हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
दिल्ली दंगों का तीसरा साल, जख्म जो अब तक नहीं भरा

दिल्ली दंगों का तीसरा साल, जख्म जो अब तक नहीं भरा

by आशीष अंशू
in राजनीति, विशेष, सामाजिक
0

यह दिल्ली दंगे का तीसरा साल है। अब लोग धीरे धीरे उसे भूलने लगे हैं लेकिन जिन परिवारों को इस दंगे ने जख्म दिए हैं। वे भूलने की कोशिश करते हैं और फरवरी का महीना हर साल सबकुछ फिर से याद दिला देता है। 22 फरवरी 2020 तक सबकुछ सामान्य था और 23 तारीख से पूर्वनियोजित योजना बनाकर दिल्ली को आग में झोंक देने की साजिश रची गई।

सामने आए कथित तौर पर साजिश रचने वाले दर्जनों नाम अब जमानत पर रिहा हैं। दिल्ली के इतिहास पर यह दंगा एक बदनुमा दाग बन कर छप गया है। जहां कुछ राजनीतिक चेहरे भी बेनकाब हुए जो यहां के दलितों और पीछड़ों को भरोसा दे रहे थे कि वे उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसा कोई कथित अम्बेडकरवादी पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं आया। देखा गया कि भीम आर्मी के लोग इस मुद्दे पर अपना मुंह छुपाते रहे। इस पूरे मामले में आरोपियों में मुसलमानों का नाम शामिल था, संभव है कि भीम आर्मी के नेता यदि दिल्ली दंगों पर बयान दे देते तो उनका भीम-मीम का एजेन्डा प्रभावित हो जाता।

दलित परिवार के लोग इस इंतजार में जरूर दिखे कि उनके घर चन्द्रशेखर रावण एक बार आएंगे लेकिन वह नहीं आए। दलित परिवारों पर हमले से लेकर उनकी हत्या तक की घटनाएं दंगों के दौरान सामने आई, पर मामले पर पूरी भीम आर्मी के बीच खामोशी पसरी रही। पीड़ित दलित परिवारों के पक्ष में तीन साल में भीम आर्मी का एक बयान सामने नहीं आया।

दिल्ली के पीड़ित परिवार आज भी दंगों की भयावहता को याद करके सिहर उठते हैं। आम आदमी पार्टी जो दिल्ली की झुग्गी – झोपड़ियों में रहने वाले प्रवासियों को अपना वोट बैंक मानती है। आम आदमी पार्टी के लिए पोस्टर चिपकाने से लेकर उनका प्रचार करने वाले परिवारों के लोग पीड़ित हुए। संयोग यह था कि आग लगाने वाले भी आम आदमी पार्टी से ही जुड़े थे। इसलिए पीड़ितों के साथ आम आदमी पार्टी खुलकर सामने नहीं आई। उनके लोग जरूर दिल्ली दंगों का षडयंत्र रचने के आरोप में जेल गए। आम आदमी पार्टी से पार्षद ताहिर हुसैन पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने मनी लॉड्रिंग मामले में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने ताहिर हुसैन पर यह आरोप तय किया है कि उसने अवैध तरीके से मिले धन का इस्तेमाल दिल्ली के दंगों को भड़काने में किया है। मनी लॉड्रिंग के अलावा कोर्ट ताहिर हुसैन पर आईपीसी की धारा 302, 307, 147, 148 और 153ए, 120 बी के अन्तर्गत आरोप तय कर चुकी है। 2017 का एमसीडी चुनाव ताहिर ने आम आदमी पार्टी की टिकट पर जीता। दंगों के बाद आम आदमी पार्टी ने निकाल दिया है लेकिन दंगों के दौरान वह पार्टी के नेताओं के लगातार संपर्क में था।

आम आदमी पार्टी का नेता रहा ताहिर हुसैन कोर्ट में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को अपना वकील बनाकर केस लड़ रहा है। हुसैन की ओर से कोर्ट में खुर्शीद पेश हुए और उन्होंने तर्क दिया कि जिस व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप लगाया गया था, उसके सहित अन्य सभी सह-आरोपी उसी मामले में जमानत पर हैं और ताहिर हुसैन को किसी भी आग्नेयास्त्र का उपयोग करते हुए किसी ने नहीं देखा। लेकिन सच यह भी है कि उसकी छत पर जो देखा गया। उससे तो कोई इंकार नहीं कर सकता। ताहिर को हिन्दू—मुस्लिम सबने वोट देकर पार्षद बनाया था लेकिन दंगों के दौरान वह सिर्फ मुसलमानों के प्रतिनिधि के नाते काम कर रहे था। ऐसा उसके घर के आस-पास के लोगों का ही कहना है। भारतीय कानून व्यवस्था की कमियों का लाभ उठाकर ताहिर भी दिल्ली दंगों के मामले में बरी हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। जैसे दंगों के तीन साल पूरे होने के बाद भी दंगा पीड़ित अपने लिए न्याय की राह देख रहे हैं। तीन साल बीत जाने के बाद भी 10 फिसदी मामलों में फैसला नहीं आ पाया है। अब तो बड़ी संख्या में पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद भी खो चुके हैं। तीन साल पहले हुए दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी। 700 से अधिक लोग घायल हुए। दंगों से जुड़े 675 मामले कड़कड़डूमा कोर्ट में दर्ज कराए गए थे। 20 फरवरी 2020 से लेकर 20 फरवरी 2023 तक सिर्फ 47 मामलों में फैसला आ पाया है। इनमें भी 36 आरोपी बरी हो चुके हैं। न्याय के लिहाज से इसे संतोषप्रद रिकॉर्ड नहीं माना जा सकता।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुआ दंगा हिन्दू मुस्लिम के बीच के सामुदायिक भरोसे पर बड़ा घाव देकर गया। यह बात और अधिक ठेस पहुंचाने वाली तब हो गई जब दंगों के बाद इस बात के प्रमाण मिलने लगे कि स्थानीय मुस्लिम आबादी में अधिकांश परिवारों को इस दंगे की आश्ंका पहले से थी। उन्होंने इसके लिए सावधानी बरतनी शुरू कर दी। मुस्लिम मोहल्लों में दंगों से बचाव के पर्चे मिले लेकिन इन बातों की भनक तक उन्होंने अपने पड़ोस में रहने वाले हिन्दू परिवारों को नहीं होने दी।

जिसमें मुस्लिम परिवारों को बताया गया था कि साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उन्हें कैसे बर्ताव करना है। अपनी सुरक्षा के लिए उन्हें क्या करना है और सामने वाले पर वार कैसे करना है? एक चश्मदीद के अनुसार दंगे से एक दो रात पहले से भजनपुरा पेट्रोलपंप पर पूरी पूरी रात पेट्रोल लेने वालों की कतार लगी रही। जो सामन्य घटना नहीं थी। दंगों वाली सुबह मुस्लिम परिवार के लोग अपने बच्चों को दंगा शुरू होने से पहले ही घर ले आए थे। जैसे उन्हें किसी ने इस बात की जानकारी दे दी हो कि कुछ बड़ी घटना इस क्षेत्र में होने वाली है। सावधान हो जाओ। यह बातें फैक्ट फाइंडिंग की एक रिपोर्ट से सामने आई।

धीरे धीरे फिर पीड़ित हिन्दू मुस्लिम परिवार सामान्य जीवन की तरफ लौटने की कोशिश कर रहें। जैसा दिल्ली में तीन साल पहले हुआ। ईश्वर ना करे कि फिर कभी वह दिन दिल्ली को वापस देखना पड़े।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: anti india agendaanti india narrativeanti india protestdelhi riots

आशीष अंशू

Next Post
हरियाणा में होगी संघ की आखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा

हरियाणा में होगी संघ की आखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0