हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
उत्तर प्रदेश चुनाव में छोटे दलों की भूमिका

उत्तर प्रदेश चुनाव में छोटे दलों की भूमिका

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति
0

चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव का ऐलान कर दिया है और इसी के साथ ही सभी दलों का प्रचार अभियान भी तेज हो चुका है लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में छोटे दलों का प्रतिशत अधिक नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रमुख पार्टी में बीजेपी और समाजवादी है जबकि बसपा को लड़ाई से बाहर बताया जा रहा है लेकिन इस बार छोटे दलों का बोलबाला ज्यादा नजर आ रहा है शायद इसलिए ही सपा और बीजेपी की तरफ से छोटे दलों को लुभाया भी जा रहा है और इसलिए ही छोटे दल भी अपनी मांग के मुताबिक पार्टी का चुनाव कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 7 चरणों में चुनाव होना है जिसकी शुरुआत फरवरी महीने से हो रही है और अंतिम चुनाव 7 मार्च के बाद 10 मार्च को इसका परिणाम घोषित किया जायेगा। 

उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें है पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो बीजेपी को 312 सीटें मिली थी जो अभी तक की सबसे अधिक सीट थी इससे पहले वर्ष 2012 में सपा की अखिलेश सरकार को जनता ने 224 सीटों के साथ सत्ता सौंपी थी और उससे भी पहले वर्ष 2007 में बसपा की मायावती को 206 सीटों के साथ विधानसभा पहुंचाया गया था यानी पिछले तीन विधानसभा चुनाव में जनता ने तीन अलग अलग पार्टियों को मौका दिया इसलिए अब इस बार यह कहना थोड़ा कठिन है कि जनता किसे सत्ता के सिंहासन पर बैठाएगी। पिछले दो सरकारों की तुलना में योगी सरकार का काम असरदार और दमदार रहा है इसलिए इस बार यह उम्मीद जताई जा रही है कि योगी सरकार को फिर से मौका मिल सकता है। 

उत्तर प्रदेश में छोटे दलों की संख्या दर्जनों में है और इसमें से कुछ प्रमुख दल जैसे राष्ट्रीय लोक दल, निषाद पार्टी, अपना दल और सुभासपा। यह सभी दल यूपी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं इसलिए इन्हें सपा और बीजेपी द्वारा विशेष स्थान दिया जा रहा है लेकिन अगर चुनाव में किसी भी दल को बहुमत मिलता है तो फिर इन छोटे दलों की कोई भूमिका नहीं होगी, अभी तक के चुनावी रुझान से यह पता चलता है कि बीजेपी को बहुमत मिल रहा है हालांकि चुनावी परिणाम आने के बाद ही इस पर से पर्दा उठेगा।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी

ओमप्रकाश राजभर ने वर्ष 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया और 4 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन चुनाव में जीत के बाद राजभर की उम्मीदें बढ़ने लगी जिसकी पूर्ति ना होने पर उन्होंने बीजेपी से दूरी बना ली और इस बार वह सपा की साइकिल के साथ चुनावी यात्रा शुरु कर रहे हैं। वर्ष 2002 में शुरु हुई सुभासपा का पूर्वी उत्तर प्रदेश के करीब 2 दर्जन सीटों पर प्रभाव माना जाता है लेकिन ओम प्रकाश राजभर का मानना है कि राज्य की करीब 100 सीटों पर उनके लोगों का प्रभाव है। 

अपना दल 

कुर्मी समुदाय को अपना वोटर बताने वाली अपना दल का भी प्रभाव वाराणसी सहित आसपास की सीटों पर माना जाता है। अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में यह दल अभी बीजेपी के साथ गठबंधन में है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपना दल की कुल 9 सीटें है लेकिन इस बार चुनाव के बाद यह सीटें कम या ज्यादा भी हो सकती है। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल वर्तमान में मिर्जापुर से सांसद है। वर्ष 1995 अपना दल की स्थापना डाक्टर सोनेलाल पटेल ने की थी लेकिन इस समय अनुप्रिया पटेल इस दल की प्रमुख नेता है। 

राष्ट्रीय लोकदल 

चौधरी अजीत सिंह ने वर्ष 1996 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया था जिसकी विस्तार सीमा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से लेकर मेरठ, मुजफ्फरनगर और बिजनौर तक है। वर्ष 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव की लहर में लोकदल की हालत सबसे अधिक बुरी हो गयी थी हालांकि बाकी क्षेत्रीय पार्टियों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा था। 2002 की मायावती सरकार में आरएलडी को मंत्री पद भी हासिल हुआ था लेकिन बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता ने राष्ट्रीय लोकदल की जड़ें हिला दी थी। 

महान दल 

उत्तर प्रदेश के मौर्य, भगत, भुजबल और सैनी समुदाय के लोगों में महान दल की अपनी एक पकड़ है। 2008 में बहुजन समाज पार्टी से अलग होकर केशव मौर्य ने इस पार्टी का गठन किया था हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य भी मौर्य समुदाय के नेता है लेकिन दोनों लोगों का दल बंटा हुआ है और अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ कर समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया है। 

निषाद पार्टी

उत्तर प्रदेश में नदियों के किनारे बसने वाले इस समुदाय के लोगों का राजनीति में भी काफी अच्छा योगदान रहा है इसलिए करीब करीब सभी दल इस समुदाय से जुड़े रहने की कोशिश करते रहते है। गाजियाबाद में यमुना नदी से लेकर प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे तक निषाद समुदाय की एक बड़ी जनसंख्या है और संजय निषाद की पार्टी हमेशा से इस समाज के लिए खड़ी रहती है। बीजेपी का निषाद पार्टी से अच्छे संबंध बताए जा रहे हैं और अभी तक निषाद पार्टी का गठबंधन भी बीजेपी के साथ में है। 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: election commissionhindi vivekhindi vivek magazinepolitical partiesup electionuttar pradeshvidhan sabha election

हिंदी विवेक

Next Post
राहुल गांधी ने मोदी की जान को बताया खतरा!

राहुल गांधी ने मोदी की जान को बताया खतरा!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0