हिंदुत्व राष्ट्र धर्म है – सुशील कुलकर्णी

हमारे धर्म के मूल में ही राष्ट्रधर्म को प्राथमिकता दिया गया है. कोई इसे सनातन धर्म कहता है, तो कोई इसे हिन्दू धर्म कहता है तो कोई कुछ और कहता है लेकिन मूल में राष्ट्र धर्म ही है. इस राष्ट्र में जितने भी धर्म, पंथ, मत का उदय हुआ उन सभी ने राष्ट्र को अधिक महत्व दिया. सबसे पहले धर्म, फिर राष्ट्र और उसके आगे सब कुछ, इसके बजाए हमारे यहां राष्ट्र सर्वप्रथम है, और राष्ट्रहित के लिए जो-जो करना पड़े वहीं हमारा धर्म है. इसलिए हिन्दू धर्म को राष्ट्र धर्म कहा जाता है. यह वक्तव्य सुशील कुलकर्णी ने व्याख्यानमाला के दौरान दिया.

राष्ट्रहित जनाधार विश्वस्त मंडल की ओर से जनुभाऊ रानडे स्मृतिदिन के उपलक्ष्य में डॉ. हेडगेवार हॉस्पिटल के स्व. दामुअण्णा दाते सभागृह में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया था, जिसमें वे बतौर वक्ता सभा को संबोधित कर रहे थे. इसके अलावा राष्ट्रीय विचार, राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रधर्म और रामकृष्ण से लेकर समर्थ रामदास तक और प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार से लेकर संघ के प्रचारकों तक सभी ने अपने जीवन में राष्ट्र धर्म का कैसे पालन किया, इस विषय पर उन्होंने सारगर्भित विचार रखे.

इस कार्यक्रम में मंच पर रा. स्व. संघ देवगिरी प्रान्त के प्रांत संघचालक अनिल भालेराव, राष्ट्रहित जनाधार विश्वस्त मंडल के संस्थापक अध्यक्ष संजय अप्पा बारगजे, सचिव राजीव जहागीरदार उपस्थित थे.

कार्यक्रम का शुभारम्भ मान्यवरों के हाथों दीप प्रज्वलित कर किया गया. संजय आप्पा बारगजे के हाथों सुशील कुलकर्णी का तथा शैलेश पत्की के हाथों प्रमुख अतिथि अनिल भालेराव का सम्मान किया गया. अनिल भालेराव ने संबोधन में अपने विचार प्रकट किये. अप्पा बरगजे ने प्रस्तावना रखी. राजीव जहागीरदार ने सूत्र संचालन किया. पंकज पाडलकर ने सभी उपस्थित जनों का आभार माना.

वर्षा जोशी ने व्यक्तिगत गीत गाया और वैभव पांडे ने सम्पूर्ण वंदे मातरम गीत गाकर सभी को देशभक्ति के भाव से भर दिया.

इस कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद महानगर के अध्यक्ष डॉ. जीवन राजपूत, महानगर मंत्री शैलेश पत्की, विहिप प्रान्त प्रचार प्रसार प्रमुख गिरिधर पांडे, देवजी भाई पटेल सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे.

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