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जम्मू कश्मीर पहुंचकर बेनकाब हुई भारत जोड़ो यात्रा

जम्मू कश्मीर पहुंचकर बेनकाब हुई भारत जोड़ो यात्रा

by मृत्युंजय दीक्षित
in ट्रेंडींग, राजनीति, सामाजिक
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यूँ तो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आरम्भ से ही विवादों के घेरे में रही किन्तु जम्मू कश्मीर पहुंच कर यह पूरी तरह बेनकाब हो गयी है। जम्मू कश्मीर के घटना क्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि राहुल गांधी की यह बहु प्रचारित यात्रा भारत जोड़ो नहीं भारत तोड़ो यात्रा है। साथ ही अब इस बात का रहा सहा संदेह भी दूर हो गया है कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का हाथ आतंकवाद व आतंकवादियों के साथ ही रहा है और जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों को बढ़ावा देने तथा अलगाववावदियों को संरक्षण व सहयोग देने वाले भी कांग्रेस व कश्मीर के परिवारवादी अब्दुल्ला और मुफ़्ती ही थे।आज जो कश्मीरी पंडित आतंकवाद का शिकार होकर देश के अलग अलग हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर हुए हैं उनके अपराधी यही कांग्रेस, अब्दुल्ला और मुफ़्ती हैं। जम्मू कश्मीर की सारी पीड़ा के पीछे कांग्रेस का नेहरू गांधी परिवार ही जिम्मेदार है जिसने अब्दुल्ला परिवार से दोस्ती बनाए रखने के लिए कश्मीर को आतंक के हवाले कर दिया।

जैसे ही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने जम्मू कश्मीर मे प्रवेश किया वैसे ही वहां से कई हैरान व परेशान करने वाली खबरेन और वीडियो प्राप्त होने लगे जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस का हाथ अब भी पाकिस्तान व अलगाववादियों के साथ है और यह भी कि आाखिरकार कांग्रेस के नेता पाकिस्तान के प्रति इतनी हमदर्दी क्यों दिखाते रहते हैं और भारतीय सेना का अपमान क्यों करते रहते हैं? राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हाथों में जलती हुई मशाल लेकर जम्मू पहुची इस समय राहुल गांधी काले रंग के जैकेट कम रेनकोट में नजर आए। पूरे देश की यात्रा में कहीं मशाल नहीं थी और कपड़े सफ़ेद थे जबकि जम्मू कश्मीर में प्रवेश करते ही कपड़े काले हो गए और हाथ में मशाल आ गयी, इसका क्या संकेत था और किसको दिया जा रहा था ? राहुल गुपकार गैंग से मिले और गैंग के सबसे बड़े नेता फारूख अब्दुल्ला ने राहुल गांधी की तुलना आदि शंकराचार्य से कर दी जो सीधे सीधे सनातन का अपमान है ।

अब्दुल्ला ने राहुल गांधी के स्वागत मे कहा कि आज तक किसी ने ऐसी यात्रा नहीं की है सिर्फ शंकराचार्य जी कन्याकुमारी से कश्मीर पहुंचे थे और उनके बाद राहुल दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं जो मुल्क को जोड़ने के लिए कन्याकुमकारी से कश्मीर तक आए। एक अन्य समाचार के अनुसार राहुल गांधी पहले श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराना चाह रहे थे लेकिन कांग्रेस की राज्य इकाई के समझाने के बाद अचानक उन्होने अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया और अब वह कांग्रेस मुख्यालय में ही यह कार्यक्रम करेंगे। ज्ञातव्य है कि श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक में पहले अलग राज्य का झंडा व तिरंगा दो झंडे फहराये जाते थे लेकिन मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा -370 व 35 -ए के समापन के बाद से वहां पर केवल तिरंगा ही फहरा रहा है।

एक समय था जब जम्मू कश्मीर के सभी अलगाववादी नेता व मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले सभी दल श्री नगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चुनौती राष्ट्रवादियों को दिया करते थे अगर कोई व्यक्ति या संगठन लाल चौक पर तिरंगा फहराने का प्रयास भी करता था तो स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो जाती थी, अलगाववादी हड़ताल करते थे और सड़क पर पत्थरबाजों का तांडव होता था, सुरक्षाकर्मी महज तमाशबीन होकर तमाशा देखते थे और अपनी जान बचाने का प्रयास करते रहते थे। उस समय वर्ष 1992 में भारतीय जनता पार्टी के नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने एक यात्रा निकाली थी और उनके साथ आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र्र मोदी भी थे जिन्होंने तमाम विरोधों व बाधाओं के बावजूद तिरंगा फहराकर दिखा दिया था। श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगे की शान बचाए रखने में कई पुलिसकर्मी और युवा सैनिक बलिदान हुए आज उसी तिरंगे का कांग्रेस पार्टी ने वोटबैंक के चक्कर में एक बार फिर अपमान किया है।अगर कांग्रेस नेता वास्तव में भारत की एकता को मजबूत करना चाहते थे तो अपने सभी साथियों के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहराना चाहिए था लेकिन कांग्रेस को तो मुस्लिम वोटबैंक मजबूत करना है और गुपकार गैंग से गाँठ जोड़नी है इसलिए लाल चौक पर तिरंगा फहराने का कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया।

गुपकार गैंग और कांग्रेस के नेता समय -समय पर तिरंगे का अपमान करते ही रहते हैं । महबूबा मुफ्ती अक्सर ही जोर जोर से आवाज लगाकर रोती थीं कि अगर यहां से 370हटी तो राज्य में तिरंगा फहराने वाला कोई नहीं मिलेगा।यही हाल नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला व अन्य अलगाववादी नेताओं का रहा।अगस्त 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर तिरंगा अभियान का भी जम्मू -कश्मीर के गुपकार गैंग ने विरोध किया था, फारूख अब्दुल्ला ने कहा था कि तिरंगा दिल में होना चाहिए लेकिन जम्मू कश्मीर में इस अभियान की सफलता ने इन तथाकथित नेताओं के चेहरे पर हवाईयां उड़ा दी थीं। राहुल गांघी अगर सभी विरोधी दलों के नेताओं के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहरने जाते तब उनकी भारत जोड़ो यात्रा का संदेश देश और दुनिया के समक्ष जाता और उनकी छवि में भी कुछ सुधार हो जाता लेकिन उन्हाने यहां पर एक बड़ी गलती कर दी है और वह भी तब जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार का पक्ष पूरी मजबूती के साथ दुनिया के हर मंच पर सुना जा रहा है। जब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की नीति के कारण पाकिस्तान पूरी दुनिया से अलग -थलग हो चुका है तब भी राहुल गाँधी उसकी वकालत करते हुए लाल चौक से पीछे हट गए हैं ये काम कोई भारत द्रोही ही कर सकता है ।

जम्मू कश्मीर के नेता व अलगाववादी तत्व शांति बहाली के प्रयासों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का नाम लेते हुए यह बात भूल जाते हैं कि पूर्व प्रधनमंत्री स्वर्गीय अटल जी भी जम्मू कश्मीर से 370 हटाने के प्रबल पक्षधर थे लेकिन उस समय संसद में उनके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं था फिर भी उन्होने इसके लिए कई प्रयास किये । गुपकार गैंग के लोग 370 हटाने को असंवैधानिक बता रहे हैं और और अभी भी 370 की बहाली की बात करके जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं । इसी मानसिकता से प्रेरित होकर ये लोग राहुल गांधी का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि उनको लगता है कि राहुल गाँधी अगर प्रधानमंत्री बन गए तो 370 को बहाल कर सकते हैं। जम्मू कश्मीर से धारा -370 व 35- ए के समापन के बाद आतंकवाद भी इस क्षेत्र में लगभग अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। राज्य एक बड़े बदलाव के साथ विकास की ओर अग्रसर है।राज्य में पहली बार स्थानीय निकायों के चुनावों में शांतिपूर्वक भारी मतदान हुआ और अब कश्मीरी पडितों के पुनर्वास योजना पर भी काम चल रहा है।अनुच्छेद 370 के नाम पर जम्मू कश्मीर का प्रशासन तंत्र पूरी तरह से भ्रष्टाचार के अथाह चंगुल में फंसा हुआ था जिससे अब वह बाहर आ रहा है।यह भारत की रणनीति व कूटनीति का ही कमाल है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाने वाले आतकवादी समूहों व आतंकवादियों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों व सरकार के स्तरों पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

राहुल गांधी की प्रचार टीम ने इस यात्रा के दौरान उनको तपस्वी के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया लेकिन सनातन हिंदू समाज को बांटने की रणनीति पर आधारित विकृत बयानबाजी ने उसकी हवा निकाल दी। उन्होनें अपनी यात्रा में हिंदू बनाम हिंदुत्व, तपस्वी बनाम पुजारी तथा जयश्रीराम बनान जय सियाराम जैसे विरोधाभासी बयान दिये।वहीं कांग्रेस के नेताओं ने उनकी तुलना भगवान श्रीराम से कर दी और फारूख अब्दुल्ला ने रही सही कसर राहुल की तुलना शंकराचार्य जी से करके पूरी कर दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रामायण और महाभारत का गलत संदर्भां में उद्धरण दिया और रामायण तथा महाभारत जैसे महान सनातन इतिहास का अपमान किया, उन्होंने हिंदू समाज को विभाजित कर आपस में ही लड़ाने के प्रयास भी इस यात्रा में किये।कांग्रेस नेता राहलु गांधी एक सोची समझी रणनीति के तहत अपनी यात्रा में अयोध्या, मथुरा और काशी नहीं गये।

वैचारिक धरातल पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पूरी तरह से भ्रम का शिकार रही साथ ही इस यात्रा ने उनकी भारतीयता के सन्दर्भ में अल्पज्ञता और राजनैतिक स्वार्थ के लिए किसी भी स्तर तक जाने की बेकरारी को स्थापित किया । राहुल गांधी लाल चौक पर भले ही तिरंगा न फहरायें लेकिन आज यह सबसे बड़ा सत्य है कि जम्मू कश्मीर में हर घर में और लाल चौक पर भी तिरंगा शान के साथ ल हरा रहा है और अनंतकाल तक फहराता रहेगा। तिरंगा एलओसी से पास लंगेट पर भी फहरा रहा है जहां जम्मू कश्मीर के पहले आतंकवादी मकबूल बट्ट का आतंक था लेकिन आज लंगेट का हर तिरंगे में अपना भविष्य देख रहा है और तिरंगा फहरा रहा है।

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Tags: abdullahbharat jodobharat todocongressjammu & kashmirmuftirahul gandhi

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