क्या परिसीमन से मिलेगी कश्मीरी पंडितों को राहत ?

जम्मू कश्मीर में लगातार सुधार की प्रक्रिया जारी है, सामाजिक, सैन्य, भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टि से हर तरफ विकास हो रहा है और कई लोग इसके गवाह भी है। घाटी में लगातार शांति बढ़ रही है और आतंकी घटनाएं लगातार कम होती जा रही है। केंद्र सरकार की नीति की वजह से यह सब संभव हो सका है। विकास की इसी कड़ी को परिसीमन आयोग ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और उसमें सुधार पर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया।

रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में कुल 7 सीटें बढ़ाने की जरूरत है यानी अब विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। आयोग ने कश्मीरी पंडितों के लिए भी प्रत्येक विधानसभा में 2 सीटें आरक्षित करने का भी सुझाव दिया है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी उसके बाद उसे राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से आदेश जारी किया जाएगा और फिर घाटी में चुनाव हो सकेंगे।   

रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग का गठन किया गया था जिसका कार्यकाल 6 मई 2022 को समाप्त हो रहा है। आखिरी दिन से एक दिन पहले गुरुवार को परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर उसे सरकार को सौंप दिया। आयोग की रिपोर्ट में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या, क्षेत्र और जनसंख्या आदि का पूरा विवरण दिया गया है। अब इसे एक गजट अधिसूचना के माध्यम से लागू किया जाएगा। आयोग के मुताबिक जिन 7 सीटों को बढ़ाया गया है उनमें से 6 सीटें जम्मू के हिस्से में आ रही है जबकि कश्मीर के लिए 1 सीट मिल रही है। वर्तमान में जम्मू में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 37 है लेकिन आयोग की रिपोर्ट के बाद अब 43 सीटें हो जाएगी। वहीं कश्मीर में कुल 46 विधानसभा सीटें है और इस परिवर्तन के बाद 47 सीटें हो जाएगी।    

पाक अधिकृत कश्मीर (POK) की सभी 24 सीटों को अभी भी खाली रखा गया है और वह पहले भी खाली थी क्योंकि वह हिस्सा पाकिस्तान के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए उस पर आयोग ने कोई फैसला नहीं लिया है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद जम्मू में राजनीतिक माहौल फिर से गरम हो सकता है और नई विधानसभा सीटें बनने के बाद चुनाव में उतरने वालों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीरी पंडितों को ‘प्रवासी’ का दर्जा दिया है और घाटी में उनके महत्व को बढ़ाने के लिए ही प्रत्येक विधानसभा में 2 सीटें आरक्षित करने की बात कही है। अनुसूचित जनजाति के लिए भी 9 सीटें आरक्षित की गयी है इसमें 6 सीटें जम्मू और 3 सीटें कश्मीर क्षेत्र में आरक्षित की गयी है। जम्मू कश्मीर में हुए बदलाव के बाद मार्च 2020 में इस परिसीमन आयोग का गठन किया गया था और बाद में इस आयोग को विस्तार भी दिया गया जिसके बाद यह रिपोर्ट तैयार की गयी है। 

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद अब घाटी में चुनाव का रास्ता भी साफ होता नजर आ रहा है और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस साल के अंत तक चुनाव भी हो सकते हैं। जून 2018 के बाद से घाटी में कोई चुनी हुई सरकार नहीं हुई। अगर इस साल तक चुनाव हुए तो जम्मू कश्मीर के लोग भी बाकी राज्यों की तरह सामान्य जीवन व्यतीत करेंगे और केंद्र सरकार घाटी का भी विकास कर सकेगी। कुछ समय पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने भी वादा किया था कि चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर का विकास हो सकेगा। गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक बयान में कहा था कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद घाटी में तुरंत चुनाव होंगे।   

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