इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट्राचार पर जय प्रकाश नारायण ने उठाई थी आवाज

जय प्रकाश नारायण को क्रांति का जनक माना जाता है और उन्होने ही इंदिरा सरकार से लोहा लिया था जिसकी मिसाल आज तक दी जाती है। जय प्रकाश नारायण के पीछे चलने वाले मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, सुशील मोदी और जार्ज फर्नांडीज जैसे लोगों ने सत्ता का सुख भोगा और दुख की बात यह रही कि कभी जय प्रकाश के खास चेले रहे यह लोग अब उनकी ही विचारधारा को भूल चुके हैं। जय प्रकाश नारायण ही वह शख्स थे जिन्होंने आम जनता के लिए खुद को आंदोलन में झोक दिया। उस समय में इंदिरा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना इतना आसान नहीं था। मीडिया और सोशल मीडिया का समर्थन करीब ना के बराबर होता था अगर उस समय हत्या भी हो जाती तो बहुत ही कम लोगों को पता चलता लेकिन इन सब के बावजूद भी जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया।

11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा में जन्में जय प्रकाश नारायण शुरुआती शिक्षा बिहार से प्राप्त किया और बाद में पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गये लेकिन राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत नारायण का अमेरिका में बहुत मन नहीं लगा और वह फिर भारत वापस आ गये। 1920 में जय प्रकाश नारायण का विवाह प्रभा से हो गया। प्रभा स्वभाव से बहुत ही सरल और नेक थी ऐसा कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई देश में तेजी से चल रही थी उसी दौरान प्रभा ने जय प्रकाश नारायण को गांधी जी से मिलने को कहा और यहीं से जय प्रकाश नारायण देश की आजादी में कूद गये। हालांकि जय प्रकाश नारायण शुरुआती दौर में शस्त्रों के बल पर अंग्रेजों को बाहर निकालने की बाद करते थे लेकिन जब गांधी जी से मुलाकात के बाद उनके विचारों में परिवर्तन आया और वह अहिंसा के पथ पर चलने लगे।

जय प्रकाश नारायण को कभी भी सत्ता का मोह नहीं था ऐसा हम इसलिए कहते हैं क्योंकि नेहरू से मुलाकात के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गये और जब देश में पहली बार नेहरू की सरकार बनी तो जय प्रकाश नारायण को मंत्रिमंडल में जगह दी जाने लगी लेकिन उन्होंने नेहरू का यह ऑफर ठुकरा दिया और कहा कि उन्हें सरकार में नहीं आना है उन्हें सिर्फ जनता की सेवा करना है और उनके हक के लिए लड़ना है। 1975 में जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी तभी जय प्रकाश नारायण ने उनके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया क्योंकि वह इंदिरा सरकार के कामकाज से खुश नहीं थे। देश में बेरोजगारी, भुखमरी और भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा था। 5 जून 1975 को एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए जय प्रकाश नारायण ने कहा कि इस (इंदिरा) सरकार में जनता की अनदेखी हो रही है इसलिए अब इसे गिराना होगा।

5 जून को अपने भाषण में जय प्रकाश नारायण ने कहा कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शिक्षा में क्रांति की जरूरत है लेकिन यह वर्तमान सरकार के लिए संभव नहीं है क्योंकि इस सरकार की ही यह देन है। यह सभी पूरा हो सकता है जब संपूर्ण क्रांति होगी और यह सरकार गिरा दी जायेगी। उस समय देश में तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ रहा था जिसके बाद जय प्रकाश नारायण ने यह क्रांति शुरु की। इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे जिसको निचली अदालत ने सही करार दिया जिसके बाद इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आवाज तेज हो गयी। देश में विरोध तेजी से होने लगा सभी को ऐसा लगा कि इंदिरा सरकार अब गिर जायेगी लेकिन यह इंदिरा को मंजूर नहीं था लिहाजा इंदिरा ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से मुलाकात की और देश में आपातकाल लागू कर दिया जिसके बाद जय प्रकाश नारायण सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

आपातकाल के दौरान पूरे देश से उन सभी नेताओं को गिरफ्तार किया गया जो सभी सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक पूरे देश में आपातकाल लागू रहा लेकिन 21 महीने बाद जब आपातकाल हटा और फिर से चुनाव हुए तो देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी और यहीं से जनता दल का उदय हुआ जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के रूप में तब्दील हो गयी। क्रांति आंदोलन के साथ साथ जय प्रकाश नारायण के नाम और भी कई उपलब्धियां रही, उन्होंने करीब 400 से अधिक चंबल के डकैतों का आत्म समर्पण करवाया था। जय प्रकाश नारायण को 1988 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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