विश्व विरासत दिवस के अवसर पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने यहां के स्थानीय संग्रहालय में सैकड़ों दुर्लभ और प्राचीन बसोहली चित्रों को प्रदर्शित किया है ताकि 17वीं सदी की इस कला को लोकप्रिय बनाया जा सके।
सैकड़ों लोग डोगरा कला संग्रहालय में मंगलवार को इन चित्रों को देखने पहुंचे। यहां साथ ही कलाकार धीरज कपूर द्वारा बसोहली चित्र बनाने की कला को सीधे प्रदर्शित किया जा रहा है जो दर्शकों और खासतौर पर बच्चों को आकर्षित कर रहा है। बसोहली चित्रकारी का विकास जम्मू-कश्मीर में 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच हुआ और इसे यह नाम जम्मू क्षेत्र के बसोहली कस्बे से मिला।
सेना मुख्यालय स्थित संग्रहालय में लगाई गई प्रदर्शनी में पांडुलिपियों, विरासत तस्वीरों, प्राचीन वस्तुओं, उपकरणों, दुर्लभ किताबों और सिक्कों को प्रदर्शित किया गया है। बच्चों और वयस्कों को बसोहली चित्रकारी के बारे में जानकारी भी दी जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले को बसोहली चित्रकारी के लिए भौगोलिक संकेतक (जियोग्राफिकल इंडिकेशन या जीआई टैग) मिला है जिसे 13 अप्रैल को राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मंजूरी दी।
हस्तकला और हथकरघा विभाग के निदेशक विकास गुप्ता ने बताया कि जीआई टैग बसोहली चित्रकारी को प्रोत्साहन देगा, कलाकारों को बेहतर आय में मदद मिलेगी और साथ ही उनकी कला मजबूत ब्रांड के तौर पर उभरेगी। गुप्ता ने कहा, ‘‘विरासत कला को संरक्षित करने की जरूरत है। विभाग उन लोगों को पंजीकृत करेगा जो इस विधा में चित्रकारी करने के इच्छुक हैं और साथ ही एक छत के नीचे सभी सुविधाओं को देने के लिए बसोहली में एकीकृत केंद्र बनाया जाएगा।’’