भारत की बौद्धिक क्षमता के प्रतीक

विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर बड़ी ही विनम्रता से अपने अकाट्य तर्कों से अंतरराष्ट्रीय मीडिया को उत्तर देते हैं। उन्होंने अमेरिका और यूरोप को जिस तरह से कटघरे में खड़ा किया, इससे पहले कोई भी ऐसा नहीं कर पाया। एक विदेशी पत्रकार ने उनसे पूछा, भारत जिस तरह से यूक्रेन पर तटस्थ है, अभी यूरोप में जो हो रहा है वह एशिया में भी हो सकता है।

विदेश मंत्री ने कहा, ऐसा एशिया के साथ हो नहीं सकता बल्कि हो रहा है। अमेरिका और यूरोप ने मिलकर 10 वर्षों तक अफगानिस्तान में युद्ध किया। एक लोकतांत्रिक सरकार को छोड़कर भागे। आज एशिया उसको भुगत रहा है। भारत ने तीन अरब डॉलर का निवेश किया था जो डूब गया।

दूसरे विदेशी पत्रकार ने पूछा, सारा विश्व मिलकर रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है आप क्यों उसके प्रति नरम बने हुए हैं और उनसे तेल खरीद रहे हैं। इस पर विदेश मंत्री जी ने कहा, जितना देर भारत 1 महीने में रूस से खरीदा है उतना तेल यूरोप रूस से दोपहर बाद तक खरीद लेता है। यह सलाह आप उनको दें और उनसे ही प्रश्न पूछे।

तीसरे विदेशी पत्रकार ने पूछा, भारत में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व हावी हो चुका है आप भारत में इस्लाम और इस्लामिक देशों के प्रति क्या सोच रखते हैं।विदेश मंत्री ने साफ दो टूक शब्दों में उतर दिया, भारत एक धर्मनिरपेक्ष (SECULAR) देश है हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से रिश्ते निभाएगा और भारत को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है।

पूरी दुनिया की निगाहें हमारे विदेश मंत्री के साक्षात्कार पर टिकी थीं, जिस में विदेश मंत्री जी ने स्पष्ट कहा कि, अमेरिका और यूरोप भरोसे के लायक नहीं हैं। वह सब स्वार्थी हैं । भारत ऐसे विश्व समुदाय में सिर्फ अपना निजी हित देखेगा।

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