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सेवा विवेक की आदिवासी बहनों द्वारा बनाई गई बांस की राखियों का राष्ट्रपति द्वारा विमोचन

सेवा विवेक की आदिवासी बहनों द्वारा बनाई गई बांस की राखियों का राष्ट्रपति द्वारा विमोचन

by हिंदी विवेक
in अवांतर, महिला, विशेष, संस्कृति, सामाजिक
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सेवा विवेक के माध्यम से पिछले कई वर्षों से महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य किया जा रहा है ताकि पालघर जिले की आदिवासी, जरूरतमंद महिलाओं के घर के कामों में हाथ बंटाकर आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और उन्हें अच्छा रोजगार मिले. इसलिए सेवा विवेक द्वारा ऐसी महिलाओं को बांस के हस्तशिल्प बनाने का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उनके द्वारा विभिन्न प्रकार के पर्यावरण के अनुकूल बांस के हस्तशिल्प बनाए जाते हैं।
पालघर जिले के जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक, शैक्षणिक और रोजगार सृजन के लिए कार्यरत सेवा विवेक की आदिवासी बहनों द्वारा बनाई गई आकर्षक बांस की राखियों का राष्ट्रपति के हाथों पुणे के राजभवन में विमोचन किया गया। उस समय हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे, विवेक ग्रामीण विकास केंद्र के प्रबंधक लुकेश बंड, कार्यकर्ता राजकुमारी गुप्ता के अलावा आदिवासी बहनें गौरवी तुम्बाडा, संजना सांबरे और रिया सांबरे भी मौजूद थीं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने बांस द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प के कौशल को देखा और आदिवासी बहनों की सराहना की। उन्होंने हस्तशिल्प के माध्यम से उन्हें रोजगार प्रदान करने में सेवा विवेक के कार्यों की भी सराहना की।
प्रधान मंत्री मोदी के आह्वान पर शुरू आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत आदिवासी बहनों को सेवा विवेक के माध्यम से बांस से विभिन्न आकर्षक और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने, उनके आसपास के संसाधनों से सामान बनाने का प्रयास करने का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ग्रामीण रोजगार सृजित करवाने वाले इस प्रशिक्षण के बाद महिलाएं अपने खाली समय में 28 अलग-अलग तरह की हस्तशिल्प वस्तुएं जैसे स्काई लालटेन, पेन होल्डर, ट्रे, पेपर वेट, टी-कोस्टर, राखियां इत्यादि बनाती हैं. इन सभी बांस निर्मित हस्तशिल्प वस्तुओं को संगठन के माध्यम से बेचा जाता है।
रक्षाबंधन भाइयों और बहनों के पवित्र रिश्ते का एक हिस्सा है। ये बहनें उसके धागे को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। इस वर्ष के रक्षाबंधन के लिए आदिवासी बहनों ने स्वदेशी तथा पर्यावरण के अनुकूल सुंदर व आकर्षक बांस की राखियां बनाई है, साथ ही इन राखियों का नाम भारतीय नदियों के नाम पर रखा गया है। संगठन द्वारा किए गए कार्यों और बहनों के हस्तशिल्प की सराहना करते हुए, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संगठन के भविष्य के प्रयासों में शुभकामनाएं दीं। साथ ही समिति द्वारा बनाई गई पर्यावरण के अनुकूल बांस की राखियां चाइनीज राखियों के विकल्प के रूप में बाजार में उपलब्ध हैं। संपर्क -77987 11333

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