त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 145 किलोमीटर दूर, उनाकोटी है यहां कुल 9999999 पत्थर की मूर्तियां हैं अर्थात करोड़ में एक कम।
इस रहस्य को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है कि, ये मूर्तियां किसने कब और क्यों बनाई और सबसे जरूरी कि एक करोड़ में एक कम ही क्यों?
इन रहस्यमय मूर्तियों के कारण ही इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है, जिसका अर्थ होता है करोड़ में एक कम। कई सालों तक ये जगह अज्ञात थी,अभी भी बहुत कम लोग ही इसके बारे में जानते हैं।
उनाकोटी को रहस्यों से भरी है, क्योंकि एक पहाड़ी इलाका है जो दूर-दूर तक घने जंगलों और दलदली इलाकों से भरा है। अब ऐसे में जंगल के बीच में लाखों मूर्तियों का निर्माण कैसे किया गया होगा, क्योंकि इसमें तो सालों लग जाते और पहले तो इस इलाके के आसपास कोई रहता भी नहीं था। यह लंबे समय से शोध का विषय बना हुआ है।
उनाकोटि में दो तरह की मूर्तियों मिलती हैं, एक पत्थरों को काट कर बनाई गईं मूर्तियां और दूसरी पत्थरों पर उकेरी गईं मूर्तियां। जिनमें भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान विष्णु, और गणेश भगवान आदि की मूर्तियां स्थित है। इस स्थान के मध्य में भगवान शिव के एक विशाल प्रतिमा मौजूद है, जिन्हें उनाकोटेश्वर के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव की यह मूर्ति लगभग 30 फीट ऊंची बनी हुई है। इसके अलावा भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का साथ दो अन्य मूर्तियां भी मौजूद हैं, जिनमें से एक मां दुर्गा की मूर्ति है। साथ ही यहां तीन नंदी मूर्तियां भी दिखीं हैं। इसके अलावा यहां और भी ढेर सारी मूर्तियां बनी हुई हैं। इन मूर्तियों के बारे में एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है।
मान्यता है कि एक बार भगवान शिव समेत एक करोड़ देवी-देवता कहीं जा रहे थे। रात हो जाने की वजह से बाकी के देवी-देवताओं ने शिवजी से उनाकोटी में रूककर विश्राम करने को कहा। शिवजी मान गए, लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सूर्योदय से पहले ही सभी को यह स्थान छोड़ देना होगा। लेकिन सूर्योदय के समय केवल भगवान शिव ही जग पाए, बाकी के सारे देवी-देवता सो रहे थे। यह देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और श्राप देकर सभी को पत्थर का बना दिया। इसी वजह से यहां 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं, यानी एक करोड़ से एक कम (भगवान शिव को छोड़कर)।
यहां हर साल अप्रैल महीने के दौरान अशोकाष्टमी मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। इसके अलाव यहां जनवरी के महीने में एक और छोटे त्योहार का आयोजन किया जाता है। यह स्थान अब एक प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्य बन चुका है। यहां की अद्भुत मूर्तियों को देखने के लिए अब देश-विदेश के लोग आते हैं।