छत्तीसगढ में शिक्षा की बहती बयार

छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में शिक्षा क्षेत्र में जो कारगर कदम उठाए हैं उससे प्रदेश में आर्थिक खुशहाली के साथ सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा तथा प्रदेश देश के राज्यों में अग्रणी राज्य बनेगा|

शिक्षा का अर्थ व्यक्ति के संपूर्ण विकास का नाम है| यानि कि      शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है| जो राज्य या देश के संपूर्ण नागरिकों के लिए अपेक्षित होता है| भारत को युवाओं का देश कहा जाता है| एक आकलन के अनुसार, कुल जनसंख्या का ७० प्रतिशत हिस्सा ४० वर्षों से कम के आयु वर्ग का है| यानि अन्य देशों की तुलना में यहां काम करने के लिए ज्यादा मानव संसाधन है जिसका समुचित प्रबंधन किया जाए तो राज्य एवं देश में खुशहाली को लाया जा सकता है|

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ‘सबके लिए शिक्षा’ का ध्येय लेकर शिक्षित एवं संस्कारवान समाज के लिए कार्य किया जा रहा है| इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के सुदूर वनवासी, गिरीवासी क्षेत्रों में एक किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय, तीन किलोमीटर की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय, पांच किलोमीटर की दूरी पर उच्च विद्यालय तथा सात किलोमीटर की दूरी पर उच्चतर विद्यालयों के माध्यम से आठ हजार नवीन विद्यालयों को स्थापित किया गया है| राज्य सरकार ने ‘सबके लिए शिक्षा’ ध्येय के अंतर्गत लगभग ६० लाख विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने में सफलता का कीर्तिमान स्थापित किया है, जो डॉ. रमन सिंह सरकार की विद्यालयों के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है|

राज्य में २००३-०४ में ३१ हजार ९०७ प्रथमिक विद्यालय तथा सात हजार ८९ माध्यमिक विद्यालय थे; लेकिन पिछले तेरह वर्षों में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के शासन काल में यह संख्या ३३ हजार ९९७ और १६ हजार २८१ तक पहुंच गई है| २००३-०४ में ११७६ हाईस्कूल तथा १३८६ हायर सेकेन्ड्री विद्यालय थे जो अब क्रमश: २६०५ तथा ३७२६ हो गए हैं| सत्र २००३-०४ में राज्य शासन द्वारा १-१०वीं तक के बच्चों में मुफ्त पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया गया था| यह संख्या २०१५-१६ में दो करोड़ ९१ लाख ७५ हजार ८०२ हो गई है|

राज्य सरकार ने ‘सरस्वती सायकिल योजना’ को शुरू की थी जिसका सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहा है| विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति का प्रतिशत ६५ से बढ़कर ९५ प्रतिशत तक हो गया है| वाणिज्य शिक्षा को आर्थिक रूप से सम्बद्ध करने के लिए सरकार ने माध्यमिक शालाओं में वाणिज्य संकाय को खोला है जिसका भी सकारात्मक परिणाम मिला है| राज्य सरकार ने आदिवासी अंचलों में १० बच्चों की उपलब्धता के आधार पर ४७ विद्यालयों में डारमेट्री की व्यवस्था की है जहां पर २३०० बच्चों को नि:शुल्क आवास तथा भोजन की व्यवस्था के साथ शिक्षा का प्रबंध किया है| दिव्यांग विद्यार्थियों को भी सरकार द्वारा नि:शुल्क सर्जरी, कृत्रिम उपकरण तथा प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं, जिसके कारण वर्तमान परिवेश में वे उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं| नक्सल प्रभावित जिलों के लिए सरकार द्वारा ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के अंतर्गत ६० विद्यालयों की क्षमता ३०,००० विद्यार्थियों के अनुमानित लक्ष्य रखा गया है|

वर्ष २०१५-१६ में शाला से बाहर विद्यार्थियों की संख्या ५०,३७३ थी| इसमें से १४,३३२ विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा गया है| इसके साथ ही सरकार का यह मानना है कि विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा देते हुए कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें ८५६० बच्चों को उपरोक्त सुविधा भी दी गई है| राज्य शासन द्वारा सुदूर वनवासी क्षेत्रों में ४७ आवासीय विद्यालय तथा ३० कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय भी शुरू किए गए हैं|

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ‘सबके लिए शिक्षा’ के लक्ष्य को केन्द्रित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक जुलाई, २००८ को छत्तीसगढ़ राज्य मुक्त विद्यालय का भी श्रीगणेश किया| इससे विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति जागरूकता आई है तथा वे पुन: पठन-पाठन की ओर अग्रसर हो रहे हैं| छत्तीसगढ़ शासन द्वारा साक्षर भारत अभियान के तहत २८ लाख प्रौढ़ों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने हेतु कार्यक्रमों का क्रियान्वयन हुआ है जो प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के सर्वोत्तम लक्ष्य को इंगित करता है|

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की दृष्टि में उच्च शिक्षा छत्तीसगढ़ तथा भारत के विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकती है| उच्च शिक्षित तथा स्वावलंबी युवकों से छत्तीसगढ़ की वर्तमान समस्याओं का समाधान किया है| इस निमित्त सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्रों में क्रांतिकारी कदम उठाए हैं जो मील के पत्थर साबित हुए हैं| यहीं कारण है कि डॉ. रमन सिंह सरकार ने अंचल के प्रत्येक क्षेत्र को उच्च शिक्षा के आलोक से आलोकित है| छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसा कोई भी अंचल नहीं है जहां उच्च शिक्षा का सूर्य प्रकाशमान न हो|

सुदूर आदिवासी अंचलों तथा दुर्गम वनांचलों में भी आज उच्च शिक्षा का दीप जल रहा है| रमन सिंह सरकार बनने के पूर्व उच्च शिक्षा, व्यापार, भ्रष्टाचार तथा जमाखोरी का अड्डा बन गया था, जिसके कारण शिक्षा माफिया ने प्रदेश की उच्च शिक्षा को तहस-नहस कर दिया था| दूसरे प्रदेशों की दृष्टि में छत्तीसगढ़ की उच्च शिक्षा एक-दो कमरे में चलने वाले विश्‍वविद्यालय थे| प्रदेश में ज्यों ही भाजपा नेतृत्व की सरकार आई तो सरकार ने उच्च शिक्षा की इन दुकानों को बंद कर दिया| उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं| नया रायपुर में २३ जून, २०१५ को अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना हुई है, इसके साथ ही ७ अगस्त, २०१६ को सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का श्रीगणेश किया जिसका अस्थायी परिसर राजकीय अभियांत्रिकी संस्थान रायपुर में है|

यह कुछ ही वर्षों में भिलाई नगर में स्थानांतरित हो जाएगा| राज्य के सभी जिलों के ४७ प्रतिशत शासकीय महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों को संचालित किया जा रहा है| ‘मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा अनुदान योजना’ के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों हेतु एक प्रतिशत ब्याज दर पर अधिकतम ४ लाख रूपये ॠण का प्रावधान है| वहीं नक्सल प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों के लिए नि:शुल्क ब्याज पर उपर्युक्त ॠण की सुविधा है| जिसके कारण नक्सलवाद का प्रभाव कम हो रहा है| राज्य सरकार द्वारा शासकीय महाविद्यालयों में संविदा आधार पर १०२० अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की गई है| वहीं सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से ९६६ असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति का आदेश दिया है| सन् २००३-०४ में यहां शासकीय महाविद्यालयों की संख्या ११६ थी जबकि सत्र २०१५-१६ में यह संख्या २१४ हो गई है| सत्र २००३-०४ में ३ विश्‍वविद्यालय थे जबकि शैक्षणिक सत्र २०१६-१७ में विश्‍वविद्यालयों की संख्या २० तक हो गई है|

प्रदेश सरकार ने महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है| छत्तीसगढ़ में वर्ष २००० में १५ शासकीय कन्या महाविद्यालय थे लेकिन अब ८० से ऊपर हैं| इसके साथ साथ सरकार ने इस सत्र से स्नातक स्तर तक की नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान किया है| जो निश्‍चित ही छत्तीसगढ़ी महिलाओं के लिए वरदान साबित होगा| सरकार ने २००८ में बस्तर विश्‍वविद्यालय जगदलपुर तथा सरगुजा विश्‍वविद्यालय अंबिकापुर में स्थापित किया है| अभी २०१६ में सरकार ने दुर्ग विश्‍वविद्यालय की स्थापना की है| प्रदेश सरकार का यह मानना है कि कामकाजी पुरूषों तथा स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त करने के मौलिक अधिकार से रोका नहीं जा सकता है| इस विचार को पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्‍वविद्यालय, बिलासपूर साकार कर रहा है| इसके साथ ही यहां गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय, बिलासपुर भी शिक्षा के परचम को लहरा रहा है|

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तथा उच्च शिक्षा मंत्री मा. प्रेमप्रकाश पाण्डेय जैसे राजनेताओं का मानना है कि छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय आंदोलन में विशेष स्थान रहा है| अत: यहां के विद्यार्थियों को मीडिया शिक्षा देना ठीक रहेगा| इस निमित्त प्रदेश शासन ने सन् २००५ में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय स्थापित किया है| जहां छत्तीसगढ़ ही नहीं, अपितु देश भर से युवक-युवतियां पत्रकारिता के विभिन्न अनुशासनों यथा-पत्रकारिता, जनसंचार, मीडिया प्रबंधन, भारतीय विरासत प्रबंधन, जनसंपर्क प्रबंधन, कार्पोरेट मीडिया प्रबंधन, छत्तीसगढ़ी इत्यादि में स्नातकोत्तर एवं शोध शिक्षा ग्रहण कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं| सरकार ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय, रायपुुर तथा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्‍वविद्यालय, रायपुर में पं. माधवप्रसाद सप्रे शोधपीठ, स्वराज शोधपीठ, पंडित दीनदयाल शोधपीठ, कबीर जनसंचार शोधपीठ, पंडित सुंदरलाल शर्मा शोधपीठ तथा भाऊराव देवरस शोधपीठों का सृजन किया है, जहां पर विविध संकायों के विद्वान उच्च स्तरीय शोध कार्य कर रहे हैं|

सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत शिक्षण सत्र २०१६-१७ में शासकीय महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या २ लाख से भी ज्यादा है, जबकि यह संख्या शिक्षण सत्र २००३-०४ में ६५६८३ तक ही थी| छत्तीसगढ़ में वित्तीय वर्ष २००३-०४ में उच्च शिक्षा का बजट १२९.५७ करोड़ था जो शैक्षणिक सत्र २०१६-१७ में २ हजार ७७६ करोड़ तक हो गया है|

यहां सरकारी व निजी क्षेत्रों को मिला कर शिक्षा सत्र २००३-०४ में १८४ महाविद्यालय थे जबकि आज इनकी संख्या ४७२ तक हो गई है|

चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने लंबी छलांग लगाई है| सरकार ने २००६ में बस्तर, २०१३ में रायगढ़, २०१७ में राजनादगांव तथा इस वर्ष (२०१६) में सरगुजा में मेडिकल कालेज खोला है| अर्थात् शासन ने प्रांत के चारों ओर चिकित्सा शिक्षा का जाल फैलाया है|

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार तथा राज्य में युवा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सरकार का कौशल विकास को लेकर समान ध्येय है| युवाओं को कौशल उन्नयन केन्द्रित रखते हुए राज्य शासन ने १२८ नए सरकारी औद्योगिक शिक्षण संस्थानों में ३४ विभागों को खोला है, जिसकी संख्या गत तेरह वर्षों में १७२ हो गई है| इसमें १९,३६० स्थान निर्धारित किए गए हैं| छत्तीसगढ़ सरकार का मानना है कि कौशल विकास एवं रोजगार प्रबंधन के द्वारा नक्सल समस्या पर काबू किया जा सकता है| इसके लिए शासन ने छत्तीसगढ़ युवाओं के कौशल विकास का अधिकार अधिनियम २०१३ बनाया है, जिसके द्वारा युवाओं को उनकी रूचि के तकनीकी प्रशिक्षण का अधिकार मिला है| अत: यह कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में जो कारगर कदम उठाए हैं वे प्रदेश में आर्थिक खुशहाली के साथ सामाजिक समरसता को बढ़ावा देंगे तथा प्रदेश देश के राज्यों में अग्रणी राज्य बनेगा|

 

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