सामाजिक समरसता के प्रेरक संत रविदास

Continue Readingसामाजिक समरसता के प्रेरक संत रविदास

संत रविदास का जीवन मानव विवेक की पराकाष्ठा का सर्वोत्तम प्रतीक है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सनातन धर्म के उत्थान तथा भारतीय समाज में उस समय फैली हुई कुरीतियों को खत्म करने में लगा दिया था। उनके शिष्यों में राजपरिवार में जन्मी मीराबाई से लेकर सामान्य जन तक शामिल थे।…

भगवान हमें हर पल देख रहे है

Continue Readingभगवान हमें हर पल देख रहे है

हमारे घर के पास एक डेरी वाला है. वह डेरी वाला एसा है कि आधा किलो घी में अगर घी 502 ग्राम तुल गया तो 2 ग्राम घी निकाल लेता था। एक बार मैं आधा किलो घी लेने गया. उसने मुझे 90 रूपय ज्यादा दे दिये । मैंने कुछ देर…

सभी नागरिकों को समान अधिकार – रामदास आठवले

Continue Readingसभी नागरिकों को समान अधिकार – रामदास आठवले

भारतीय संविधान ने सभी को समान अधिकार दिया है। आज विश्व को शांति, मित्रता, मानवता और विश्व बंधुत्व की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन के अहंकार की भावना का त्याग कर मानवता, प्रेम, आनंद, संतुष्टि एवं विश्वास निर्माण करना जरूरी है। यह वक्तव्य केन्द्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री…

धार्मिक कपड़ों से स्कूल में बढ़ेगी कट्टरता!

Continue Readingधार्मिक कपड़ों से स्कूल में बढ़ेगी कट्टरता!

एक स्कूल में कुछ लड़कियां हिजाब व बच्चे कुर्ता पजामा में नजर आ रहे है, कुछ भगवा धोती कुर्ते में पढ़ाई कर रहे हैं कुछ बच्चों ने सिर्फ गाढ़ा लाल कलर की धोती पहन रखी है तो कुछ बच्चे नग्न होकर पढाई कर रहे है। अब आप सोच रहे होंगे…

तुलसी की सामाजिक समरसता

Continue Readingतुलसी की सामाजिक समरसता

तुलसीदास जिस समय अपने विश्वप्रसिद्ध प्रबंध ‘रामचरित मानस’ की रचना कर रहे थे, देश में मुस्लिम शासकों का साम्राज्य स्थापित हो चुका था। मुसलमान परम्पराये, रहन-सहन और संस्कृति भारतीय हिन्दू पराम्पराओं और सनातन संस्कृति से मेल नहीं खाती थीं।

End of content

No more pages to load