
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबानी कब्जे के बाद देश छोड़ दिया और बाहर किसी अन्य देश चले गये। अशरफ गनी के देश छोड़ने को लेकर राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे है और उन्हें एक गद्दार बता रहे है। अफगानिस्तान में वर्तमान हालात बिलकुल बिगड़े हुए है ऐसे में राष्ट्रपति का देश छोड़ना ठीक नहीं था। वहीं भारत ने भी अफगानिस्तान से अपने सभी अधिकारियों और राजदूतों को वापस बुला लिया है। अफगानिस्तान के एक डैम पर कुछ भारतीय इंजिनियर फंसे थे जिन्हे एयरलिफ्ट कर लिया गया। इसलिए अब अफगानिस्तान में भारत का एक भी नागरिक नहीं है।

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि काबुल एयरपोर्ट पर 6000 अमेरिकी सैनिकों को उतारा जायेगा जिससे हम अमेरिकी व सहयोगी देशों के नागरिकों को बचा सकेंगे और उन्हें वहां से सुरक्षित निकालेंगे। उधर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दिखावे के लिए बयान जारी कर कहा गया कि सभी लोग संयम से काम लें। महासचिव एंतोनियों गुतारेस ने कहा कि हम अफगानिस्तान की महिलाओं, लड़कियों और लोगों के मानवाधिकार की रक्षा करने का संकल्प लेते है हालांकि अफगानिस्तान के हालात देखते हुए ऐसे बयान को सिर्फ हंसी का एक बयान मानेंगे।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा भारत के लिए भी शुभ संकेत नहीं है और इसका जिक्र कुछ राजनेताओं ने किया है क्योंकि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन हमेशा से हमारे लिए सिरदर्द बने हुए है ऐसे में उन्हे तालिबान का साथ मिल सकता है। इसलिए भारतीय सीमाओं को और भी मजबूत करने व सतर्क रहने की जरूरत है। तालिबान चीन व पाकिस्तान की सह पर भारत की तरफ भी हाथ बढ़ाने की कोशिश कर सकता है ऐसे में भारतीय सेना को अलर्ट रहना चाहिए।