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राजद्रोह – केवल राजगद्दी का मोह

राजद्रोह – केवल राजगद्दी का मोह

by पार्थसारथी थपलियाल
in राजनीति, विशेष
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भारतीय समाज में सास बहू के झगड़े बिल्कुल ऐसे ही रहे हैं जैसी आधुनिक राजनीति। अपना मौका मिलते ही परिभाषाएं भी बदल जाती हैं, आचरण भी बदल जाता है। यह उस धारणा के आलोक में है जिस धारणा में अंग्रेजों के शासन काल में 1870 में एक कानून बनाया गया जिसका उद्देश्य सरकार की आलोचना करना भी देशद्रोह या राजद्रोह माना जाता था। यही कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 124A है। पहले IPC 124A के पाठ को पढ़ लें-

124A- राजद्रोह- “जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपण द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, या नफरत पैदा करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माना से दंडित किया जा सकेगा।”

हर किसी सरकार ने इस कानून का अपने अपने शासन काल में उपयोग और दुरुपयोग जमके किया है। इसका उपयोग अपराधियों के लिए उतना नही हुआ जितना विरोधियों के लिए। बहुत दूर न जाकर हाल ही कि 2-3 घटनाओं को देखने/जानने से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

  1. अप्रैल 2022 में अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने 23 अप्रैल को मुम्बई में मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे के निवास “मातोश्री” के सामने सड़क पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी। महाराष्ट्र सरकार ने अन्य सामान्य धाराओं के अलावा 124 A (राजद्रोह) की धारा लगाकर सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को जेल में बंद कर दिया।
  2. सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास जो उत्तरप्रदेश के निवासी हैं, गाज़ियाबाद में निवास करते हैं, उन पर पंजाब सरकार द्वारा राजद्रोह की धारा 124 A इसलिए लगाई कि डॉ विश्वास ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान एक मीडिया इंटरव्यू में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस समय के तथाकथित बयान का जिक्र किया था जिन दिनों आमआदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक महत्वपूर्ण संस्थापक कुमार विश्वास हुआ करते थे। एक दिन सुबह सुबह पंजाब पुलिस डॉ कुमार विश्वास को गिरफ्तार करने गाज़ियाबाद उनके निवास पर पहुंच गई। ऐसा ही आम आदमी पार्टी की पूर्व विधायक अलका लांबा के साथ भी हुआ। यद्यपि न्यायालय ने फिलहाल कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
  3. यही किस्सा दिल्ली बी जे पी के युवा नेता तेजिंदर सिंह बग्गा के साथ हुआ। बग्गा दिल्ली के निवासी हैं उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब के बेअदबी पर पंजाब सरकार पर तीखे सवाल किए थे। पंजाब पुलिस दिल्ली पहुंच गई। बग्गा को अपनी गाड़ी में ले गई। कुरुक्षेत्र में राजनीतिक ड्रामा हुआ और बग्गा वापस दिल्ली पहुंचे। 5 जुलाई से हहले उन पर पुलिस कार्यवाही नही की जा सकेगी। किस्से अन्य भी है। उद्देश्य यह नही कि घटनाओं का वर्णन किया जाय। उद्देश्य यह बताना है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। शासन की “शिखंडी वृति” सरकारों के उदात्त भाव को समाप्त करती है। यह प्रवृत्ति राष्ट्र भाव के बजाय डकैतों के गिरोह जैसी चेष्टा को प्रकट करते हैं।

बड़े बड़े नेता और अफसर जब मिली भगत से सरकारी धन-संपदा का दुरुपयोग करते हैं उन्हें क्यों न इसी तरह के कानून से दंडित किया जाय। जो राजनीतिक नेता सत्तापक्ष को उखाड़ने की बात हर समय कहता रहता है, उस पर क्यों न 124A के अनुसार कार्यवाही की जाय। इस धारा में “सरकार के प्रति” शब्द को महत्ता प्रदान की गई है। इसमें राष्ट्र, राष्ट्रीय संस्कृति, अथवा भारत के विरुद्ध शब्द को क्यों नही जोड़ा गया है। राजनीतिक दल अपनी सत्ता की सज्जा के मोह में ऐसा नही कर पाएंगे। अधिकतर लोग जिन्हें रोजगार नही मिलता है, जिनकी कोई राजनीतिक विचारधारा नही है वे लोग बाहुबली, धनबली बनकर अपनी धमक के कारण सत्ताओं में आ जाते हैं।

इस धारा 124 A पर विधिक लोगों में चर्चा शुरू हो गई है। इसमें जनता की राय भी ली जानी चाहिए ताकि राष्ट्र, देश, सरकार और भारतीय संस्कृति को भी इस संशोधन में स्थान मिल सके जिसके बारे में विष्णुपुराण में लिखा है-

उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् |

वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः ||

इस समय जब 124A पर कई तरह से चिंतन और विमर्श किया जा रहा है त यह आवश्यक है कि हम नागरिकता और भौगोलिकता के लिए इस दृष्टि से भी विचार करें। भारतीय लोकतंत्र के लिए संविधान में व्याख्यायित दृष्टिकोण को हमे उसी भाव से समझना चाहिए जिस भाव से वह लिखा गया है।

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Tags: anti governmentanti nationalgovernmenthindi vivekpoliticsrajdroh

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