तिब्बतियों का आत्मक्लेश

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चीन के आक्रामक दावे को तिब्बतियों ने कभी स्वीकार नहीं किया है। वे चीन से संघर्ष कर रहे हैं। चीन ने दावा किया कि तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है। भारत सहित किसी ने भी इस दावे का कड़ा विरोध नहीं किया है, इसलिए तिब्बती संघर्ष अकेले चल रहा है।

चाय पर चर्चा

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चाय एक पेय पदार्थ मात्र नहीं, त्यौहार है। हर आम भारतीय के दिन की शुरुआत चाय से ही होती है। साहित्य और सांस्कृतिक कर्मी तो चाय के बिना कोई विचार-विमर्श, आयोजन ही सम्पूर्णता के साथ नहीं कर सकते। चाय का सबसे बड़ा गुण है कि यह लोगों को तोड़ती नहीं बल्कि जोड़ती है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम के जरिए इसे एक अलग ऊंचाई दे दी है।

तुम बिन जिया जाए ना!

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मोबाइल ने हमारे जीवन में उपयोगिता से लेकर लत तक की यात्रा तय कर ली है। मोबाइल से आधे घंटे दूर रहना अब किसी सजा से कम नहीं लगता। मोबाइल सूचनाओं के संवाहक की जगह अब विभिन्न शारीरिक और मानसिक बीमारियों का जनक भी बनता जा रहा है। समय रहते अगर हम सचेत नहीं हुए तो हम मोबाइल के नहीं, बल्कि मोबाइल हमारा मालिक बन जाएगा।

मादक, परंतु घातक मुफ्तखोरी का नशा

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मुफ़्त का शब्द बेशक सुख देता हो, पर इसकी अति बहुत खराब है। दुनिया के अनेक देश जनता को प्रभावित करने के लिए टैक्स घटाने और मुफ़्त बांटने का दंड भोग रहे हैं। भारत में भी कुछ राजनीतिक दलों के कुचक्र का असर दिखाई देने लगा है। वोटों के लालच में भारत के राज्य फ्री फ्री के जाल में फंसकर केंद्र और बैंकों से लिया गया धन वापस लौटाने की स्थिति में नहीं हैं।

अजान से परेशान हर इंसान

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मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारे जाने के सामाजिक मुद्दे को छद्म सेक्युलर और मुसलमान धार्मिक रंग दे रहे हैं जबकि उन्हीं लाउडस्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाए जाने को सामाजिक द्वेष की संज्ञा दी जा रही है। यानी उनका मजहब और उससे सम्बंधित बातों को लेकर अन्य धर्म भले सहिष्णुता अपनाएं लेकिन वे अपने एक्सक्लूसिव दायरे से बाहर आने की कोशिश नहीं करेंगे।

इतिहास की भूलों की ओर इशारा करता काव्य संग्रह

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राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत, सम्मानित, राष्ट्रवादी विचारधारा के पोषक, प्रखर चिंतक, मनीषी, गत दो दशकों से अधिक से सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे विनोद बब्बर ने अब तक 18 देशों की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्राएं की हैं। इनकी प्रकाशित 37 पुस्तकों में से 8 पुस्तकों का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

पीएफआई की कलंक कथा

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पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में हुई दंगाई घटनाओं के पीछे इस्लामी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ होना चिंता का विषय है। इसकी जड़ें सिमी की तरह ही पांव पसारती जा रही हैं। केरल सरकार का छद्म सहयोग भाव भी इसके बढ़ाव के पीछे एक बड़ा कारण है। कई अन्य राज्य भी इसकी चपेट में हैं। इसका प्रभाव राष्ट्रव्यापी हो, उसके पहले ही इसकी जड़ें काटने की आवश्यकता है।

असहाय पशुओं को चाहिए सहारा

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भारत में पशुओं की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी होती जा रही है पर उस अनुपात में पशुचिकित्सकों की संख्या काफी कम है। लोगों का जीवन स्तर विकसित होने के साथ ही विगत दो दशकों से देश में कुत्ते, बिल्लियों समेत अन्य जानवर पालने का भी शौक बढ़ा है। इसलिए देशभर में पशु चिकित्सकों की नई पीढ़ी तैयार किए जाने की आवश्यकता है। 

अखंड भारत की अवधारणा भूगोल गौण, संस्कृति प्रधान

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पश्चिमी परिवेश में रंगी वर्तमान पीढ़ी के लिए राष्ट्र का अर्थ जमीन का टुकड़ा मात्र है इसीलिए उन्हें अखंड भारत अप्रासंगिक लगता है जबकि राष्ट्र व राष्ट्र-राज्य के बीच के अंतर को समझने की आवश्यकता है। अखंड भारत का अर्थ जमीन का टुकड़ा नहीं है बल्कि जिन देशों में पहले सनातन संस्कृति प्रवाहमान थी, वहां एक बार फिर से सनातन संस्कृति जीवन का आधार बन सके।

एक परिवार दुर्दशा के लिए जिम्मेदार

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श्रीलंका इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि यदि राजनीति में परिवारवाद और जनता को मुफ्तखोरी की आदत लगाने जैसी दीमक लग जाए तो वह किस तरह एक राष्ट्र को कंगाली की हद तक खोखला कर सकती है। क्या भारतीय राजनीति इससे बच पाएगी?

बांग्लादेश बनता बंगाल

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बंगाल में बढ़ती हिंसा इस बात की द्योतक है कि देश का यह राज्य बहुत तेजी से बांग्लादेश बनने की दिशा में बढ़ रहा है। केंद्र सरकार को ममता बनर्जी सरकार के इस ‘खेला’ के प्रति सावधान होने तथा तत्काल बल प्रयोग करने की आवश्यकता है। यदि अभी नहीं चेता गया तो बंगाल की आग अन्य राज्यों को भी अपनी चपेट में ले सकती है।

सत्ता परिवर्तन से नहीं बदलेगा पाकिस्तान-भारत को रहना होगा सतर्क

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भारत के प्रति चिर स्थायी शत्रुता पाल रखे पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक उथल-पुुथल भारत के लिए कत्तई शुभ नहीं है। नव निर्वाचित प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ का चीन प्रेम किसी से छिपा नहीं है। इमरान खान भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में डर है कि, अपनी नाकामियां छुपाने के लिए पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं में तेजी ला सकता है।

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