जम्मू कश्मीर पहुंचकर बेनकाब हुई भारत जोड़ो यात्रा

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यूँ तो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आरम्भ से ही विवादों के घेरे में रही किन्तु जम्मू कश्मीर पहुंच कर यह पूरी तरह बेनकाब हो गयी है। जम्मू कश्मीर के घटना क्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि राहुल गांधी की यह बहु प्रचारित यात्रा भारत जोड़ो नहीं भारत…

जम्मू कश्मीर में 36 घंटे में 9 आतंकी ढेर

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जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठनों का सफाया लगातार जारी है। गुरुवार को सेना और आतंकियों के बीच में शुरु हुई मुठभेड़ अभी भी जारी है ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक 3 आतंकी मारे जा चुके है और 4 जवान भी घायल हुए है जिसमें 3 पुलिसकर्मी और एक सेना…

गिलगित को पाक के हाथ जाता देख क्यों चुपी रही तत्कालीन सरकार, बैठे जांच आयोग: कुलदीप चंद अग्निहोत्री

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देहरा महाराजा की ओर से समस्त जम्मू-कश्मीर के विलय के बाद भी पाकिस्तानी हमले और ब्रिटिश षड्यंत्र के चलते गिलगित बाल्टिस्तान भारत के हाथ से बाहर हो गया। लेकिन इसके बाद भी तत्कालीन नेहरू सरकार चुप रही। आखिर सरकार ने क्यों यह चुप्पी साधी थी, इसकी जांच के लिए शासन…

अनकही कहानी का इतिहास

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जम्मू-कश्मीर की अनकही कहानी, वास्तव में अपने शीर्षक को अक्षरश: चरितार्थ करने में पूरी तरह सफल रही है। विद्वान लेखक ने बड़ी मेहनत से पुस्तक की सामग्री एकत्र की है।

प्रजा परिषद आन्दोलन के साठ साल

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जम्मू-कश्मीर के पिछले छह दशकों के इतिहास में दो आन्दोलन सर्वाधिक महत्वपूर्ण आन्दोलन कहे जा सकते हैं। मुस्लिम कान्फ्रेंस/नैशनल कान्फ्रेंस का 1931 से लेकर किसी न किसी रूप में 1946 तक चला, महाराजा हरि सिंह के शासन के खिलाफ आन्दोलन, जिसका अन्तिम स्वरूप ‘डोगरो कश्मीर छोडो’ में प्रकट हुआ।

जम्मू-कश्मीर समस्या तथा संयुक्त राष्ट्र संघ

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यह प्रश्न आज भी विवादास्पद है कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर पर 1947 में पाकिस्तान के आक्रमण के प्रश्न को संयुक्त राष्ट्र संघ में लेकर क्यों गयी? इसके माध्यम से सरकार क्या प्राप्त करना चाहती थी और इस पूरे प्रकरण में संयुक्त राष्ट्र संघ भारत की क्या सहायता कर सकता था?

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