कोरोना एक बार फिर दुनिया भर में अपने पैर पसार रहा है। एनसीआर में बहुत तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। चीन में लाकडाउन लगा दिया गया है जिसका प्रभाव वहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना अवश्यम्भावी है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम सब सावधानी बरतनी शुरू कर दें।
पिछले कुछ महीनों में कोरोना वायरस का संक्रमण धीमा हुआ तो सामाजिक, धार्मिक और व्यक्तिगत गतिविधियां लगभग सामान्य सी हो गईं। हाट-बाजार, पूजा स्थलों, वैवाहिक कार्यक्रमों, पर्यटन एवं मनोरंजन स्थलों, और ऐसे तमाम क्षेत्रों में लोगों का व्यवहार पूर्व कोरोना काल जैसा हो गया। दो गज की दूरी तो दूर, हाथ मिलाने, गले लगाने, मास्क का उपयोग नहीं करने, हाथ नहीं धोने जैसे सुरक्षात्मक उपायों की पूरी अनदेखी की जाने लगी। जबकि, देश और समुदाय से कोरोना वायरस की मौजूदगी शून्य नहीं हुई है। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से उत्पन्न कहर की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मंद संक्रमण से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर नहीं होना, लोगों में असावधानी का सबब बन गया। नतीजा यह कि दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात के साथ-साथ देश के कई इलाकों में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने दोबारा अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देश की स्वास्थ्य एजेंसियों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, और शासन-प्रशासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों का जमकर उल्लंघन किया गया। हालांकि, कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन XE और BA.2 उत्परिवर्तित (म्युटैंट) वैरिएंट्स की गंभीरता में कमी के कारण लोगों द्वारा की गई लापरवाही के परिणामस्वरूप इनका तेजी से विस्तार होना शुरू हो गया है। ओमिक्रॉन का यह वैरिएंट कमजोर जरूर है, परंतु इनका संचरण यानी फैलाव बड़ी तेजी से होता है। जहां एक ओर वैक्सीन की तीनों खुराकों से प्रतिरक्षित और पर्याप्त इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों के लक्षण रहित यानी एसिंप्टोमैटिक संक्रमित होने से उन्हें गंभीर समस्या तो नहीं होती परंतु उनके द्वारा संक्रमित सामान्य व्यक्ति में लाक्षणिक स्वास्थ्य समस्याएं जरूर उभर आती हैं। आजकल उत्तर भारत से कोरोना वायरस संक्रमित मामलों के बढ़ने की खबरें आ रही हैं। ऐसे तमाम संक्रमित लोगों की केवल लक्षणों के आधार पर की गई चिकित्सा और घर पर रहकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने से उन्हें तो आराम मिल जाता है, परंतु, वृद्ध लोगों और मधुमेह, हृदय की बीमारियों के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण प्रतिरक्षा शक्ति में कमी वाले व्यक्तियों में कोरोना वायरस के द्वारा उत्पन्न गंभीर समस्याओं का खतरा निरंतर बना हुआ है।
कोविड-19 के नए मामलों की मौजूदा स्थिति
देश की राजधानी दिल्ली में जहां 1 अप्रैल, 2022 को कोरोना वायरस की संक्रामकता दर 0.57% थी, वहीं 14 अप्रैल को बढ़कर 2.39% और 18 अप्रैल को बढ़कर 5.33 % हो गई। पिछले सप्ताह होम आइसोलेशन यानी घर में ही घर के लोगों से दूरी बनाकर एक अलग कमरे में एकांत में रहने वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। देश के कई अन्य इलाकों में भी इस स्थिति के बढ़ने की खबरें आ रही हैं। भारत भर में 18 अप्रैल, 2022 को समाप्त सप्ताह में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 6610 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले सप्ताह यह आंकड़ा 4900 रहा था। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 19 अप्रैल, 2022 को देश में कोरोना के कुल 11,860 सक्रिय मामले पाए गए। अब तक भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान के अंतर्गत कोरोना वैक्सीन की 186 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए वहां की सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। दिल्ली और समीपस्थ राज्यों से लखनऊ पहुंचने वाले सभी यात्रियों का रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। इससे, लखनऊ में किसी भी संक्रमित व्यक्ति के प्रवेश पर नियंत्रण रखा जा सकेगा। वहीं लोगों को कोविड एप्रोप्रिएट व्यवहार अपनाने के लिए सचेत भी किया गया है। नि:सन्देह, ऐसे कदम प्रभावी साबित होंगे।
नया म्युटैंट
हालांकि, कोरोनावायरस संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति पैदा नहीं हुई है परंतु पिछले कुछ सप्ताह में कोविड के नए XE वैरिएंट द्वारा उत्पन्न संक्रमण की खबरें चिंताजनक साबित हो रही हैं। ओमीक्रॉन का XE वैरिएंट ओमीक्रॉन के B.1और B.2 स्ट्रेंस में म्युटेशन यानी उत्परिवर्तन का परिणाम है। दुनिया के शोधकर्ता ओमीक्रॉन के XE वैरिएंट पर अध्ययन कर रहे हैं, हालांकि, इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, गले में खराश, म्यूकस और सर्दी के साथ-साथ पाचन संबंधी समस्याएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन व्यक्तियों के लिए या वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है जो पहले ही गम्भीर बीमारियों की चपेट में हैं। कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रॉन का XE वैरिएंट बड़ी ही तेजी से फैलता है। एक अध्ययन से पता चला है कि वैक्सीनें इस वैरिएंट के प्रति उतनी कारगर नहीं हैं, परंतु, वहीं इस वैरिएंट से रोग गम्भीर और घातक नहीं होता। इस वैरिऐंट से संक्रमित मामलों की संख्या बढ़ तो रही है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत ही कम है। इस आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस म्युटैंट वैरिऐंट से उत्पन्न होने वाले लक्षण डेल्टा वैरिऐंट के लक्षणों की तुलना में बहुत ही कम हैं। यद्यपि, इनकी संचरणशीलता ओमीक्रॉन की तुलना में बहुत अधिक हो सकती है।
चीन में कोविड का कहर
चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में कोविड संक्रमण अपने चरम पर है। स्थिति नियंत्रण से बेकाबू है। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के अनुसार 15 अप्रैल, 2022 को वहां कोविड-19 संक्रमण के 24,791 नए मामले प्रकाश में आए जिनमें सिंप्टोमैटिक यानी लक्षणों सहित रोगियों की संख्या 3,896 और बिना लक्षण यानी एसिंप्टोमैटिक रोगियों की संख्या 20,895 थी। वहां पूरी तरह लॉकडाउन है, जिसके कारण चीन में 25 मिलियन से अधिक लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। चीन की आपूर्ति प्रणाली पूरी तरह बाधित हो गई है, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था के एक बार फिर चरमराने का खतरा पैदा हो गया है।
कोविड-19 के प्रति टीकाकरण में तेजी
कोविड-19 के घटते मामलों को देखते हुए देशभर में सरकार द्वारा संचालित कोविड वैक्सीन टीकाकरण कार्यक्रम के प्रति लोगों में उदासीनता के कारण कुछ शिथिलता देखी गई है। लोगों में समीपस्थ टीकाकरण केंद्रों तक जाने के उत्साह में कमी आई है, जबकि देशभर में वयस्कों और वृद्धों में कोविड-19 की वैक्सीन की 186 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। टीकाकरण अभियान के अंतर्गत 14 वर्ष से अधिक आयु के किशोरों के टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाने की आवश्यकता है। हालांकि, सरकार द्वारा 12 से 14 वर्षीय आयु वर्ग के बच्चों के लिए भी टीकाकरण की शुरुआत की गई है, परंतु इसकी शुरुआत के 1 महीने के बाद भी इस आयु वर्ग के केवल एक तिहाई बच्चों ने ही इसकी पहली खुराक प्राप्त की है। जिन स्कूलों में कोविड-19 के मामले प्रकाश में आ रहे हैं, उनमें ऑफलाइन क्लास अर्थात कक्षा में पढ़ाई बंद की जा रही है। कोविड महामारी के 2 वर्ष के बाद स्कूल खुलने के बाद पुनः बंद करने की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चों में कोविड वैक्सीन के टीकाकरण में तेजी के तहत गर्मी के अंत तक इस आयुवर्ग के सभी बच्चों को प्रतिरक्षित करना सुनिश्चित हो सकेगा। स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सीरम सर्वेक्षण भी किए जाने की आवश्यकता है जिससे सामान्य आबादी में कोरोना वायरस के प्रति एंटीबॉडी की व्यापकता पर स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सकेगी। यह सर्वेक्षण देश में कोविड-19 से मुकाबला करने हेतु नीतियां बनाने, स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने, आदि में सहायक साबित होगा।
कोविड एप्रोप्रिएट व्यवहार का अनुपालन जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन ही इसके संक्रमण से बचाएंगेे। इसकी तीसरी लहर में कमी के बाद पिछले 2 अप्रैल को दिल्ली में मास्क की अनिवार्यता खत्म कर दी गई थी। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा महामारी कानून को वापस लेने की भी घोषणा की गई थी। कोविड एप्रोप्रिएट आचरण का अनुपालन ही कोविड के बढ़ने से होने वाले संक्रमणों से बचाने में कारगर होगा। यथासंभव भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक इलाकों जैसे बाजार, शादी विवाह के आयोजन, धार्मिक स्थलों, स्टेडियम, सिनेमा हॉल्स, मॉल, बस अड्डा, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों में लोगों से कम से कम 2 गज की दूरी बनाए रखना, मास्क लगाना, समय-समय पर हाथों को धोना, बिना हाथ मिलाए अभिवादन करना, जैसे सुरक्षा प्रदान करने वाले उपाय आज की स्थिति में दोबारा प्रासंगिक हो गए हैं। भारत सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीन की कारगर व्यवस्था और उपलब्धता देश में इसके संक्रमण को रोकने में बहुत ही कारगर साबित हुई है। अब 14 वर्ष से कम आयु के बालकों के टीकाकरण की भी शुरुआत की जा चुकी है। अतः, हम सभी का कर्तव्य है कि अपने घर-समाज के लोगों को कोरोना वैक्सीन से प्रतिरक्षित होने के लिए प्रेरित करें। कोरोना वायरस के कारण उभरे किसी भी तरह के लक्षण को नजरअंदाज किए बिना उपयुक्त इलाज हेतु अस्पताल में जाकर चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेने, ज़रूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती होने से कतराना नहीं चाहिए। मामूली लक्षण होने पर घर में ही एकांतवास कर दूसरे सदस्यों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है।