भारतीय टेलिकॉम सेक्टर को आप दो भागो में बांट कर देख सकते हैं पहला भाग 2016 के पहले का है जबकि दूसरा भाग 5 सितंबर 2016 के बाद का है। अब आप शायद यह सोच सकते हैं कि आखिर किस आधार पर इस तरह का बंटवारा किया जा रहा है। दरअसल टेलीकॉम सेक्टर शुरु में बहुत ही महंगा हुआ करता था हर किसी के लिए महीने का रिचार्ज करना मुश्किल होता था उसके बाद थोड़ा सुधार हुआ और इंटरनेट सेवा की भी शुरुआत हो गयी। पहले 2G, 3G और फिर 4G की सेवा लोगों को मिलने लगी लेकिन इसके साथ ही लोगों की जेब पर असर पड़ने लगा क्योंकि अब बात करने के साथ साथ इंटरनेट का भी अलग से रिचार्ज करना पड़ता था। इन दोनों रिचार्ज का खर्च इस तरह बढ़ा कि अब लोगों के लिए यह भारी होने लगा।
5 सितंबर 2016 को रिलायंस जियो की तरफ से एक क्रांति हुई और यह सब कुछ मुफ्त में दिया जाने लगा जबकि उस समय 1 जीबी डेटा के लिए 250-300 रुपये खर्च करने पड़ते थे ऐसे समय में JIO की तरफ से सबकुछ मुफ्त कर दिया गया और बाकी कंपनियों को एक बड़ा झटका दिया गया। जिओ की तरफ से यह कदम किस खास वजह से उठाया गया यह तो नहीं पता लेकिन जिओ के इस कदम से ना सिर्फ लोगों को फायदा हुआ बल्कि कई ऑनलाइन स्टार्टअप भी शुरु हो गये। ओटीटी प्लेटफार्म कंपनियों को भी बहुत फायदा हुआ और लॉकडाउन के दौरान लोगों ने फ्री इंटरनेट के जरिए ही पूरा समय घर पर निकाल दिया। जिओ की वजह से ही ऑनलाइन शिक्षा का भी प्रसार बढ़ा है और ऑनलाइन की खरीददारी भी बढ़ गयी। जिओ के इस कदम से बाकी टेलीकॉम कंपनियां खुद को बाजार से बाहर होता देखने लगी जिसके बाद उनकी तरफ से भी फ्री के ऑफर की बरसात होने लगी और ग्राहकों ने जमकर इसका लाभ उठाया लेकिन अब इसकी कीमत चुकाने का समय आ गया है।
अब सवाल यह है कि क्या दुनिया में कुछ भी फ्री है? खासकर वह जिसे खुद इंसान पैदा करता है तो शायद नहीं। दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं होता है कहीं ना कहीं हम उसकी कीमत चुकाते ही है। टेलीकॉम कंपनियों ने कई सालों तक हमें खूब फ्री का ऑफर दिया और हमने उसका फायदा भी उठाया लेकिन अब समय उसकी कीमत चुकाने का आ गया है। दरअसल मार्केट में बहुत सारी टेलिकॉम कंपनियां घाटे के बाद बंद भी हो चुकी है और अब सिर्फ तीन टेलिकॉम कंपनियां बची है जिसमें जिओ, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया बची है। अब जाहिर है कि अगर मार्केट पर कुछ लोगों का ही कब्जा होगा तो वह मनमानी जरूर करेंगे और ऐसा ही कुछ टेलिकॉम कंपनियों की तरफ अब होता नजर आ रहा है। जिओ, एयरटेल और वोडाफोन की तरफ से वित्तीय सुधार का हवाला देते हुए उनके प्लान में 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गयी है। एक साथ इतनी बढ़ोत्तरी होना बहुत बड़ी बात है साथ ही चिंता इस बात की भी है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।
टेलिकॉम कंपनियों ने सस्ता इंटरनेट और अनलिमिटेड टॉकटाइम की सुविधा दे कर देश के विकास में बड़ा सहयोग दिया है। ऑनलाइन शिक्षा, ओटीटी प्लेटफार्म, ई-कामर्स प्लेटफार्म, स्विगी, जोमैटो और ऑनलाइन पेमेंट जैसे स्टार्टअप इसकी वजह से ही सफल हुए और लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए लेकिन जिओ, एयरटेल और वोडाफोन की तरफ से दी गयी इस सुविधा ने अब लोगों की आदत बिगाड़ दी है और अब आप चाहकर भी इन सब से दूरी नहीं बना सकते हैं तो अब टेलिकॉम कंपनियां अपने रिचार्ज की कीमत कितनी भी बढ़ा दें हम सभी को उसे स्वीकार करना ही होगा और यह टेलिकॉम बाजार कुछ लोगों के हाथों का गुलाम हो जाएगा।
टेलिकॉम सेक्टर में कभी BSNL और MTNL का दबदबा होता था और पूरे देश में इससे बड़ा नेटवर्क किसी का नहीं था लेकिन तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा में यह सरकारी कंपनियां बहुत पीछे रह गयी। शुरु में BSNL और MTNL की तरफ से जो काम किया गया उसकी रिकवरी भी नहीं हो पायी जिससे यह तेजी से घाटे में जाने लगी। BSNL और MTNL के टूटने को लेकर सरकार और कर्मचारी दोनों को दोषी बताया जाता है। कर्मचारियों ने सही काम नहीं किया और सरकार ने उन पर ध्यान नहीं दिया नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2020 जनवरी में BSNL के करीब 80 हजार कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त कर दिया गया। अगर बाजार में एक भी सरकारी टेलीकॉम कंपनी होती तो प्राइवेट वाले टैरिफ प्लान बढ़ाने से पहले जरूर सोचते लेकिन अब उनके सामने का रास्ता खुला है।