शिक्षा ही पीढ़ी निर्माण की नींव

किसी भी शहर के विकास में वहां की शिक्षण संस्थाओं का योगदान काफी महत्व रखता है। इंदौर में होलकर वंश तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर वृहद् स्तर पर प्रयास किए। इसका परिणाम है कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत एवं स्वच्छ इंदौर शहर मानक के तौर पर हम सबके सामने है।

शिक्षा व्यवस्था किसी भी समाज, नगर व राष्ट्र के उत्थान की प्राथमिक पायदान होती है। शिक्षा ही पीढ़ियों के निर्माण की नींव होती है। सुनियोजित शिक्षा व्यवस्था प्रगति का प्रतिबिंब मानी जाती है। इंदौर में शिक्षा व्यवस्था प्राचीन काल से ही जागरूक समाज का पैमाना रही है। अतीत के झरोखे से झांकती हुई रोशनी की तपन से कुंदन बने इंदौर में शैक्षणिक प्रयासों की दास्तान बयां करती है, यहां के विकास के प्रारब्ध को। इंदौर में सर्वप्रथम सन 1841 में इंदौर मदरसा स्थापित हुआ। इसके माध्यम से कोशिश की जा रही थी कि इंदौर के विद्यार्थियों का शैक्षणिक उत्थान हो। इंदौर की शैक्षणिक संस्थानों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु अंकुश की यह तीसरी आंख सुधारात्मक रवैया अपनाए।

लेकिन इसको पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाने की वजह से महाराजा तुकोजीराव होलकर (द्वितीय) ने सन 1860 में इंदौर शिक्षा मंडल का निर्माण बक्षी खुमानसिंह की अध्यक्षता में किया। मौलवी मोहम्मद हुसैन तथा गणेश सीताराम शास्त्री इस मंडल के सदस्य मनोनीत किए गए। इसके बाद कीर्तनेजी के नेतृत्व में इंदौर में शैक्षणिक सुधार कार्यक्रम लागू किए गए। इंदौर में पहली बार 1878 में रेसीडेंसी विद्यालय के प्राचार्य मिस्टर मेकॉय के निर्देशन में समस्त विद्यार्थियों की एक प्रतिस्पर्धी परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में संस्कृत व इतिहास में विशेष योग्यता पाने वाले दो छात्रों को 7 व 5 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति दी गई। इस तरह से प्रतिभा चयन व प्रतिभा प्रोत्साहन की यह ऐतिहासिक धरोहर इंदौर के मूल स्वभाव की प्रारम्भिक रूपरेखा बनी। बाद में सन 1927 में इंदौर के राउ में मालवा विद्यापीठ गुरुकुल की स्थापना की गई। जिसके प्रथम प्राचार्य एम.आर.जुल्का बने।

इंटर्नशिप विद मेयर प्रमाण पत्र

चयनित आवेदक के सफलतापूर्वक इंटर्नशिप करने पर उन्हें इस योजना के तहत प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा। इंटर्नशिप विद मेयर योजना के तहत चयनित विद्यार्थियों का पहला बैच 1 मार्च 2023 से चयनित विभाग/हेड्स में प्रशिक्षण भी प्राप्त करेगा। समन्वय इंटर्नशिप विद मेयर योजना में सम्बंधित विभाग के अपर आयुक्त आवश्यक समन्वय करेंगे एवं मार्गदर्शन करेंगे। इंटर्पशिप विद मेयर योजना का निगम स्तर पर समन्वय अपर आयुक्त अभय राजनगावकर करेंगे। उनके अधीनस्थ एक समन्वय टीम गठित की गई है।

इसके संचालक बने राव राजा सर सेठ हुकुमचंद, राज्यभूषण सेठ हीरालाल, मुसाहिबे खास बहादूर सरजूप्रसाद, राज्यभूषण राय साहब कन्हैयालाल भंडारी, राय रतनसेठ जगन्नाथ, मेजर सरदार शिवप्रसाद तथा सरदार एस.वी.चांगण। इतने लब्ध प्रतिष्ठित लोगों के संचालन में निर्मित संस्था इंदौर के शैक्षणिक उत्थान की गम्भीरता को परिलक्षित करती है।

इंदौर की शिक्षा व्यवस्था में समाजों एवं व्यापारिक संस्थानों का भी बड़ा योगदान रहा है। इंदौर के गुजराती समाज, माहेश्वरी समाज, जैन समाज, अग्रवाल समाज, मुस्लिम समाज, सिख समाज और ईसाई समाज ने जहां शिक्षा के उत्थान हेतु अपना योगदान दिया, वहीं यहां के बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों क्लॉथ मार्केट, कसेरा बाजार, सराफा बाजार, लोहा व्यापारी एसोसिएशन इत्यादि ने भी शैक्षणिक तरक्की के महायज्ञ में अपनी अर्थ आहुतियां डालकर उन्नत समाज की समिधाएं जुटाई हैं।

निष्कर्ष रूप में इंदौर में शिक्षा व्यवस्था को प्राचीन समय से लगाकर वर्तमान तक उन्नत बनाने हेतु खूब प्रयास व प्रयोग किये गए हैं। इस शहर का मिजाज ही शैक्षणिक उत्थान से समाज उत्थान को पसंद करने वाला रहा है। इंदौर यदि मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी बन पाई है तो इसके पृष्ठ में यहां की शिक्षा व्यवस्था के दृढ़ स्वरूप एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के इरादों की मजबूत आधारशिला रखी हुई है। इंदौर अतीत से वर्तमान तक उत्तरोत्तर प्रगति की ओर तभी बढ़ पाया है, जब शैक्षणिक प्रगति की इसने दुदुम्भी बजाई। माता अहिल्या ने यहां जिस तरह से नारी शिक्षा को राज्य की तरक्की का आधार माना वैसे ही अन्य संस्थानों ने शिक्षा से विकास को बलवती बनाकर यहां खूब उन्नति की राह आसान बनाई है।

– प्रो. डॉ. श्याम सुन्दर पलोड

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