हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
रविश कुमार और बॉलीवुड के बुरे दिन

रविश कुमार और बॉलीवुड के बुरे दिन

by हिंदी विवेक
in फिल्म, मीडिया, राजनीति, विशेष
0
बॉलीवुड का आचरण अपने विकास के सबसे ऊंचे सीमा पर आया, तब उसने एक शो लाया- एआइबी। यह शो पश्चिमी देशों से होते हुए भारत में पहली बार दिसंबर 2014 में आया। बिल्कुल एंटी-कल्चरल शो। एडल्ट कंटेंट होना कंटेंट की एक सीमा होती है, लेकिन यहां कंटेंट भी इस सीमा को पार करके अननेचुरल तक पहुंच गया था।
शाहरुख खान के साथ बाद में इस एआइबी शो की पॉडकास्टिंग भी चलाई गई। लेकिन 2017 आते-आते बॉलीवुड की सांस फूलने लगी। यह शो दूसरी बार आयोजित नहीं किया जा सका। इस शो में अननेचुरल रोस्ट चलाने के लिए करण जौहर और रणवीर सिंह के साथ तीसरा अर्जुन कपूर भी था। अर्थात् इन तीनों ने बॉलीवुड के सबसे निकृष्ट आचरण का भोग किया है।
अर्जुन कपूर ने जो हालिया बयान दिया है, वही बयान ‘लाइगर’ का विजय देवरकोंडा ने भी दिया है। वैसे तो प्रोड्यूसर के तौर पर करण जौहर का होना ‘लाइगर’ के बहिष्कार के लिए पर्याप्त था। लेकिन विजय देवरकोंडा का बयान अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया, जिसमें उसने कहा कि बायकाट करने वालों को हमने कुछ ज्यादा ही अटेंशन दे दिया। खासकर इस अकड़ को बॉलीवुड का हालिया टाइमलाइन कहा जा सकता है।
रवीश कुमार का जो वर्तमान टाइमलाइन है, बॉलीवुड के वर्तमान टाइमलाइन से बिल्कुल मिलता जुलता है। रवीश कुमार को अब देखा जाए तो वह सरकार से प्रश्न करके थक चुके हैं। अब वे सरकार से प्रश्न नहीं करते। अब वे सीधे जनता से प्रश्न करते हैं। अर्जुन कपूर की तरह जनता को ही धिक्कारते हैं। जनता को ही कटघरे में खड़ा करते हैं। जनता को ही माननीय जनता कहकर चिट्ठी लिखते हैं। मतलब है कि रवीश कुमार अपने राजनीतिक आचरण की निकृष्ट सीमा को लांघ चुके हैं। यासीन मलिक को गांधी के रास्ते पर चलने वाला बताना और अफजल गुरु के लिए न्याय की मांग करना रवीश कुमार का अपना एआइबी शो था।
अब रवीश कुमार के लिए जनता और लोकतंत्र को एक साथ देखना संभव नहीं हो पा रहा। जनता की आवाज उनके लिए अब उन्माद की आवाज हो गई है। और लोकतंत्र इन आवाजों में नहीं बसता। इसलिए बार-बार वह कभी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी बोलकर तो कभी जनता के नाम चिट्ठी लिखकर, घृणा से सुने हुए अपने आचरण को दर्शाते रहते हैं। न्यायपालिका को भी इस लेखन में जोड़ लें तो जेबी पारदीवाला ने भी जनता की आवाज को सोशल मीडिया के बहाने फटकार लगा दिया।
दरअसल एक वक्त था जब मैगजीनों की नैरेटिव जर्नलिज्म और अखबारों की संपादकीय जनता की आवाज तय करती थी। ऐसी आवाजों पर मुट्ठी भर लोगों का कब्जा था। आज उस मुट्ठी से सारे प्रपंच रेत की तरह फिसल कर बाहर आ गए। जनता की आवाज अब अपनी-अपनी हाथों में आ गई। इसलिए देश और समाज का हर नेक्सस आज जनता को ही धिक्कार रहा है। सोच कर देखा जाए तो यह परिणाम बिना किसी एकोसिस्टम के है। जब इसमें कोई एकोसिस्टम काम करने लग जाए, तो क्या ये लोग फूलती सांस से आत्महत्या नहीं कर बैठेंगे?
-विशाल झा

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #रविशकुमार #बॉलीवुड #मीडिया #अर्जुनकपूर

हिंदी विवेक

Next Post
काश..! लोकतंत्र के लिए काँग्रेस मजबूत हो पाती?

काश..! लोकतंत्र के लिए काँग्रेस मजबूत हो पाती?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0