में जरूरी हुआ, तो उसके हितों की रक्षा करेगा।

अभूतपूर्व वैश्विक सहायता

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भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों और द्विपक्षीय संबंधों में जिस तरह की भूमिका निभाई है उसका विश्व समुदाय पर सकारात्मक असर है। भारत का सम्मान है और उसके प्रति सद्भावना भी। वास्तव में कठिन समय में हमारी अपनी हैसियत, साख, सम्मान और हमारे प्रति अंतरराष्ट्रीय सद्भावना आसानी से दिखाई देती परंतु उस पर भी यदि एक बड़ी फौज दिन रात नकारात्मकता फैलाने में लगी हो तो इसका भी असर होता ही है।

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