उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार जातिवाद काफी बड़े पैमाने पर देखने को मिल रहा है हालांकि यह पहली बार नहीं हैं जब जाति का यह खेल हो रहा है बल्कि इससे पहले भी जाति के आधार पर वोट पड़े हैं। सपा और बसपा जैसी पार्टियां पूरी तरह से जाति के आधार पर ही अपना राजनीतिक सफर पूरा कर रही है लेकिन सवाल यह है कि अगर इस तरह से जाति के आधार पर ही नेता चुने जाएंगे तो फिर सिर्फ जाति का विकास होगा राज्य का नहीं। इस सब के बीच मुसलमानों की स्थिति कुछ और ही दर्द बयां कर रही है।
मुसलमानों पर सभी पार्टियां डोरे डाले हुए हैं हालांकि उनका वोट प्रतिशत उत्तर प्रदेश में करीब 19.3 फीसदी ही है लेकिन उस 19.3 फीसदी के लिए भी नेता पूरी मेहनत कर रहे हैं जबकि मुसलमान धर्म गुरुओं की माने तो उन्हें सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। कांग्रेस ने हमेशा से मुसलमानों को अपना वोटर बताया है और उनके समर्थन में बयान भी दिए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर मुसलमानों का विकास नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिहं यादव ने भी मुसलमानों के लिए जान देने तक की बात कही थी उसी के आधार पर मुसलमानों का वोट भी सपा को मिलता रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के स्तर में कुछ खास सुधार नहीं हुआ।
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, मुसलमान और दलित का वोट निर्णायक की भूमिका अदा करता है इसलिए सभी दल इन्हें लुभाने की कोशिश करते हैं, सपा यादवों की पार्टी कही जाती है लेकिन वह मुसलमानों और हिन्दूओं की अलग अलग जातियों को भी लुभाने के लिए अपना प्रयास करती है और यही हाल सभी पार्टियों का है। देश में सबसे अधिक हिन्दू वोटर हैं लेकिन उनके साथ एक अन्याय यह होता है कि उन्हें जाति के आधार पर विभाजित कर बताया जाता है। देश के बड़े बड़े मीडिया चैनल भी हिन्दू वोट को जाति और पूजा पद्धति के आधार पर विभाजित कर के बताते हैं इसलिए कोई भी दल हिन्दू वोटर की बात नहीं करता है बल्कि हिन्दू समाज को अलग अलग जातियों में विभाजित कर उनका वोट हासिल करता है। इसमें हिन्दुओं की तरफ से भी बड़ी कमीं है कि वह खुद समाज में बंटे हुए हैं और बाकी दल इसका बखूबी फायदा उठा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो वह हिन्दू वोटरों के हित में बात करती है और सभी जाति के लोगों के विकास की बात करती है। बीजेपी के शायद ही किसी नेता ने जाति आधारित वोट की बात कही हो वरना पार्टी में हिन्दुओं की ही बात होती है। बाकी दलों की तरफ बीजेपी हिंदुत्व के साथ आगे बढ़ती जा रही है और उसे अब समर्थन भी मिल रहा है। दरअसल बीजेपी का काम करने का तरीका मोदी और योगी के आने के बाद से बदला हुआ नजर आ रहा है बीजेपी अब बचाव के साथ साथ हमलावर स्थिति के साथ भी काम करती है। मोदी का सर्जिकल स्ट्राइक, योगी का आंदोलनकारियों से वसूली करना जैसे फैसले यह बताते हैं कि बीजेपी का चेहरा अब बदल चुका है और जनता इस बदले हुए चेहरे को पसंद भी कर रही है। योगी सरकार ने जो भी काम किया है उसका लाभ जनता तक पहुंचा है। योगी सरकार ने हिन्दू धर्म और खुद के फैसले का पुरजोर समर्थन किया है और उसे सही भी ठहराया है।
एक समय होता था जब चुनाव में सत्ताधारी पार्टी पर घोटालों का आरोप लगता था और विपक्ष जनता को यह बताते थे कि सत्ताधारी पार्टी ने घोटाला किया है इसलिए उसे मौका नहीं मिलना चाहिए लेकिन शायद यह पहली बार है जब बीजेपी का सभी राज्यों में यह कहकर विरोध किया जा रहा है कि यह पार्टी जनता के बीच नफरत फैला रही है जबकि विपक्ष के पास इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। अगर साफ शब्दों में कहें तो विरोध करने के लिए विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है। योगी सरकार में राज्य को एक्सप्रेस हाईवे, इवेस्टमेंट, फिल्मसिटी, मंदिरों का उद्धार और अनगिनत विकास के कार्यों को अंजाम दिया गया है लेकिन दुख इस बात का है कि उत्तर प्रदेश में अभी भी कुछ वोटर जाति के नाम पर ही वोट करते हैं और उन्हें विकासकार्यों से कोई सरोकार नहीं होता है।