लोकसभा में, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इस चर्चा में राहुल गाँधी ने भाषण दिया और हमेशा की तरह, मोदी शासन पर विभिन्न तरह के आरोप लगाए। अमूमन राहुल गाँधी के भाषण को कोई गंभीरता से नहीं लेता लेकिन इस भाषण में, उन्होंने ‘भारत एक राष्ट्र नहीं है’ सैद्धांतिक मुद्दा भी उपस्थित किया। मान लेते हैं कि राहुल गाँधी को, राष्ट्र का अर्थ तथा राज्य एवं राष्ट्र में अंतर के बारे में अच्छी तरह ज्ञान होगा। देखा जाए तो लोकसभा में केवल 44 सांसदों वाली काँग्रेस पार्टी के राहुल गाँधी के भाषण में, गौर करने लायक कुछ भी नहीं है। हालांकि देश में कांग्रेस की सत्ता 50 वर्षों तक रही और यहाँ नेहरू-गाँधी घरानों ने राज्य किया, इसलिए राजपुत्र के भाषण पर गौर करना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा के उत्तर में जो भाषण दिया, वह संसद के बढ़िया भाषणों में गिने जाने योग्य है। मोदी का भाषण बढ़िया था, यह कहना ऐसा ही होगा; जैसा यह कहना कि लता मंगेशकर बढ़िया गाने गाती थीं। भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को, यूट्यूब पर जाकर यह भाषण पूरा सुनना चाहिए क्योंकि उन्हें एक राजनीतिक लड़ाई लड़नी है। इस भाषण द्वारा वे समझ जाएँगे कि अपने प्रतिस्पर्धी द्वारा उठाए गए मुद्दों के उत्तर, कैसे देने चाहिए। कई नेता जो नहीं बोलना चाहिए, जब नहीं बोलना चाहिए और जहाँ नहीं बोलना चाहिए; वही, तभी और वहीं बोलते हैं। एक बढ़िया राजनीतिक भाषण किस तरह दिया जाता है, यह मोदी जी से सीखना चाहिए ।
प्रधानमंत्री का भाषण लोकसभा में दिया गया है, जनसभा में नहीं तथा उसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। उन्होंने, उपस्थित किए गए प्रत्येक मुद्दे का तर्कसंगत उत्तर देने का प्रयास किया है। प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत, ’जिसकी टोपी, उसके सर’ टिकाने की कुशलता के साथ ही, उसी टक्कर का अभ्यास भी होना चाहिए। भाषण में कुछ काँग्रेसी सांसदों ने, शेरो-शायरी का प्रयोग किया। उन्हें उनकी भाषा में उत्तर देने के लिए प्रधानमंत्री ने एक शेर सुनाया-
‘ वो जब दिन को रात कहें तो तुरंत मान जाओ।
नहीं मानोगे तो वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे।
जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा-बहुत मरोड़ लेंगे,
वो मगरूर हैं खुद की समझ पर बेइंतहा,
उन्हें आईना मत दिखाओ, वो आईने को भी तोड़ देंगे। ‘
काँग्रेस को, 2014 से ही अपनी सत्ता गँवाने का दुख काँटे की तरह साल रहा है। प्रधानमंत्री ने इस ओर संकेत करते हुए, अपनी विशेष व्यंगात्मक शैली में बताया कि किस तरह काँग्रेस ने, अगले 100 वर्ष सत्ता में न आने लिए कमर कस ली है। काँग्रेस को, 1989 में नागालैंड में सत्ता मिली, उसके बाद वहाँ सत्ता नहीं मिली। उड़ीसा में 1995 में सत्ता थी, अब नहीं है। 1988 की शुरुआत में त्रिपुरा में उनकी सरकार थी लेकिन पिछले 34 वर्षों से वहाँ काँग्रेस नहीं है। यूपी, बिहार, गुजरात जैसे राज्यों ने 1985 में काँग्रेस को स्वीकार किया लेकिन उसके बाद उससे दूरी बना ली। पश्चिम बंगाल में तो पिछले 50 वर्षों में काँग्रेस का शासन स्थापित नहीं हुआ। काँग्रेस इस स्थिति पर कभी गंभीरता से विचार नहीं करती। प्रधानमंत्री यह चुटकी लेना भी नहीं भूले कि उन्हें जहाँ-तहाँ मोदी ही दिखाई देते हैं।
इसके बाद उन्होंने अपने भाषण में कोरोना संकट, मेक इन इंडिया, गरीबों के कल्याण, गरीबों को घर, गैस कनेक्शन जैसे सभी विषयों को शामिल किया। साथ ही इनमें से प्रत्येक विषय पर काँग्रेस ने जो नकारात्मक भूमिका दर्शाई है, उसके लिए उसे आड़े हाथों लिया। 1971 से काँग्रेस ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देकर चुनाव जीते हैं। फिर जब गरीबों के ध्यान में आया कि ‘गरीबी हटाओ’ केवल नारेबाजी है तो उन्होने काँग्रेस को ही हटा दिया। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही थी, मुंबई के काँग्रेस- कार्यकर्ताओं ने दूसरे राज्यों से आए हुए मजदूरों को, उनके गाँव भेजने की व्यवस्था करने के लिए रेलवे प्लेटफार्म पर मुफ्त में टिकटें बाँटी; जो पूरे देश में कोरोना संक्रमण फैलाने का कारण बना। आखिर हाथों की स्वच्छता, मास्क पहनने और 2 गज दूरी बनाए रखने में राजनीति करने की क्या जरूरत है ? यदि सभी विरोधी दल एकजुट होकर, जनता को इनका महत्व समझा पाते तो करोना का प्रसार इतना ज्यादा नहीं होता। काँग्रेस इतिहास से कोई सबक नहीं लेती, इसलिए मोदी ने कहा- ‘जो इतिहास से सबक नहीं लेते, वे इतिहास में खो जाते हैं। ‘
काँग्रेस नेता राहुल गाँधी, देश में बढ़ती हुई महँगाई पर जोरदार ढंग से बोलते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए के रहते हुए महँगाई की दर एवं 2014- 2022 के दौरान महँगाई की दर के आँकड़े प्रस्तुत किए। यूपीए के समय में देश के वित्त मंत्री चिदंबरम ने जनता से कहा कि “लोगों को महँगाई को सहन करना चाहिए। हमारे पास अलाउद्दीन का जादुई चिराग नहीं है। लोगों को ₹15 की पानी की बोतल और ₹20 -21 की आइसक्रीम महँगी नहीं लगती लेकिन गेहूँ के भाव ₹1 भी बढ़ जाए तो वह महँगा लगता है। ” मोदीजी ने, चिदंबरम का यह वक्तव्य पढ़कर सुनाया। उन्होंने इस ओर भी ध्यान आकर्षित करवाया कि काँग्रेस के नेताओं द्वारा, ऐसे असंवेदनशील वक्तव्य बार-बार दिए जाते हैं।
काँग्रेस प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाती है कि वे कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पं। नेहरू का नाम नहीं लेते । जबकि लोकसभा के अपने भाषण में, उन्होंने प्रधानमंत्री पं। जवाहरलाल नेहरू का कई बार उल्लेख किया। मोदी जी ने, उनके भाषणों एवं पुस्तकों के मौलिक अनुच्छेद पढ़कर सुनाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,” वैसे महँगाई पर काँग्रेस के राज में पं। नेहरू ने लाल किले से क्या कहा, वह जरा आपको मैं बताना चाहता हूँ। आपकी शिकायत रहती है कि मैं नेहरू जी पर नहीं बोलता हूँ लेकिन आज आपकी इच्छा के अनुसार नेहरू जी पर बोलूँगा। । । मजा लीजिए आज। आपके नेता कहेंगे कि मजा आ गया। ” मोदी ने कहा, ”नेहरूजी ने लाल किले से भाषण देते समय ऐसा कहा था कि कभी-कभी कोरिया में हुई लड़ाई भी हमें प्रभावित करती है, इसके चलते वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं और यह हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। अगर अमेरिका में भी कुछ हो जाता है तो इसका असर भी वस्तुओं की कीमत पर पड़ता है। ” मतलब देश के सामने पहले प्रधानमंत्री महँगाई को लेकर अपने हाथ ऊपर कर देते हैं। ”
राहुल गाँधी ने गरीब भारत, अमीर भारत : अडाणी- अंबानी का भारत और शेष भारत- ऐसे दो भारत के विचार प्रस्तुत किए हैं। वैसे यह पुराना विषय है और मेरी जानकारी के अनुसार इस विचार को सर्वप्रथम राम मनोहर लोहिया ने प्रस्तुत किया था। बालबुद्धि का नेता उधारी का ही जीवन जीता है। उद्योगपति देश में संपत्ति का निर्माण करते हैं, उन्हें ‘वेल्थ क्रिएटर’ कहा जाता है। मोदी ने याद दिलाया कि नेहरू-इंदिरा गाँधी के समय में आरोप लगाया जाता था कि यह देश टाटा-बिरला चलाते हैं। ऐसे आरोप लगाने वाले, आज काँग्रेस के दोस्त बन गए हैं। जिन्हें अपने इतिहास और अपने तर्क-वितर्क में सुसंगति नहीं समझती, ऐसे लोगों का तर्क-वितर्क से दूर रहना ही ज्यादा अच्छा है।
‘भारत एक राष्ट्र नहीं है। । ‘ जैसे बचकाने वक्तव्य की निंदा करते हुए उन्होंने विष्णु-पुराण का निम्नलिखित श्लोक एवं उसका अर्थ बताया- ‘उत्तरं यत समुद्रस्य हिमाद्रैश्च दक्षिणं, वर्षं तद भारतं नाम भारती यत्र संतति’। उन्होंने कहा शायद कुछ लोगों को यह श्लोक अच्छा न लगे इसलिए उन्होंने पं। नेहरू की पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ से एक अनुच्छेद पढ़कर सुनाया जिसमें बताया गया है कि किस तरह भारत एक राष्ट्र है जो कि निम्नलिखित है-
” यह जानकारी बेहद हैरत में डालने वाली है। बंगाली, मराठी, गुजराती, तमिल, आंध्र, उड़िया, असमी, कन्नड़, मलयाली, सिंधी, पंजाबी, पठान, कश्मीरी, राजपूत- हर भाषा भाषी जनता से बसा हुआ विशाल मध्य भाग कैसे सैकड़ों वर्षों से अपनी अलग पहचान बनाए हैं। इसके बावजूद इन सब के गुण दोष कमोबेश, एक सरीखे हैं। इसकी जानकारी पुरानी परंपरा और अभिलेखों से मिलती है। साथ ही इस पूरे दौरान वे स्पष्ट रूप से ऐसे भारतीय बने रहे जिनकी राष्ट्रीय विरासत एक ही थी और उनकी नैतिक और मानसिक विशेषताएँ भी समान थीं। राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार के, तमिलनाडु पर हावी होने का आरोप लगाकर, उनके बीच बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास किया। मोदी ने काँग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अंग्रेजों ने, ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर देश पर राज किया और अब काँग्रेस भी यही नीति अपना रही है। उन्होंने यह भी कहा कि काँग्रेस ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ कि लीडर बन गई है। उन्होंने तमिल कवे, सुब्रमण्यम भारती द्वारा भारत के संबंध में रचित एक काव्य-पंक्ति को तमिल में पढ़कर सुनाया। जिसका आशय था,”राष्ट्र हमारे लिए जीवित आत्मा है। राष्ट्र कोई सरकार की व्यवस्था नहीं। ”
नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि परिवारवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। भारत में कई शतकों से प्रजातंत्र एवं मुक्त चर्चा जारी है लेकिन काँग्रेस को परिवारवाद के सिवा कुछ नहीं दिखता। भारत को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों से है। परिवारवादी पार्टी का पहला शिकार, बढ़िया बौद्धिक क्षमता वाला व्यक्ति होता है। महात्मा गाँधी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता के बाद, काँग्रेस को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। यदि उनकी इच्छानुसार ऐसा किया जाता तो हमारा लोकतंत्र, परिवारवाद से मुक्त हो गया होता।
प्रस्तुत लेख सवा घंटे से भी अधिक चले भाषण का, केवल एक अंश है। ऐसा नहीं है कि यह मोदी का भाषण है इसलिए अच्छा है बल्कि है इस बात का बढ़िया उदाहरण है कि तर्कसंगत भाषण कैसे दिया जाए और आरोप करने वाले पर, ‘मियाँ की जूती मियाँ के सिर’ कैसे रखी जाए। मोदी ने पं। नेहरू के उल्लेख द्वारा, कई लक्ष्य साध लिए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रहते हुए, उनमें राष्ट्रवाद के संस्कार डले हैं। उन्होंने भूलकर भी डॉ। हेडगेवार, श्री गुरुजी, पं। दीनदयाल उपाध्याय, दत्तोपंत ठेंगड़ी आदि का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने केवल नेहरू का उल्लेख किया क्योंकि आरोप लगाने वाले नेहरू परिवार के ही थे। उनके परिवार के मुखिया ने क्या कहा, यह बता कर उन्होंने उन मुखिया द्वारा ही परनाती को फटकार लगवाई है। इसे कहते हैं वक्तव्य कौशल! जैसा कि इस लेख के आरंभ में बताया गया है, भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं नेता बनने के इच्छुकों को, इस भाषण का अध्ययन करना चाहिए।