महाराष्ट्र में मंदिर का विवाद लगातार तेज होता जा रहा है और हर तरह से उद्धव सरकार पर लोग हमला बोल रहे है। बीजेपी की तरफ से आरोप लगाया गया है कि जब राज्य में शराब खुले आम बेची जा सकती है तो फिर मंदिर को क्यों नहीं खोला जा रहा है जबकि शराब की दुकान से कम ही मंदिर पर भीड़ होती है इसके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी मंदिर को लेकर उद्धव सरकार से सवाल किया है कि महाराष्ट्र में मंदिर को खोलने में देरी क्यों हो रही है।
बीजेपी की तरफ से महाराष्ट्र के अलग अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन किया गया और उद्धव सरकार को हिन्दू विरोधी भी बताया गया। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से बाजार, मॉल और शराब की दुकानों को खोलने का आदेश दे दिया गया है जबकि सिर्फ मंदिर को अभी तक बंद रखा गया है सरकार की तरफ से कहा गया है कि फिर से तीसरी लहर की उम्मीद है इसलिए सरकार किसी भी तरह का रिस्क लेने को तैयार नहीं है जबकि बीजेपी इसे एक राजनीति बता रही है।
महाराष्ट्र के बाजारों या फिर समाचार पत्रों पर नजर डालें तो हर दिन सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नजर आती है और यह सरकार को भी नजर आ रहा होगा वह अलग बात है कि प्रशासन और शासन इसे अनदेखा कर देती है। कोरोना के लिए सरकार भले ही तैयार हो या फिर अपना नाम नहीं खराब करना चाहती हो लेकिन आम जनता के लिए बाजार का खुलना बहुत जरुरी हो चुका है। लॉकडाउन के बाद से लोग घरों में कैद है जिससे तमाम लोग डिप्रेशन में जा चुके है क्योंकि समाज से उनका संबंध बिल्कुल खत्म हो गया है।
उधर उद्धव ठाकरे ने अपने बचाव में कहा कि देश में तीसरी लहर आ सकती है इसलिए अभी भी पाबंदी जरुरी है उन्होनें केंद्र सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें एक चिट्ठी भी मिली है जिसमें यह साफ कहा गया है कि तीसरी लहर को देखते हुए सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी प्रतिबंध होना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार किसी भी कीमत पर आम जनता की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकती है।