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राम शिला यात्रा से चीन के एजेंडे को आघात कैसे लगा ?

राम शिला यात्रा से चीन के एजेंडे को आघात कैसे लगा ?

by हिंदी विवेक
in अध्यात्म, ट्रेंडींग, देश-विदेश, संस्कृति, सामाजिक
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चीन सदैव भारत और नेपाल के रिश्तों में खलल डालने की कोशिश में लगा रहता है वो चीन को अपने करीब लाकर भारत को साइडलाइन करने की मंशा पर लगातार काम करता रहा है लेकिन राम शिला यात्रा ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

दरअसल अयोध्या के अंदर जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री विमलेंद्र निधि ने श्री रामजन्मभमि तीर्थ ट्रस्ट से ये आग्रह किया कि नेपाल का भी सहयोग इसमें होना चाहिए । नेपाल के जनकपुर धाम से विमलेंद्र निधि सांसद भी हैं जो माता सीता की जन्मभूमि यानी उनका मायका भी है ।

ट्रस्ट के अलावा विमलेंद्र निधि ने प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर भी बातचीत शुरू की जल्द ही तीर्थ ट्रस्ट ने इस पर हरी झंडी दिखा दी और इसके बाद नेपाल का ये प्रस्ताव मान लिया गया कि राममंदिर की प्रतिमाओं का निर्माण काली गंडक नदी की शालिग्राम शिला से ही होगा ।

काली गंडक नदी ही दुनिया की एक मात्र ऐसी नदी है जहां उच्चकोटि की शालिग्राम शिलाएं मिलती हैं । नेपाल की सरकार ने एक कैबिनेट मीटिंग की और फौरन एक्सपर्ट की टीम काली नदी भेजी । इसके बाद 26 टन और 14 टन की दो शालिग्राम शिलाओं को चुना गया जिनकी उम्र साढे 6 लाख वर्ष थी और उनको अभी 1 लाख साल और जीवित रहना है यानी उनमें कोई दिक्कत नहीं होगी ।

इन शिलाओं को नदी से निकालने से पहले नदी से क्षमा पूजा भी की गई और इसके बाद ये शइला जनकपुर नेपाल से निकलती हुई पहुंची बिहार के मधुबनी इसके बाद दरभंगा फइिर गोपालगंज इसके बाद गोरखपुर और अब ये शिलाएं अयोध्या पहुंच चुकी हैं ।

रास्ते में जहां जहां से भी ये शिलाएं गुजरीं नेपाल और बिहार के स्त्री, पुरुष लाखों की संख्या में सड़कों पर खड़े होकर शिलापूजन करने लगे । लोग भावुक हो उठे । लाखों की संख्या में स्त्रियां चंदन कुंकम लेकर रास्तों पर इंतजार करती रहीं । किसी ने बुलाया नहीं लेकिन जगह जगह स्वयं ही लोग पंडाल सजाकर स्वागत करने लगे । ना कोई धर्मगुरु, ना कोई बड़ा नेता और ना ही किसी की रैली थी लेकिन इतनी आपार भीड़ सिर्फ श्रीराम शिला के आगमन पर ही उमड़ने लगी ये है राम नाम का महत्व ।

राम मंदिर के गर्भगृह में जो प्रतिमा लगेंगे वो नेपाल की शिलाओं से बनेंगी । ये नेपाल और भारत के आध्यात्मिक रिश्ते को मजबूत करने वाली बात है । प्रचंड के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन और नेपाली कम्युनिस्ट जो भारत विरोधी गुल खिलाने की साजिश रच रहे थे उसे राम की शिलाओं ने ही तहस नहस कर दिया

मकर संक्रांति को 2024 में इन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी और राम नवमी से ही भक्तों के लिए दर्शन का काम भी शुरू हो जाएगा

राम मंदिर में 1800 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है और 45 प्रतिशत काम प्रथम तल का पूरा हो चुका है । उम्मीद की जा रही है कि यहां हर दिन 50 हजार और विशेष मौकों पर प्रतिदिन 50 लाख श्रद्धालु तक आ सकते हैं

श्रद्धालुओं की अपार भीड़ का मैनेजमेंट करना अब योगी जी के लिए बड़ी चुनौती होने वाली है ।

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Tags: indiaindo-nepal relationshipnepalRam mandirramshila shaligram

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