समाजवादी पार्टी सहित सभी पार्टियों को योगी आदित्यनाथ और मोदी नेतृत्व का विकल्प प्रस्तुत करने में दशकों लगेंगे। अभी तो प्रदेश की जनता बीजेपी से बहुत नाराज नहीं दिखती है तथा समस्त वोटर सर्वे योगी को तथा बीजेपी को प्रथम स्थान पर ही दिखा रहे हैं। योगी की कर्मठता, ईमानदारी तथा बेबाकी सभी विपक्षियों पर भारी है। गठबंधन तो विगत चुनाव में भी सफल नहीं हुई थी और आज तो 2017 के सापेक्ष सत्तापक्ष की स्थिति और सुथरी दिखाई पड़ती है।
उत्तर प्रदेश ने 14 में से मोदी सहित 9 प्रधानमंत्री दे कर अपनी राजनैतिक चेतना का परिचय दिया है। भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध ने अपने जन्म हेतु इसी धरा को चुना। कुल 404 विधानसभा सदस्य, 100 विधान परिषद सदस्य, 31 राज्यसभा सदस्य यहां से चुने जाते हैं। 2022 में 18वीं विधानसभा का चुनाव होगा क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को समाप्त होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा, मणिपुर में भी चुनाव होंगे परन्तु सभी राजनीतिज्ञों की नजर उत्तर प्रदेश पर रहेगी क्योंकि यह राजनैतिक विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली की केन्द्रीय सरकार के बनने में सर्वाधिक महत्व रखता हैं।
विगत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। समाजवादी गठबन्धन को 54 सीटें मिली थी। बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटें मिली थीं। प्रदेश की साक्षरता दर 67.7% है परन्तु राजनैतिक चेतना प्रबल है। कुल 1,06,774 गांवों में बसा यह प्रदेश नई चुनाव के आहट से सजग हो गया है। फरवरी से मार्च 2022 के मध्य प्रदेश में चुनाव होंगे। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी, अपना दल नेता अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी नेता प्रवीण कुमार निषाद एक तरफ मैदान में ताल ठोक रहे है। बीजेपी अन्य दलों से भी गठबन्धन बनाने के लिए प्रयासरत है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नेता ओम प्रकाश राजभर तथा राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव एक साथ चुनाव लड़ेंगे। और दलों को भी गठबन्धन में सम्मिलित करने के प्रयास जारी हैं। बहुजन समाज पार्टी खामोशी से अकेले चुनाव लड़ने को तैयार है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता सजंय सिंह, तृणमूल कांग्रेस नेता नीरज राय, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी नेता गिरीश शर्मा, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी मार्क्सवादी नेता हीरा लाल यादव, जनता दल युनाइटेड, जनता दल लोकतान्त्रिक नेता रघुराज प्रताप सिंह, आल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (अखचखच) नेता शौकत अली व ओवैसी के नेतृत्व में चुनाव मैदान में है। अखचखच ने अकेले 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अपना दल नेता कृष्णा पटेल, जनाधिकार पार्टी नेता बाबू सिंह कुशवाहा, विकासशील इंसान पार्टी नेता मुकेश साहनी, लोक जनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान, आजाद समाज पार्टी नेता चन्द्रशेखर आजाद रावण भी चुनाव मैदान में हैं। प्रदेश पूर्वाचल, मध्य क्षेत्र, बुन्देलखण्ड व पश्चिमी उ.प्र. के जाट बहुल क्षेत्र में विभाजित है।
प्रदेश में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी दल, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के मध्य में हैं। इनकी ताकत व संगठन क्षमता भी इसी क्रम में है। नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी का चुनाव अभियान जहां तेजी से प्रारम्भ हो गया हैं। वहीं अखिलेश यादव जनरथ यात्रा पूरी कर चुके हैं। प्रियंका गांधी भी पूरा जोर लगा रही हैं। प्रचार में बहुजन समाज पार्टी जातिगत सम्मेलनों में व्यस्त हैं। मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुल 8 विधानसभा सीटें क्रमश: वाराणसी उत्तरी, वाराणसी कैण्टोनमेन्ट, रोहनियां, शिवपुर, सबरी, पिण्डरा, अजगरा और वाराणसी दक्षिणी हैं। विगत चुनाव में अधिकतर सीटें बीजेपी के हाथ लगी थीं।
विगत 2017 में कुल 7 चरणों में चुनाव हुए थे। इस वर्ष चुनाव आयोग ने चुनावी तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। विगत चुनाव में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन बीजेपी+अपना दल (सोनेलाल पटेल)+सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) ने कुल 325 सीटों पर जीत प्राप्त की थी और 41.35% मत प्राप्त हुए थे। गत चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने 28.7 प्रतिशत मत प्राप्त कर 54 सीटें जीती थी, जिनके 47 समाजवादी पार्टी ने एवं 7 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। बहुजन समाज पार्टी को 22.23% मत एवं 19 सीटें मिली थीं। राष्ट्रीय लोकदल को 1.78% मत से एक सीट मिली थी। निषाद पार्टी को एक व निर्दलीयों को 3 सीटें प्राप्त हुई थी।
यद्यपि आगामी चुनावों में समीकरण बदले हैं। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं और उनकी लोकप्रियता राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है। समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव जीतना चाहती है। मुख्य मुकाबला इन्ही दो दलों के मध्य है। योगी जी ने डबल इंजन की सरकार बनाकर प्रदेश में वास्तविक प्रगति के आंकड़ों में वृद्धि की है। पूर्वांचल एक्सप्रेस हाईवे का उद्घाटन कराया है और प्रयागराज से मेरठ एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास कर रहे है। नि:संदेह उत्तर प्रदेश में अपराध दर में गिरावट आई है। डकैती, लूट, हत्या दंगा, बलात्कार और बलवों में कमी आई है। बड़े अपराधी जैसे मुख्तार अंसारी अतीक अहमद, संजय सिंह, दबंग नेता आजम खां जेल में हैं और सरकार द्वारा इनकी संपत्तियां कब्जे में ली गई हैं। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति से समाज पहले की अपेक्षा अधिक सुरक्षित हुआ हैं।
केवल कोरोना काल में 56000 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ। देश की पहली डिस्प्ले यूनिट व डेटा सेन्टर पार्क स्थापित हो रहे है। सैन्य उपकरणों हेतु डिफेंस कॉरिडोर ने नई आशा जगाई है। ग्रेटर नोएडा में एशिया का सबसे सुन्दर जेवर एयरपोर्ट बनाने तथा फिल्म सिटी की घोषणा से राष्ट्रीय फिल्म उद्योग को उत्तर प्रदेश में नई संभावनाएं दिखाई पड़ रही है। योगी सरकार का दावा है कि सर्वाधिक चीनी उत्पादन एवं गन्ना मूल्य भुगतान, नई मिलों का संचालन, गोरखपुर खाद कारखाना स्थापित होने के कारण प्रगति को नया आयाम मिला है। वर्ष 1972 से लम्बित सरयू नहर एवं बांध योजना पूर्ण होने से पूर्वांचल के 30 जिलों को लाभ मिला है। 11 अन्य सिंचाई परियोजना पूर्ण हुई है।
आज उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन में देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर, मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान, माता विंध्यवासिनी एवं शकुम्भरी देवी का विकास कार्य अद्वितीय रहा है। एक जिला एक उत्पाद योजना सफल सिद्ध हुई है। विद्युत उत्पादन में जिला मुख्यालय में 24 घंटे व ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली पहुंची है तथा 1 लाख 21 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा हुआ है। सांस्कृतिक संरक्षण व राष्ट्रवाद के क्षेत्र में कल्पनातीत कार्य हुए हैं जिसमें संभवत: आजादी के 70 वर्षों के बाद प्रदेश के बहुसंख्यक समाज को हार्दिक शांति एवं संतोष प्राप्त हुआ है और उनकी घोर निराशा, उच्च मनोबल में परिवर्तित हुई है। धारा 370 और 35ए की समाप्ति, राम मंदिर निर्माण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़े गौरव ने जनता का मस्तक गर्व से ऊंचा उठा दिया है। यह असंभव कार्य संभव बना कर बीजेपी ने ’जो कहा उसे पूरा किया’ का वचन निभाया है। अल्पसंख्यक समाज में भी दंगों पर काबू करना, बिना भेदभाव के उनको सुविधाओं को उपलब्ध कराने व तीन तलाक की प्रक्रिया में सुधार लाने के कारण बीजेपी के प्रति निकटता को बढ़ाया है। यद्यपि असदुद्दीन ओवैसी के प्रदेश में सघन प्रचार के कारण मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण बढ़ा है। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय का रणनीतिक वोट केवल उन्हें ही एकमुश्त मिलेगा परंतु ऐसा कम ही होगा। वोट तो सभी के बटेंगे। हो सकता है कि आगामी चुनाव राजनीति को कुछ नया आयाम दे।
समाजवादी पार्टी सहित सभी पार्टियों को योगी आदित्यनाथ और मोदी नेतृत्व का विकल्प प्रस्तुत करने में दशकों लगेंगे। अभी तो प्रदेश की जनता बीजेपी से बहुत नाराज नहीं दिखती है तथा समस्त वोटर सर्वे योगी को तथा बीजेपी को प्रथम स्थान पर ही दिखा रहे हैं। योगी की कर्मठता, ईमानदारी तथा बेबाकी सभी विपक्षियों पर भारी है। गठबंधन तो विगत चुनाव में भी सफल नहीं हुई थी और आज तो 2017 के सापेक्ष सत्तापक्ष की स्थिति और सुथरी दिखाई पड़ती है।
किसान आंदोलन, शिक्षक भर्ती, प्रश्नपत्र आउट हो जाने व लखीमपुरखीरी किसान आंदोलन का सत्तापक्ष द्वारा डैमेज कंट्रोल तेजी से संभव बनाया जा रहा है। मोदी जी पर और योगी जी पर जनता का आज भी विश्वास कायम है और इनके आसपास अभी कोई पहुंचता दिखाई नहीं पड़ रहा है। चुनाव नजदीक आते तथा घोषणा होते ही बीजेपी की रणनीति व संगठन क्षमता और बढ़ने वाली है। विपक्षियों के सभी पत्ते खुल चुके हैं अत: नया कुछ नहीं आने वाला है। जातीय गणित साधना सभी के लिए टेढ़ी खीर है। इस चुनाव में भाजपा के सामने संगठन बल बढ़ाकर प्रदर्शन दोहराने और विपक्षियों के दमखम की अग्नि परीक्षा है।
अखिलेश के साथ पश्चिम में जयंत की चौधराहट कायम रहे यह मुश्किल लग रहा है। जयंत की मुश्किलें बढ़ रही है। पश्चिम में जाट गुर्जर और मुसलमान एकता रालोद की पाला बदल नीति से कमजोर हुई है और रालोद की साख गिरी है। मोदी ने वाराणसी में भाजपा के 13 मुख्यमंत्रियों की बैठक में युवा संगठन की बैठक में और संगठन की बैठक में स्पष्ट किया है कि इस वर्ष चुनाव में रिपोर्ट कार्ड व लोकप्रियता के आधार पर विधायकों को टिकट मिलेंगे। विधायक सिफारिश से दूर रहें और ऐसा काम करें कि जनता आपको फिर चुने। इस बात की संभावना बढ़ रही है कि यूपी में 100 -150 वर्तमान विधायकों के टिकट कटेंगे। यदि भाजपा यह हिम्मत दिखाती है तो उसकी जीत पक्की हो सकती है।