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बेटी के तीन तलाक के दर्द से परेशान अब्बू की गई जान

बेटी के तीन तलाक के दर्द से परेशान अब्बू की गई जान

by हिंदी विवेक
in महिला, विशेष, सामाजिक
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शौहर द्वारा बेटी को तीन तलाक देने से उसके अब्बू इतने परेशान हुए कि उनकी जान ही चली गई। यह घटना है झारखंड के रामगढ़ की। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि झारखंड पुलिस यह सिद्ध करने में पूरी ताकत लगा रही है कि पीड़िता को तीन तलाक दिया ही नहीं गया है।

भारत में तीन तलाक कानून को बने हुए तीन साल होने जा रहे हैं। यह कानून 1 अगस्त, 2019 से ही प्रभावी है। इसके बावजूद तीन तलाक की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। कभी—कभी तो किसी महिला के साथ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि कुछ लोग अभी भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने को तैयार नहीं हैं। ताजा मामला झारखंड के रामगढ़ का है। गुलजहां परवीन नामक एक महिला न्याय के लिए दर—दर भटक रही है, लेकिन उसे न तो पुलिस न्याय दिला रही है और न ही अदालत। इस कारण गुलजहां आठ साल से प्रताड़ित जीवन जी रही है। पीड़िता ने 26 मार्च को राष्ट्रीय महिला आयोग को ईमेल के जरिये पत्र भेज कर सारे मामले की जानकारी दी है और न्याय की गुहार लगाई है।

उल्लेखनीय है कि 27 वर्ष की गुलजहां परवीन का निकाह अमीन अंसारी के साथ 7 मई, 2012 को हुआ था। परवीन का कहना है कि निकाह के कुछ दिन बाद से ही अमीन अंसारी दहेज के लिए उसे और उसके मायके वालों को प्रताड़ित करने लगा। लेकिन गरीब परिवार होने के कारण उसके मायके वाले दहेज नहीं दे पाए। इसके बाद मामला इतना बढ़ गया कि 3 मई, 2014 को अमीन अंसारी ने परवीन को आग के हवाले कर दिया। उस समय उसकी गोद में छह महीने की बच्ची भी थी। हालांकि उस आग से मां—बेटी किसी तरह बच गई, लेकिन परवीन 36 प्रतिशत जल गई। इस कारण उसका दो साल तक इलाज चला और अमीन अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इलाज में 3,00,000 रु खर्च हुए, लेकिन ससुराल वालों ने केवल 36,000 रु दिए। जब परवीन कुछ ठीक हुई तो उसके ससुराल वालों ने उससे कहा कि मुकदमा वापस ले लो, अब तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा। परवीन ने अपनी बच्ची और अपने भविष्य को देखकर मामला वापस ले लिया।

लेकिन इसके बाद तो पीड़िता की मुश्किलें और बढ़ गईं। 15 अगस्त, 2021 को अमीन अंसारी ने उसे तीन तलाक दे दिया। इस तरह गुलजहां और उसकी 6 वर्ष की बच्ची बेघर हो गई। इसके बाद वह पुलिस की शरण में गई और रामगढ़ के गोला थाने में शिकायत दर्ज करने के लिए आवेदन दिया। पहले तो पुलिस शिकायत दर्ज ही नहीं कर रही थी, लेकिन कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव के बाद मामला दर्ज हुआ। फिर पुलिस ने मामले की जांच कर कहा कि तीन तलाक जैसी कुछ बात नहीं है। यानी पुलिस ने मामले को दबाने का काम किया। ऐसा क्यों किया, यह कहने की जरूरत नहीं है।

गुलजहां के अनुसार इसके बाद अमीन अंसारी ने कहा कि 2,00,000 रु. ले लो और मामले को खत्म कर दो। यानी तलाक को पूर्ण समझो। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि यदि ऐसा नहीं होगा तो 4,00,000 रु. देकर फिर से ससुराल आने की इजाजत लेनी पड़ेगी। गुलजहां के अनुसार अमीन अंसारी ने उसके भाई इम्तियाज अंसारी की भी हत्या करने की धमकी दी। बता दें कि गुलजहां का भरण—पोषण मेहनत—मजदूरी कर उसका भाई ही करता है। अमीन अंसारी की सोच है कि यदि इम्तियाज नहीं रहेगा तो गुलजहां टूट जाएगी और वह उसकी शर्तों पर फिर से ससुराल आ जाएगी। अपने भाई की हत्या की धमकी को लेकर गुलजहां एक बार फिर थाने गई और मामला दर्ज करने की गुजारिश की, लेकिन इस बार तो पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी।

गुलजहां परवीन की मां शकीला बानो ने रोते हुए बताया कि उनके पति दिल के मरीज थे और अपनी बेटी की तकलीफों को बर्दाश्त नहीं कर सके, इसी सदमे से उनकी जान चली गई। अब तो उनका सिर्फ एक बेटा है, जो मजदूरी करके पूरा घर का बोझ उठा रहा है। अब भी उन्हें न्याय नहीं मिला तो उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा। गुलजहां का यह मामला अब रामगढ़ के सामाजिक कार्यकर्त्ता दीपक सिसोदिया के माध्यम से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा के पास पहुंच गया है। आयोग ने मामला भी दर्ज कर लिया है।

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Tags: hindi vivekhuman rightsislamic traditionstriple talaqwomen in islam

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