चुनावी इज्जत बचाने में जुटी कांग्रेस !

2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पहली करारी हार देखने को मिली और उसके बाद से उसके अच्छे दिन वापस नहीं आ रहे। 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस की हार हुई। उत्तर प्रदेश के साथ ही बाकी कई राज्यों में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता नजर आया लेकिन इस दौरान अगर कुछ नहीं बदला तो वह कांग्रेस की बैठक और अध्यक्ष का पद। किसी भी चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस कमेटी की बैठक होती है उसमें हार पर चर्चा होती है और फिर अगले चुनाव की रणनीति बनती है लेकिन फिर से कांग्रेस का हाथ खाली रहता है। यह सिलसिला करीब 8 सालों से चलता आ रहा है।

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी और पूरे राज्य में कांग्रेस सिर्फ दो सीट ही जीत सकी जबकि इससे पहले उसके पास 7 सीटें थी जो इस बार कम हो गयी। उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई जहां यूपी चुनाव में हार और पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा हुई। यूपी में बड़ी हार के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार पार्टी को नए अध्यक्ष के रूप में कोई चेहरा मिलेगा, कयास यहां तक भी लगाए जा चुके थे कि इस बार अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का हो सकता है लेकिन एक बार वह कहावत फिर से चरितार्थ हुई कि “खोदा पहाड़ निकली चुहिया”। कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेगी। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस के नेता अधिरंजन ने बयान जारी कर कहा कि सोनिया गांधी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को तैयार है लेकिन सभी के मना करने के बाद वह अध्यक्ष पद पर बनी रहेंगी।

अब आखिर ऐसा क्या है कि गांधी परिवार अपनी पकड़ पार्टी से कम करने को तैयार नहीं है जबकि पार्टी हर दिन टूटती जा रही है अगर यह सिलसिला चलता रहा तो पार्टी किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं रहेगी और आने वाले समय में पार्टी का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के अंदर भी अब कई गुट हो चुके है। सोनिया गांधी के साथ चलने वाला एक गुट है जबकि राहुल और प्रियंका गांधी का अपना एक गुट बन चुका है वहीं एक तीसरा गुट भी है जो कांग्रेस को पूरी तरह से बदलना चाहता है क्योंकि उसे यह पता है कि अगर समय पर पार्टी में परिवर्तन नहीं हुए तो पार्टी को बचाना मुश्किल हो जाएगा। देश के कुछ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर देखना चाहते है जबकि खुद राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं है और एक बार जब उन्हें यह मौका मिला था तो चुनाव हारने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस का जनाधार जिस तरह से कम होता जा रहा है वह आने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में उसके लिए चिंता का विषय है। आने वाले समय में मध्य प्रदेश, गुजरात और झारखंड में चुनाव होने हैं। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात चुनाव का आगाज कर चुके हैं और उनकी रैली भी शुरु हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस की चिंता और भी बढ़ने लगेगी। 5 राज्यों के चुनाव परिणाम के साथ ही राज्य सभा में भी कांग्रेस की संख्या में कमी आयी है जबकि बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला है।

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