मोबाइल कंपनियों की बढ़ती मनमानी!
भारतीय टेलिकॉम सेक्टर को आप दो भागो में बांट कर देख सकते हैं पहला भाग 2016 के पहले का है जबकि दूसरा भाग 5 सितंबर 2016 के बाद का है। अब आप शायद यह सोच सकते हैं कि आखिर किस आधार पर इस तरह का बंटवारा किया जा रहा है।…
भारतीय टेलिकॉम सेक्टर को आप दो भागो में बांट कर देख सकते हैं पहला भाग 2016 के पहले का है जबकि दूसरा भाग 5 सितंबर 2016 के बाद का है। अब आप शायद यह सोच सकते हैं कि आखिर किस आधार पर इस तरह का बंटवारा किया जा रहा है।…
बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना काल के दौरान जब लोग घरों में कैद रहने को विवश हो गए, तो ये ऐप उनका बड़ा सहारा बने और दुनिया को इसका एहसास हुआ कि अगर इंटरनेट न होता, वेबसाइट्स न होती और ये मोबाइल एप्स न होते, तो सच में दुनिया की चाल एकदम से थम जाती।
वहां फर्जी दस्तावेज बनवाने के लिए लोग जाते हैं और नया पहचान पत्र मिल जाता है। अफगानिस्तान के लोगों को कई मुल्कों में प्रवेश नहीं है। उनका पासपोर्ट भारत में बनाकर उन्हें विदेश भेजने वाला गिरोह दिल्ली के जंगपुरा-भोगल इलाके में सक्रिय रहा है। बताया जाता है कि नए पहचान पत्र से लेकर पासपोर्ट बनाने तक की उनकी यात्रा में डार्क नेट का बहुत बड़ा योगदान है।
मानव ने अपनी सुविधा के लिए इंटरनेट का आविष्कार किया है। इसके आधार पर नित्य नूतन आविष्कार हो रहे हैं परंतु अगर मनुष्य इसकी मर्यादा भूलकर स्वयं को उसके अधीन कर दे तो निश्चित ही समस्या का सामना करेगा। इंटरनेट के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने या कुछ देर के मनोरंजन तक उसे सीमित कर दें, उसे अपने ऊपर हावी न होने दें, क्योंकि बात केवल एक क्लिक की है जो या तो हमारे ज्ञान में वृद्धि करेगी या हमें उस्तरा थामने वाला बंदर बनायेगी।
माना जा रहा है कि विश्व में उपलब्ध लगभग 95% जानकारियां डिजिटल रूप में परिवर्तित कर इंटरनेट के माध्यम से जन सामान्य के लिए उपलब्ध करा दी गई हैं। इंटरनेट ने संचार विधा में संपूर्ण परिवर्तन ला दिया है, ज्ञान की उपलब्धता सुनिश्चित की है और सामाजिक स्तर पर पारस्परिक संवाद को न केवल बढ़ावा दिया है बल्कि हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। हालांकि विश्व में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए परिवर्तनों से जीवन में आए बदलावों की ही तरह समाज में इंटरनेट के कारण भी अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं।