विकास से सीमावर्ती गांवों के विस्थापित लगे लौटने

केंद्र सरकार ने हाल में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ की शुरुआत की जिसके तहत अरुणाचल प्रदेश के 455 सीमावर्ती गांव आएंगे। इस कार्यक्रम के तहत इन इलाकों में आय अर्जित करने वाली गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और संपर्क तथा सामाजिक अवसंरचना में सुधार लाया जाएगा।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने यहां कहा कि राज्य सरकार ने संपर्क और संचार में सुधार लाकर तथा कृषि गतिविधियों को मजबूत करके सीमावर्ती इलाकों के विकास पर काफी ध्यान दिया है जिसके परिणामस्वरूप विस्थापित हुए लोगों के लौटने के प्रारंभिक संकेत मिलने लगे हैं। खांडू ने चीन के साथ लगती सीमा पर स्थित किबितू गांव के दौरे पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अरुणाचल प्रदेश का आधा क्षेत्र और एक तिहाई आबादी सीमावर्ती इलाकों में है जिसके कारण राज्य सरकार ने ऐसे उपायों के जरिए सीमावर्ती इलाकों के विकास पर काफी ध्यान दिया है।’’

अधिकारियों के अनुसार, दशकों से सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित गांव खराब संपर्क, पर्वतीय क्षेत्र, कमजोर संसाधन और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी विभिन्न चुनौतियों से जूझते रहे हैं जिसके कारण लोगों को विकसित इलाकों की ओर रुख करने पर विवश होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आदर्श ग्राम क्लस्टर के विकास, संपर्क में सुधार, ‘आत्मनिर्भर’ योजनाओं और ‘मिशन कृषि वीर’’ के जरिए कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना अरुणाचल प्रदेश सरकार की अहम पहल हैं जिनका मकसद सीमावर्ती इलाकों का सर्वांगीण विकास है।

खांडू ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और ड्रोन के इस्तेमाल तथा स्वयंसेवी संगठनों के साथ भागीदारी पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार की मदद के साथ अरुणाचल प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के अच्छे नतीजे दिखे हैं और कुछ क्षेत्रों में हमने विस्थापित हुए लोगों के लौटने के शुरुआती संकेत देखे हैं।’’

देश में सबसे लंबी 1,863 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा अरुणाचल प्रदेश की है। इसमें राज्य की 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा तिब्बत से लगती है।

राज्य के उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने कहा, ‘‘विकास के अभाव और बुनियादी ढांचे की अड़चनों के कारण सीमावर्ती इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों ने निचले इलाकों की ओर रुख किया। सौभाग्य से हमारे विशेष प्रयासों से हालात अब बदल रहे हैं।’’

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