संघ में पद नहीं व्यवस्था – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में पद नहीं व्यवस्था होती है. इससे जुड़ा वह एक रोचक वाकया है कि तब बालासाहब देवरस संघ के प्रमुख थे। रज्जू भैया को उन्होंने अपना डिप्टी यानी सरकार्यवाह बनाया था। इस बीच 1987 में रज्जू भैया ने अपना सर कार्यवाह का पद एचवी शेषाद्रि को सौंप दिया और खुद उनके सहयोगी यानी सह-सर कार्यवाह बन गए। इस पर आरएसएस में हंगामा मच गया कि कैसे रज्जू भैया अपने जूनियर को ही अपने ऊपर बैठा रहे हैं?
इस पर तत्कालीन संघ प्रमुख देवरस जी ने भी रज्जू भैया से नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा था कि आपको इस नियुक्ति का अधिकार किसने दिया। इस पर रज्जू भैया ने कहा था कि संघ के संविधान में सरकार्यवाह ही कार्यकारी प्रमुख होता है, जबकि संघ प्रमुख की भूमिका मार्गदर्शक की होती है। आप और हम दोनों बीमार चल रहे हैं, ऐसे में किसी ऊर्जावान प्रचारक को संघ में नंबर दो होना चाहिए। तब जाकर देवरस जी संतुष्ट हुए।
रज्जू भैया के इस फैसले से संदेश गया कि संघ में कोई पद छोटा, बड़ा नहीं होता, जिम्मेदारी बड़ी होती है। जिसे हम पद समझते हैं, वह व्यवस्था होती है। अगर एक सामान्य कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी मिली है तो वह अहम पद पर बैठे संघ पदाधिकारी से भी महत्वपूर्ण है।