कांग्रेस नेताओं की बैठक, पर गांधी परिवार नदारत

कांग्रेस की राजनीति तो दशकों पुरानी है लेकिन एक बात समझ नहीं आती कि कांग्रेस को किसी भी गठबंधन वाले राज्य में तवज्जो नहीं मिल रहा है फिर भी कांग्रेस लगातार विपक्ष को एकजुट करने में लगी हुई है। कांग्रेस ने इससे पहले भी यह प्रयास किया था कि देश के सभी विपक्ष को एक साथ लाया जाए और मोदी सरकार को सत्ता से दूर किया जाए लेकिन उनकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हुई। लोकसभा 2024 को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से विपक्ष का एकजुटता का नाटक शुरु हो रहा है हालांकि यह बात तो किसी से भी छुपी नहीं है कि विपक्ष सिर्फ अपने अपने फायदे के लिए एक साथ आ रहा है जबकि चुनाव हार के बाद सभी फिर से एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरु कर देते है। 
 
आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी कांग्रेस की तरफ से भी तेजी से हो रही है। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को कपिल सिब्बल के घर पर बैठक की लेकिन हैरान करने वाली बात यह थी कि इस बैठक में राहुल गांधी नहीं थे। सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक डिनर पार्टी रखी थी जिसमें कांग्रेस गठबंधन के अलावा और भी दलों के नेता नजर आए जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे है कि यहां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई हालांकि इस डिनर पार्टी में राहुल गांधी नजर नहीं आए। 
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के घर पर टीएमसी, एनसीपी, टीडीपी, आरजेडी, टीआरएस, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल, डीएमके, सपा, शिवसेना, सीपीएम, सीपीआई, नेशनल कांफ्रेंस, आरएलडी और आप के नेता शामिल थे। इन सभी दलों के साथ आने को लेकर एक बात तो साफ है कि यह डिनर कम और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी अधिक थी। हालांकि इसमें गांधी परिवार से किसी को भी शामिल नहीं किया गया। जिससे सवाल यह होता है कि क्या यह दल गांधी परिवार के साथ और चलने के लिए तैयार नहीं है? गांधी परिवार की तरफ से परिवारवाद सभी को नजर आ रहा है और अब कांग्रेस के अच्छे दिन नहीं चल रहे है ऐसे में किसी को भी कांग्रेस का हाथ छोड़ने में समय नहीं लगेगा।
 
 
कांग्रेस में दिल्ली से लेकर राज्यों तक चल रही गुटबाजी से सभी वाकिफ है। सत्ता से दूर होने की वजह से लोग कांग्रेस में सत्ता का सुख नहीं भोग पा रहे है इसलिए वह अब कांग्रेस का हाथ छोड़ना चाहते है। कांग्रेस की आलाकमान सोनिया गांधी पार्टी के नवयुवकों पर पूरी तरह से विश्वास नहीं कर पा रही है नतीजा वह किसी भी पद पर सिर्फ अपने कुछ पुराने विश्वसनीय लोगों को ही देखना चाहती है जबकि पार्टी का नवयुवा इससे नाराज हो रहा है। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 

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