रतन टाटा एक सफल बिजनेस मैन है यह तो सभी को पता है लेकिन वह कितने नेकदिल इंसान है यह शायद कम ही लोगों को पता होगा और वह इसलिए क्योंकि वह अपने किसी भी काम का प्रचार नहीं करते हैं। रतन टाटा एक बड़े समाज सेवक भी हैं जो समय समय पर देश की सेवा करते रहते हैं। 28 दिंसबर 1937 को रतन टाटा का जन्म गुजरात के सूरत शहर में हुआ था हालांकि उस समय गुजरात का बंटवारा नहीं हुआ था इसलिए सूरत शहर भी मुंबई (बॉम्बे प्रोविन्स) का हिस्सा हुआ करता था। पारसी परिवार में पैदा हुए रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा जबकि माता का नाम सोनू टाटा था। रतन टाटा की शुरुआती पढ़ाई मुबंई से शुरु हुई लेकिन वह हावर्ड बिजनेस स्कूल पर जाकर खत्म हुई। रतन टाटा आज 84 वर्ष के हो गये। वह 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन भी रहे लेकिन टाटा चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन अभी भी हैं। टाटा ग्रुप का चेयरमैन रहने के दौरान रतन टाटा ने पूरे देश में अपना लोहा मनवाया।
जमशेद जी टाटा ने टाटा ग्रुप की स्थापना की थी और देश को एक नये व्यापार का रास्ता दिखाया था। जमशेद जी टाटा के सपने को उनकी पीढियों ने आगे बढ़ाया और उसे बहुत उंचाई तक ले गये। रतन टाटा भी उसमें से एक थे जिन्होंने टाटा ग्रुप को ऊंचाई दी और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। रतन टाटा ने जब व्यवसाय में कदम रखा तो सबसे पहले उन्हें वहीं कंपनियां दी गयी जो पहले से घाटे में थी लेकिन रतन टाटा ने अपनी सूझबूझ के चलते ऐसी कंपनियों को ना सिर्फ घाटे से बाहर निकाला बल्कि बाजार में उनकी हिस्सेदारी को भी बढ़ा दिया। रतन टाटा ने करीब 1971 के दौरान काम शुरु किया था और नेल्को में बतौर डायरेक्टर इन चार्ज नियुक्त किये गये थे उस समय कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी मात्र 2 प्रतिशत थी और घाटा 40 प्रतिशत के करीब था। करीब 4 साल में ही नेल्कों को रतन टाटा के सुझाओं का लाभ मिला और बाजार की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक बढ़ गयी लेकिन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल की घोषणा के बाद टाटा ग्रुप का बहुत नुकसान हुआ और रतन टाटा की बढ़ती ग्रोथ पर रोक लग गयी।
बाद रतन टाटा ने भारत की सीमा को लांघकर बाहर भी व्यापार शुरु किया। टाटा ने जब बाहर की दुनिया में कदम रखा तो कई कंपनियों का अधिग्रहण भी कर लिया जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल थी। यह टाटा को टक्कर देने वाली कंपनियां थी लेकिन वह टाटा की रणनीति के आगे टिक नहीं सकी और खुद को टाटा के हाथों बेंच दिया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) की स्थापना भी रतन टाटा के समय में की गयी। समय के साथ साथ टाटा ने अपना लोहा मनवाया और पूरी दुनिया में एक बड़ा चेहरा बन कर उभरे। टाटा की लखटकिया कार नैनो भी बहुत चर्चा में रही थी हालांकि उसे मनमुताबिक सफलता हासिल नहीं हुई।
एक सफल बिजनेसमैन होने के साथ साथ रतन टाटा के पास एक बहुत ही सुंदर दिल है जिसमें वह सभी के लिए भावना रखते है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब एक व्यक्ति बहुत अधिक उंचाई पर पहुंच जाता है तो वह बाकी लोगों से दूर हो जाता है जबकि रतन टाटा के साथ ऐसा नहीं है वह एक सफल व्यक्ति होने के बावजूद सभी का ध्यान रखते है। सोशल वर्क भी बहुत करते है और मदद के लिए हमेशा वह आगे रहे। देश पर जब कभी भी मुसीबत पड़ी वह हमेशा तन, मन और धन से तैयार नजर आए। ऐसे महान व्यक्ति रतन टाटा जी को हिन्दी विवेक की तरफ से भी जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं।