हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
ज्ञानवापी विश्वेश्वर मंदिर का सच

ज्ञानवापी विश्वेश्वर मंदिर का सच

by हिंदी विवेक
in विशेष, संस्कृति, सामाजिक
0

काशी के तीर्थ स्थलों में ज्ञानवापी भी अपना विशेष महत्व रखती है अनेक अनेक यात्राएं यहां से प्रारंभ की जाती हैं और पंचकोशी यात्रा का भी संकल्प यहीं से होता है । पुराने समय में यहां विशाल वापी थी बनारस के चौक से ज्ञानवापी मस्जिद की ओर जो मार्ग है, वह कभी ज्ञानवापी के अंतर्गत था। मस्जिद के आसपास आगे पीछे की सभी भूमि विशाल वापी और विश्वनाथ मंदिर का ही  अवशेष है। अब तोह उस तालाब (वापी) के स्थान पर मुक्ति मंडप में एक कुँवा मात्र रह गया है ।

सम्भवतः उस समय जब विश्वनाथ मन्दिर तोड़ कर और विशाल वापी को पाट दिया गया हो । यह सब औरंगजेब के कार्यकाल में हुआ था। काशी खण्ड के वर्णन के अनुसार तत्कालीन विश्वनाथ मन्दिर के दक्षिण भाग में ज्ञान वापी थी ।

प्राचीन काल की बात है

ईशानकोण के दिगपाल ईशान जो कि शिव जी का ही अंश थे वह बहुत समय पहले (सतयुग) काशी में पहुचे , जब पूरे विश्व मे कुछ भी व्यवस्थित नही था हर चीज की कमी थी उसी समय काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को जल से स्नान कराने के लिए (अपने त्रिशूल से) बहुत विशाल वापी खोद दिया और उसी के जल से हाजरो छेद वाले कलश से हाजरो बार ज्योतिर्लिंग को स्नान कराया ।

प्रसन्न हो कर शिव जी तत्काल उसी ज्योतिर्लिंग से प्रकट हो अपने ही रूप ईशान को अनेको वरदान दिए जिसमे कहा कि

त्रिलोक्यां यानि तीर्थानि भूर्भुवःस्वःस्थितान्यापि ।

तेभ्योःखिलेभ्यस्तीर्थेभ्यः शिव  तिर्थमिदं परम्  ।।

(काशीखण्ड्)

त्रिभुवन में जितने भी तीर्थ है उन समस्त तीर्थो में यह शिव तीर्थ श्रेष्ठ हो।

शिवज्ञानमिति ब्रूयुः   शिवशब्दार्थचिन्तकाः ।

तच्च ज्ञानं    द्रविभूतमिह मे  महिमोदयात ।।

(काशीखण्ड)

शिव शब्द के अर्थ चिंतक लोग शिव का अर्थ ज्ञान ही कहते हैं इस तीर्थ में वही ज्ञान मेरी महिमा के बल से द्रव्य रूप हो गया है । इसीलिए यह ज्ञानोद नाम से त्रयलोक्य भर में प्रसिद्ध होगा और इसके दर्शन से समस्त पाप छूट जाएंगे। शिव जी के वरदानानुसार इस ज्ञानोदक तीर्थ के स्पर्श करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त करता है और आचमन से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त करता है ।

फल्गु तीर्थ में तर्पण का जो फल है वह यहां ज्ञान वापी में तर्पण करने से प्राप्त होता है । (पर अब यहां श्राद्ध और तर्पण की सुविधा नही मिलती) पुष्कर तीर्थ से करोड़ गुना फल यही ज्ञान वापी पर मिल जाता है ऐसा ही शिव जी का वरदान है । कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण में पिंडदान करने का जो फल मिलता है वही फल यहां किसी भी दिन  पिंडदान करने से मिल जाता है। जिनलोगों का यहाँ पिंडदान किया जाएगा वह प्रलयकाल तक शिवलोक में निवास करेंगे ।

जो कोई एकादशी का उपवास करके यहां के जल का तीन चुल्लू पान करेगा तोह उसके हृदय में तीन लिंग उत्पन्न होजाएंगे ऐसा शिव जी का ज्ञानवापी के लिए वरदान है । यहां पर दान , यज्ञ , हवन ,  भंडारण,  तर्पण अनेक प्रकार के पुण्य कर्म करने से करने वाला व्यक्ति कृतकृत्य हो जाएगा। यही ज्ञान की वापी ही शुभज्ञानतीर्थ , शिवतीर्थ और तारक तीर्थ और मोक्ष तीर्थ है इनके स्मरण मात्र से पाप कट जाता है और वापी के जल के दर्शन से सभी ऊपरीदोष और बाधा शांत होजाते है ।

जो व्यक्ति ज्ञानवापी के जल से किसी भी शिव लिंग को नहलाता है तोह उसे समस्त तीर्थो के जल से स्नान कराने का फल अनायास ही मिल जाता है। इस स्थान पर स्वयं विश्वनाथ द्रव्यमूर्ति धारण कर लोगो की जड़ता का नाश और ज्ञानोपदेश करता रहूंगा, ऐसा शिव जी का वरदान है। यह सभी बातें काशी खण्ड से ली हुई है यह सत्य और शत प्रतिशत प्रमाणित भी है। यही पर शिव जी ने एक समय अपने परम भक्त एक राजा और रानी को ज्ञान का उपदेश दे कर मोक्ष दिया था। पर आज के समय जड़बुद्धि के लोग इसे अपने हक़ की संपत्ति बता रहे है ।

यह तोह मुस्लिम पक्ष के लोग भी भलीभांति जानते है कि यहां पहले भव्य मंदिर था जिसे जिहादी सोच  द्वारा तोड़ कर मस्जिद का रूप दे दिया गया है , इसी लिए इनके द्वारा सर्वेक्षण का विरोध उनके द्वारा किया जा रहा है , ताकि जनता तक सच्चाई न जा सके । मन्दिर के तरफ से काशी के जाने माने वकील श्री विजय शंकर रस्तोगी है और मस्जिद पक्ष से अभय यादव है ।

काशी विश्वनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. यहां काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी अगल-बगल हैं. मंदिर पक्ष का दावा है कि औरंगजेब के शासनकाल में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसी परिसर के एक हिस्से में ज्ञानवापी मस्जिद बना दी गई थी. उसका दावा है कि मंदिर के अवशेष पूरे परिसर में आज भी मौजूद हैं. वहीं अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल प्रतिवाद में दावा किया गया कि वहां पर मस्जिद अनंत काल से कायम है।

अंत मे जीत सत्य की ही हो ऐसी मेरी कामना है ।

– आशीष रस्तोगी (किशन)

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: ancient hindu templegyanvapihindi vivekillegal masjidkashi vishwanathvishveshwar mandir

हिंदी विवेक

Next Post
संघ विस्तार में वानप्रस्थी कार्यकर्ताओं का योगदान

संघ विस्तार में वानप्रस्थी कार्यकर्ताओं का योगदान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

- Select Visibility -

    No Result
    View All Result
    • परिचय
    • संपादकीय
    • पूर्वांक
    • ग्रंथ
    • पुस्तक
    • संघ
    • देश-विदेश
    • पर्यावरण
    • संपर्क
    • पंजीकरण

    © 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

    0