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महत्वाकांक्षाएं अनियंत्रित न होने पाए

महत्वाकांक्षाएं अनियंत्रित न होने पाए

by हिंदी विवेक
in अध्यात्म, जीवन, विशेष, सामाजिक
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आजकल हमारा जीवन संघर्ष इतना बढ़ गया है कि हमें जीवन में संतोष और शांति का अनुभव नहीं हो पाता । बहुत से लोग जीवन भर विकल और विक्षुब्ध ही रहते हैं। हम जीवन में दिन-रात दौड़ते हैं । नाना प्रयत्नों में जुटे रहते हैं । कभी इधर कभी उधर हमारी घुड़दौड़ निरंतर चालू ही रहती है । किंतु फिर भी हममें से बहुत कम ही जीवन की प्रेरणाओं का स्रोत ढूंँढ पाते हैं, विरले ही जीवन की यथार्थता का साक्षात्कार कर पाते हैं । जहाँ हमें सहज ही शांति और संतोष की उपलब्धि होती है वहाँ बहुत ही कम पहुँच पाते हैं । आजीवन निरंतर सचेष्ट रहते हुए भी हममें से बहुतों को अंत में पश्चाताप और खिन्नता के साथ जीवन छोड़ना पड़ता है ।

हमें लक्ष्य भ्रष्ट करने में विकृत महत्वाकांक्षाओं का बड़ा हाथ है । वे हमें जीवन के सहज और स्वाभाविक मार्ग से भटका कर गलत मार्ग पर ले जाती हैं । इनके कारण हमें जो करना चाहिए उसकी उपेक्षा कर देते हैं और जो हमें नहीं करना चाहिए, वह करने लगते हैं ।

यों जीवन में “आकांक्षाओं” का होना आवश्यक है, क्योंकि इसके बिना तो जीवन जड़ बन जाएगा । प्रगति का द्वार ही बंद हो जाएगा । आज संसार का जो विकसित, प्रगतिशील स्वरूप दिखाई देता है वह बहुत से व्यक्तियों की आकांक्षाओं का ही परिणाम है । किसी वैज्ञानिक के मस्तिष्क में जब यह प्रश्न उठता है कि “यह क्या है ?” “कैसा है ?” “कैसे चल रहा है ?” तो उसे जानने के लिए मचल उठता है, उसके लिए तन्मय होकर अपने को अंत तक लगाए रखना, संसार में महान वैज्ञानिक आश्चर्य का द्वार खोल देता है ।

यद्यपि कुछ न कुछ कुछ “आकांक्षाएँ” सभी में होती है तथापि हर “आकांक्षा” को महत् नहीं कहा जा सकता । “आकांक्षाएँ” जब स्वयं व्यक्ति और समाज के लिए हित साधक होती हैं, तभी वे “महत्वाकांक्षाएँ” हैं । किसी को नुकसान पहुँचाने या डाकू बन कर लूटपाट करने के लिए किए जाने वाले दुस्साहस को महत्वाकांक्षा नहीं कहा जा सकता । स्वर्गीय चितरंजन दास के शब्दों में – “महत्वाकांक्षाएँ” जब पदार्थ प्रेरित होती हैं, तभी तक ये महत् हैं।” जिनसे समाज का अहित होता है, जो रचनात्मक न होकर विनाशात्मक हो, ऐसी महत्वाकांक्षा रावण, कंस, दुर्योधन की महत्वाकांक्षा है, जो जगत के लिए हानिकारक और स्वयं उनके जीवन में भी विनाशकारी ही सिद्ध होती है । ऐसी दुस्साहसी आकांक्षाओं का अवलंबन लेकर कोई व्यक्ति जीवन में संतोष-शांति का अनुभव कर सके, यह असंभव है ।

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Tags: ambitionself controlself discipline

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