हमारे घर के पास एक डेरी वाला है. वह डेरी वाला एसा है कि आधा किलो घी में अगर घी 502 ग्राम तुल गया तो 2 ग्राम घी निकाल लेता था। एक बार मैं आधा किलो घी लेने गया. उसने मुझे 90 रूपय ज्यादा दे दिये । मैंने कुछ देर सोचा और पैसे लेकर निकल लिया। मैंने मन में सोचा कि 2-2 ग्राम से तूने जितना बचाया था बच्चू अब एक ही दिन में निकल गया। मैंने घर आकर अपनी पत्नी को कुछ नहीं बताया और घी दे दिया उसने जैसे ही घी डब्बे में पलटा आधा घी बिखर गया, मुझे झट से “बेटा चोरी का माल मोरी में” वाली कहावत याद आ गयी,और साहब यकीन मानिये वो घी किचन की सिंक में ही गिरा था।
इस वाकये को कई महीने बीत गये थे।परसों शाम को मैं वेज रोललेने गया,उसने भी मुझे सत्तर रुपये ज्यादा दे दिये,मैंने मन ही मन सोचा चलो बेटा आजफिर चैककरते हैं क्या वाकई भगवान हमें देखता है। मैंने रोल पैक कराये और पैसे लेकर निकल लिया आश्चर्य तब हुआ जब एक रोल अचानक रास्ते में ही गिर गया, घर पहुँचा, बचा हुआ रोल टेबल पर रखा, जूस निकालने के लिये अपनी मनपसंद का काँच का गिलास उठाया… अरे यह क्या गिलास हाथ से फिसल कर टूट गया।
मैंने हिसाब लगाया करीब – करीब सत्तर मेंसे साठ रुपये का नुकसान हो चुका था, मैं आश्चर्यचकित था। और अब सुनिये ये भगवान तो मेरे पीछे ही पड गए. जब कल शाम को दुकान वाले ने मुझे तीस रूपये ज्यादा दे दिये। मैंने अपनी धर्म- पत्नी से पूछा क्या कहती हो एक ट्राई और मारें। उन्होने मुस्कुराते हुये कहा – जी नहीं, और हमने पैसे वापस कर दिये। बाहर आकर हमारी पत्नी जी ने मुस्कुराते हुए कहा– वैसे एक ट्राई और मारनी चाहिये थी। उनका इतना कहना था कि उन्हें एक ठोकर लगी और वह गिरते-गिरते बचीं।
मैं सोच में पड गया कि क्या वाकई भगवान हमें देख रहा है। हाँ भगवान हमें हर पल हर क्षण देख रहा है, हम बहुत सी जगह पोस्टर लगे देखते हैं आप कैमरे की नजर में हैं। पर याद रखना हम हर क्षण पल प्रतिपल उसकी नजर में हैं। वो हर पल गलत कार्य करने से पहले और बाद में भी हमें आगाह करता है। लेकिन यह समझना न समझना हमारे विवेक पर निर्भर करता है..!!