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बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ले रही है बदला

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ले रही है बदला

by हिंदी विवेक
in देश-विदेश, राजनीति, विशेष, सामाजिक
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पाकिस्तान में मंगलवार का दिन बेहद साधारण तरीके से शुरू हुआ। लेकिन शाम होते-होते सिंध प्रांत की राजधानी कराची में अफरा-तफरी मच गई। कराची यूनिवर्सिटी के भीतर ब्लास्ट हो गया जिसमें एक वैन को निशाना बनाया गया। फिलहाल जानकारी के अनुसार इस धमाके में चार लोगों की मौत हो गई है जिसमें एक पाकिस्तानी ड्राइवर और तीन चीनी नागरिक शामिल हैं। दो लोग घायल भी हुए हैं जिसमें से एक चीन का नागरिक है। धमाका यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट के पास हुआ। कराची पुलिस प्रमुख गुलाम नबी मेमन ने कहा कि पहली नजर में यह हमला ‘सुसाइड ब्लास्ट’ प्रतीत हो रहा है। दोपहर 2:30 बजे ब्लास्ट हुआ और कुछ ही देर बाद BLA ने इसकी जिम्मेदारी ले ली।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने चीनी नागरिकों पर हमले की जिम्मेदारी ली है। एक लिखित बयान में बीएलए के प्रवक्ता ने कहा कि बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड कराची में चीनियों पर हमले की जिम्मेदारी लेती है। बयान में कहा गया, ‘ब्रिगेड की पहली महिला फिदायी ने इस हमले को अंजाम दिया। फिदायी शारी बलूच ने आज बलूच विद्रोह के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया।’ चीन न सिर्फ पाकिस्तान का दोस्त है बल्कि आर्थिक रूप से उसका मददगार और बड़ा निवेशक भी है इसलिए पाकिस्तानी जमीन पर चीनी नागरिकों की मौत दोनों के बीच तनाव पैदा कर सकती है।

क्यों चीनी नागरिकों को निशाना बना रहा बीएलए?

चीन के प्रति बीएलए का गुस्सा नया नहीं है। दरअसल विद्रोही समूह पाकिस्तान में चीनी परियोजना सीपीईसी (China Pakistan Economic Corridor) का विरोध कर रहा है और इसलिए चीनी नागरिकों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले कर रहा है। इस आर्थिक गलियारे का रूट बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। इसलिए उग्रवादी सीपीईसी मार्ग और सीमा रेखा क्षेत्रों के आसपास संवेदनशील सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहे हैं। 28 जनवरी को पाकिस्तान-ईरान सीमा के पास केच इलाके में एक सुरक्षा जांच चौकी पर हमले में 10 सैनिकों की मौत हो गई थी। इस घातक हमले की जिम्मेदारी भी बीएलए ने ही ली थी।

सीपीईसी ने बलूचिस्तान में बढ़ाई अशांति

चीन की 64 अरब डॉलर की परियोजना के चलते विद्रोहियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं जिससे बलूचिस्तान में अशांति बनी हुई है। अब ये हमले कराची तक जा पहुंचे हैं जिसमें चीन के प्रति विद्रोहियों के गुस्से को देखा जा सकता है। बीएलए शुरुआत से ही सीपीईसी का विरोध कर रहा है। उनका आरोप है कि चीन उनके संसाधनों की चोरी कर रहा है। बलूचिस्तान के कई अलगाववादी समूह पाकिस्तान में प्रांत के शामिल होने का भी विरोध करते रहते हैं। उनका दावा है कि 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत के दौरान इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमले

चीन सीपीईसी के तहत बलूचिस्तान के ग्वादर शहर में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। पिछले साल सितंबर में बीलएए ने ग्वादर में पाकिस्तान के संस्‍थापक मोहम्‍मद अली जिन्‍ना की मूर्ति को उड़ा दिया था। इससे पहले सीपीईसी से जुड़े दासू डैम बम विस्फोट में 9 चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिनों बाद ही बीएलए ने कराची में एक चीनी नागरिक को उसकी कार के अंदर घुसकर गोली मार दी थी। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक कुल जमीन के आधार देखें तो बलूचिस्‍तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और जातीय बलूच लोग पाकिस्‍तान की कुल जनसंख्‍या का 9 फीसदी हैं।

बीएलए के हमले का चीन-पाक रिश्ते पर क्या असर होगा?

चीनी नागरिकों के साथ-साथ बीएलए पाकिस्तानी सेना को भी निशाना बनाती है। फरवरी में बीएलए ने पाकिस्तानी सेना पर बड़े हमले का दावा किया था। बलूच विद्रोहियों ने दावा किया कि बलूचिस्‍तान प्रांत में पांजगुर और नूशकी इलाके में फ्रंटियर कोर और सेना के एक ठिकाने पर भीषण हमले में 100 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। हालांकि पाकिस्तानी सेना ने इन दावों को खारिज किया था।

बलूच विद्रोही पिछले कई दशकों से सक्रिय हैं। इनका आपस में विभाजन बढ़ता जा रहा है और पश्तूनों के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा रहती है। अक्सर पंजाबियों से भी बलूचों का संघर्ष होता रहता है। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की हत्या का यह ‘एक और’ मामला है। देखने वाली बात यह होगी कि चीन इस पर किस तरह प्रतिक्रिया करता है और यह हमला चीन-पाकिस्तान संबंधों को किस तरह प्रभावित करता है।

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Tags: baluchistan liberation armyChina Pakistan Economic Corridorhindi vivekunrest in pakistan

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