मुसलमानों और यादवों के बढ़ते प्रभाव ने सपा को हराया !

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Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Akhilesh Yadav during an Iftar party at his residence in Lucknow on Thursday. PTI Photo by Nand Kumar (PTI8_16_2012_000202B)
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उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम विरोधी दलों को हैरान कर रहे होंगे लेकिन जिन लोगों ने उत्तर प्रदेश की सियासत को जमीनी स्तर पर देखा होगा उन्हें हैरानी नहीं हुई होगी। चुनाव जीत और हार के बहुत कारण होते है लेकिन इस बार यूपी चुनाव में एक कारण लोगों के…

बदल गए राजनीति के पैंतरे : जाति नही वर्ग के फैसले

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चुनाव आयोग ने 8 जनवरी 2022 को पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए चुनाव का शंखनाद किया था। ये राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा। फरवरी-मार्च में सात चरणों में मतदान सम्पन्न हुए। 10 मार्च को मतगणना सम्पन्न हुई, ये तथ्य सभी को ज्ञात हैं। वैसे तो…

भाजपा का बहुत कुछ दांव पर है इन चुनावों में

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में किसी एक पार्टी पर देश से लेकर विदेश की नजर है तो वह है, भाजपा। केंद्र में सत्तासीन होने के साथ-साथ 4 राज्यों में उसकी सरकारें हैं तो स्वभाविक ही उसके प्रदर्शनों पर सबकी नजर होगी।  स्वयं भाजपा के लिए ये चुनाव कितने महत्वपूर्ण…

स्व की आध्यात्मिकता से राष्ट्रीय एकात्मकता और अखंडता आयेगी – डॉ. मोहन भागवत जी

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हम स्वाधीन हुये लेकिन अभी भी हम स्वतंत्र होने की प्रक्रिया में हैं।  इस स्वाधीनता के लिये सभी वर्ग क्षेत्र समाज के लोगों ने त्याग व् बलिदान दिया और स्वाधीनता को लेकर सबके मन  में समान भाव था. जो बातें कुंद्रा डिक्लेरेशन में सन 1830 में कही गई थी वही…

फिर से हाईजैक न हो जाए आज़ादी

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पटना से लौट रहा हूँ. यूँ तो मैं हमेशा अपने छोटे चाचा (छोटका बाबूजी) से डरता और छुपता आया हूँ पर इस बार पहली बार हिम्मत करके उनके साथ बैठ कर उनसे बहुत सी बातें की। मैं संघ के कार्यक्रम में आया था यह जानकर उन्होंने कहा - हमारे घर…

संघ प्रवाही है अत: प्रासंगिक है

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सामान्य तौर पर लोग इस वटवृक्ष को संघ परिवार भी कहते हैं, परंतु संघ का स्वयं का मानना है कि ऐसा कोई संगठनों का समूह उसने तैयार नहीं किया जिसे संघ परिवार कहा जाए। संघ समाज में एक संगठन नहीं है बल्कि समाज का संगठन करने वाला एक सतत प्रवाह है। इसीलिए समय के साथ-साथ इसकी प्रासंगिकता भी बढ़ती रही है।

भारतबोध का अभ्युदय और वामपंथ का उखड़ता कुनबा

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सूचना क्रांति ने भारत के करोड़ों नागरिकों के मन मस्तिष्क से उन जालों को हटाने का काम किया है जिसे वामपंथियों ने नकली बौद्धिक गिरोहबंदी से खड़ा कर दिया था। ध्यान से देखा जाए तो भारत अब भारतबोध के साथ जीना सीख रहा है। पश्चिमी मीडिया के लिए भारत के हिन्दू तत्व औऱ दर्शन सदैव उसी अनुपात में हिकारत भरे रहे हैं जैसे कि भारत के वाम बुद्धिजीवियों का बड़ा वर्ग प्रस्तुत करता आया हैं।

पाक प्रेम: जिस भारत ने सब कुछ दिया उसके खिलाफ ही नारेबाजी

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Lucknow: BJP leader Yogi Adityanath addresses a press conference in Lucknow on Feb 8, 2017. (Photo: IANS)
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किसी व्यक्ति के लिए क्या देश से बड़ी उसकी कौम या उसका मजहब हो सकता है? शायद आप का भी जवाब 'ना' होगा लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो मजहब को देश के ऊपर रखने की कोशिश कर रहे हैं। दुनिया में हजारो धर्म के लोग है और सभी का धर्म अपनी…

शाह ने कश्मीर में नए दौर को सशक्त करने का ही संदेश दिया

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गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर यात्रा ऐसे समय हुई जब प्रदेश को उनकी आवश्यकता थी तथा देश भी जानना चाहता था कि सरकार की नीति रणनीति क्या है। ऐसे समय जब हिंदुओं ,सिख ,गैर कश्मीरियों तथा भारत की बात करने वालों पर आतंकवादी हमले हो रहे हों, आतंकवादियों…

बिन डेटा सब सून

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‘वत्स इनका विराट स्वरुप है। इनके रुप गूगल बाबा, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंकडिन, टेलीग्राम, व्हाट्सअप, ऑरकुट (अब दिवंगत) नेटफ्लिक्स, अमेजॉन, बालाजी और वूट आदि हैं।’ गुरु मां इनका स्मरण करने से क्या होता है? ‘वत्स ये वे हैं, जिनके स्मरण मात्र से सब संभव हो जाता है, नालासोपारा का इंसान…

स्वायत्त बहुजन राजनीति और कांशीराम की विरासत..

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क्या देश की संसदीय राजनीति में 'स्वायत्त दलित राजनीतिक अवधारणा' के दिन लद रहे है या राष्ट्रीय दलों में  दलित प्रतिनिधित्व की  नई राजनीति इसे विस्थापित कर रही है।कांग्रेस एवं भाजपा जैसे दलों में दलित नुमाइंदगी प्रतीकात्मक होने के आरोप के  साथ बहुजन राजनीति की शुरुआत हुई थी। बड़ा सवाल…

बोनसाई हो जाना रावण का..

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कस्बे के बच्चे उदास हैं। बच्चों की उदासी मुझसे देखी नहीं जाती। उनकी उदासी की वजह जाननी चाही तो उन्होंने कहा, अंकल इस बार दशहरे पर रावण  देखने भी नहीं जा पाएंगे। वर्चुअल क्लास की तरह ही वर्चुअल ही रावण दहन देखना पड़ेगा। जिन्दगी में थोड़ा-बहुत असली भी तो होना…

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