दिल्ली दंगों का तीसरा साल, जख्म जो अब तक नहीं भरा

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यह दिल्ली दंगे का तीसरा साल है। अब लोग धीरे धीरे उसे भूलने लगे हैं लेकिन जिन परिवारों को इस दंगे ने जख्म दिए हैं। वे भूलने की कोशिश करते हैं और फरवरी का महीना हर साल सबकुछ फिर से याद दिला देता है। 22 फरवरी 2020 तक सबकुछ सामान्य…

जवहारलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विषैला वामपन्थ

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दुनिया में अपने शैक्षिण गतिविधि, उत्कृष्टता के लिये जाने-जाना वाला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय गाहे-बगाहे चर्चा में आ ही जाता है। जे. एन. यू. की पहचान एक उन्मुकत वातावरण में डिबेड, चर्चा-परिचर्चा रही है, अपनी स्थापना से ही व्यवस्था बदलाव को लेकर यहाँ का छात्र समाज में अपनी आवाज़ को बुलन्द …

जिहादी-कांगी-वामी गिरोह गोलियथ की तरह विशाल

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एक बहुत ही पुराना किस्सा है, जो आपने कई बार पढा या सुना होगा। ये किस्सा यहूदी राजा डेविड से जुड़ा है। किंग डेविड यहूदियों के शुरुआती राजाओं में से एक थे। इजराइल में एक बहुत पुराना मंदिर है, जो किंग डेविड का ही बनवाया हुआ है। तो कहानी किंग…

फंडिंग एजेन्सी के हाथों में आंदोलन

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इस तरह एनजीओ में धीरे-धीरे फंडिंग एजेन्सी का दबाव अधिक बढ़ने लगा और आंदोलन समाज के हाथ से निकल गया। वर्ना देश में कोई भी आंदोलन समाज से कट कर कैसे चल सकता है? जैसे दिल्ली में हाल में ही सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन चला। जिसकी वजह से लाखों लोगों की जिन्दगी प्रभावित हुई। स्कूल बस, एम्बुलेन्स तक को शाहीन बाग आंदोलन में बाधित किया गया। क्या महीनों ऐसे रास्ता बंद करके बैठे लोगों के समूह को आंदोलन कह सकते हैं, जिस आंदोलन में कोई मानवीय पक्ष दिखाई ना देता हो। 

अप्रिय विवाद का पटाक्षेप

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कृषि कानूनों के मुद्दे पर राजग से नाता तोड़कर अकाली दल की असली मंशा यह थी कि वह खुद को पंजाब के किसानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित कर सके। अब जबकि प्रधान मंत्री मोदी ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है तब अकाली दल को भाजपा से पुनः मित्रता करने में कोई दिक्कत होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।

आखिर विपक्ष क्यों करता है सभी बिल का विरोध?

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संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को हंगामे के बीच शुरु हुआ और 12 सांसदों के निलंबन के साथ खत्म हुआ। विपक्षी दलों के 12 राज्य सभा सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इन सभी सांसदों पर सदन में हंगामा करने का आरोप लगा है। मानसून सत्र…

किसानों की यह जिद खतरनाक है

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निस्संदेह, जिनने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी तथा देश से क्षमा मांगने की घोषणा के बाद उम्मीद की होगी कि अब दिल्ली की सीमा से धरनाधारी वापस चले जाएंगे उन्हें गहरा आघात लगा है। हालांकि कृषि कानून विरोधी आंदोलन और धरने पर गहराई से दृष्टि…

राष्ट्रीय चरित्र विकास को प्राथमिकता देकर राष्ट्र का विकास

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प्रत्येक माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा जाति या पंथ की परवाह किए बिना एक बेहतर व्यक्तिगत चरित्र विकसित करे।  जब मैं व्यक्तिगत चरित्र कहता हूं, तो मेरा मतलब ईमानदारी, अखंडता, लक्ष्य प्रतिबद्धता, सामाजिक प्रबुद्धता और कई अन्य जरुरी लक्षण विकसित करना है।  हालांकि, हमारी महान संस्कृति की उपेक्षा और…

मालदीव में भारत विरोधी बयार

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मालदीव के इस घटनाक्रम को सही परिप्रेक्ष्या में समझने के लिए पिछले साल दिसम्बर में मौमून अब्दुल गयूम की इस घोषणा को याद करना चाहिए कि ‘मालदीव के लोग किसी और मजहब की इजाजत नहीं दे सकते। मालदीव की जनता को इस्लाम की रक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। नाशीद इस्लाम को कमजोर करने की कोशिश बंद करें।’

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