गोवंश रक्षा से होगा शुद्ध पौष्टिक दुग्ध उत्पादन

देशी गाय का मिलावट रहित शुद्ध सात्विक पौष्टिक दूध हमारे बच्चों का अधिकार है और वह उन्हें किसी भी हाल में मिलना ही चाहिए। यह सरकार का भी परम दायित्व है कि वह शुद्ध दूध प्रत्येक भारतवासी को उपलब्ध कराये। स्वस्थ भारतवासी के आधार पर ही देश शक्तिशाली होगा और यह सर्वविदित है कि शक्तिशाली देश ही दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनने की योग्यता रखता है।

जिस देश में दूध दही की नदियां बहा करती थीं, उस भारत देश में आज हमारे बच्चे मिलावटी दूध पीने को मजबूर है। जो देश गोवंश का पालन पोषण करने के लिए जगत में सुविख्यात था, उसी देश में गोवंश को ़आज कत्लखाने भेज दिया जाता है, ऐसे में हमें देशी गाय का शुद्ध दूध कहां से मिलेगा? देशी गाय का मिलावट रहित शुद्ध सात्विक पौष्टिक दूध हमारे बच्चों का अधिकार है और वह उन्हें किसी भी हाल में मिलना ही चाहिए। यह सरकार का भी परम दायित्व है कि वह शुद्ध दूध प्रत्येक भारतवासी को उपलब्ध कराए। स्वस्थ भारतवासी के आधार पर ही देश शक्तिशाली होगा और यह सर्वविदित है कि शक्तिशाली देश ही दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनने की योग्यता रखता है। इसलिए इन छोटी-छोटी लेकिन आवश्यक बातों को गंभीरता से लिया जाना बहुत जरुरी है।

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की अहम भूमिका

पशु धन की महत्ता को ध्यान में रखते हुए जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनयम बनाया गया था और इसी के प्रावधान के तहत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया था। बता दे कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड देश की सबसे अधिक गोशाला व पिंजरापोल बनाने तथा पशुओं पर होने वाले अपराध को नियंत्रित करने व समान अधिकार प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।

पशुओं के पांच मूलभूत अधिकार ‘फाइव फ्रीडम’

पशुओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए पांच मूलभूत अधिकार व सुविधाएं ‘फाइव फ्रीडम’ के नाम से प्रदान की गई हैं। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की परिभाषा के अनुसार पशुओं को स्वस्थ रखने, पौष्टिक व पर्याप्त आहार देने, तनाव मुक्त रखने, पीड़ा रहित रखने और उनके साथ बेहतर व्यवहार एवं सर्वोत्तम प्रबंध रखना आवश्यक है।

गोशाला-पिंजरापोल संचालन व प्रबंधन प्रशिक्षण वर्ग

पशु कल्याण के आधार पर ही पशुओं से बेहतर व पौष्टिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञान की कसौटी पर यह सिद्ध हुआ है कि एनीमल वेलफेयर की उपाय योजना को अपनाने से गोवंश का बेहतर प्रबंधन और अच्छा उत्पादन मिल सकता है। इस दिशा में गोशाला बेहतरीन भूमिका अदा कर रही हैं। गुजरात में ऐसी कई आदर्श गोशालाएं-पिंजरापोल हैं, जिसे देखने व प्रशिक्षण हेतु देश भर से गोसेवक एवं अनेक संस्थाएं आती हैं। समस्त महाजन संस्था द्वारा गोशाला-पिंजरापोल के आदर्श संचालन व प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया जाता है। इस प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन एक वर्ष में तीन से चार बार किया जाता है। जिसमें लगभग 1200 से 1500 लोग शामिल होते हैं। सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे के दरम्यान विविध विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है, जिसे सभी लोग बड़े ध्यानपूर्वक सुनते हैं। यह प्रशिक्षण वर्ग प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है। इसके अलावा संस्था ने लोगों से आग्रह किया है कि ‘हमारे कार्यक्रमों को देखिये, हमसे जुड़े किसानों से प्रत्यक्ष मिलिए, हमारे डिमांस्ट्रेशन केन्द्रों में आइए। जहां पर जाने के बाद व्याख्यान सुनने की जरुरत नहीं होती। जो किसान यहां पर आते हैं वे स्वयं प्रशिक्षित व जागरूक किसान के रूप में घर जाते हैं।

देश में गोबर-गोमूत्र क्रांति की आवश्यकता

जैविक खेती की कमी के चलते फसलों का उत्पादन और उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। रसायन मुक्त खेती के लिए समस्त महाजन संस्था ने देश में एक नई पहल की है। जिसका देश के अनेक राज्यों में सहर्ष स्वागत किया गया है। संस्था के आह्वान पर गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही बागवानी, जल संरक्षण एवं गो संरक्षण जैसे अन्य कार्य को भी गति मिल रही है। समस्त महाजन संस्था की ओर से गोबर की बेहतर व्यवस्था के लिए ‘किसान कार्ड योजना’ का शुभारंभ किया है। जिसे पिछले वर्ष से लागू कर दिया गया है। दूरदर्शन (दिल्ली) के विशेष अनुरोध पर 3 एपिसोड में मैंने इस संदर्भ में व्याख्यान दिया था, जिसकी देश भर में सराहना की गई और इस तरह कार्यक्रम को अच्छा प्रतिसाद भी मिला। भारतीय गोवंश की विशेषता यह है कि उसके दूध के साथ ही गोबर-गोमूत्र भी लाभकारी होता है। कई वैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि गोबर गोमूत्र का प्रयोग प्राकृतिक चिकित्सा में भी बडे पैमाने पर किया जाने लगा है। गोबर से जैविक खेती किये जाने का चलन बढ़ता ही जा रहा है। आनेवाले समय में देश में सबसे अधिक मांग गो उत्पादों की होगी।

पशु कल्याण की अनेक योजनाओं का उठायें लाभ

गोशाला और पिंजरापोल में पशुओं की देखभाल को ही सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी निगरानी भी की जाती है और यथासंभव केंद्र सरकार द्वारा इन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएं भी दी जाती हैं। पशु पक्षियों के चारे-दाने का बेहतर प्रबंधन करना यह भी एक कला है। इसके लिए केंद्र सरकार केवल आर्थिक सहायता ही नहीं देती बल्कि उनकी चिकित्सा और अन्य जरुरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की ओर से पशु कल्याण की अनेक प्रकार की योजनाएं संचालित की जाती हैं, जिसे बोर्ड की वेबसाइट पर भी देख सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं। जब तक गाय दूध देती है तब तक उसे अपने पास रखा जाता है और जैसे ही वह दूध देना बंद कर देती है तो उसे लावारिस छोड़ दिया जाता है। यह बहुत ही दुखद बात यह है। जिससे गोवंश को दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश होना पड़ता है। इसका फायदा गो-तस्कर उठाते हैं और उसे ले जाकर कत्लखाने में बेच देते हैं। इसके दोषी वहीं हैं, जिन्होंने पशु को लावारिस छोड़ा। क़ानूनी तौर पर यह अपराध की श्रेणी में आता है।

भारतीय एनीमल ब्रीडिंग पॉलिसी में हो सुधार

दुनिया में एकमात्र भारतीय देशी गाय ही स्वास्थ्यवर्धक ए-2 दूध प्रदान करती है। जिसे अमृत समान माना जाता है। बीते कई दशकों से भारतीय एनीमल ब्रीडिंग पॉलिसी में कोई परिवर्तन या सुधार नहीं हुआ है इसलिए संकर नस्ल की तादाद बढ़ती जा रही है। इस नीति में तत्काल सुधार करना बहुत जरुरी है वर्ना देशी गाय के अमृत समान ए-2 दूध से हमारी अगली पीढ़ी वंचित रह जाएगी।

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