हनुमान जयंती शोभा यात्रा पर हुए पथराव के बाद से दिल्ली का जहांगीरपुरी चर्चा में था। इस पथराव को लेकर राजनीति भी कई दिनों तक चलती रही और सभी एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हालांकि वायरल वीडियो में यह साफ दिखाई दे रहा था कि शोभायात्रा पर पथराव किया गया और उसकी पूरी तैयारी की गयी थी क्योंकि बिना तैयारी के हजारों की संख्या में बोतल और पत्थर इतनी संख्या में नहीं मिल पाते। इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है लेकिन मामला अभी कोर्ट में है लेकिन उससे पहले दिल्ली नगर निगम का बुल्डोजर जहांगीरपुरी पहुंच चुका है और गैरकानूनी इमारतों को तोड़ने का काम शुरु कर दिया है।
दिल्ली नगर निगम की तरफ से कुल 9 बुलडोजर जहांगीरपुरी के ब्लॉक सी पहुंच गये है और गैरकानूनी इमारतों को तोड़ने का काम भी शुरू कर दिया है हालांकि इस तोड़क कार्रवाई में किसी एक समुदाय की ही दुकानों को निशाना नहीं बनाया जा रहा है बल्कि पथराव वाली सड़क के दोनों तरफ बने सभी गैरकानूनी इमारतों और दुकानों को तोड़ा जा रहा है। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस व सुरक्षा बल मौजूद है जिससे किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। वहीं पुलिस की तरफ से यह ऐलान भी कर दिया गया है कि तोड़क कार्रवाई के दौरान सभी लोग अपने घरों में रहे। अगर किसी ने कोई उपद्रव करने का काम किया तो उसके साथ शक्ति से निपटा जाएगा।
अवैध निर्माण की तोड़क कार्रवाई शुरू हुई नहीं कि विरोध के स्वर भी उठने लगे, राहुल गांधी सहित ओवैसी व अमानुतुल्लाह ने सबसे पहले इसका विरोध किया और कहा कि यह कार्रवाई बीजेपी के इशारे पर हो रही है। विपक्षी नेताओं की तरफ से आरोप लगाया गया है कि बीजेपी जानबूझकर एक खास समुदाय को निशाना बना रही है। वहीं राहुल गांधी ने बुलडोजर को नफरत का बुलडोजर नाम दिया। राहुल गांधी ने कहा कि देश महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है लेकिन मोदी जी बुलडोजर चलवाने में लगे हुए है। देश बिजली के संकट से जूझ रहा है कोयले का कमी हो रही है ऐसे में देश की चिंता छोड़ बुलडोजर की राजनीति बीजेपी की तरफ से की जा रही है।
जहांगीरपुरी में नगर की तरफ से अवैध इमारतों व दुकानों पर तोड़क कार्रवाई जारी थी कि इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उसे रोकने का आदेश जारी किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई किये बिना ही इसे रोकने का आदेश दिया और कहा कि इस पर कल (गुरुवार) 21 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। हालांकि कोर्ट का आदेश अभी तक लिखित रूप में नगर पालिका को नहीं मिला था जिससे तोड़क कार्रवाई लगातार जारी रही।