कर्तृत्व, नेतृत्व व मातृत्व का आदर्श

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नारी विमर्श से ही सनातन संस्कृति की भारतीय परम्परा को मजबूत करना है। नारी ही समाज, परिवार व राष्ट्र की आधारशिला है। जिसका एक उदाहरण जीजाबाई के मातृत्व, अहिल्याबाई के कर्तृत्व तथा लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में मिलता है।

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

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डॉ. मदन गोपाल वार्ष्णेय जी द्वारा लिखित और हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन समारोह पुणे में संपन्न हुआ. रा. स्व. संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर पूर्व वाइस चांसलर जीबी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक प्राध्यापक नाना साहेब जाधव, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमोल पेडणेकर और डॉ. प्रवीण दबडघाव आदि उपस्थित थे।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

तेईसवीं शताब्दी में एक दिन

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Happy Man in Bed
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उठो आज ऑफिस नहीं जाना है क्या? माधुरी रमन को झिंझोड़ कर उठा रही थी। अब तक वह उसे तीन बार उठा चुकी थी पर हर बार रमन चादर में मुंह घुसा कर सो जाता था।

वरदान न बने अभिशाप

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तकनीक या विज्ञान जितनी प्रगति कर रहा है उतना ही यह प्रश्न सुरसा की तरह मुंह फैला रहा है कि इसे वरदान कहें या अभिशाप? हालांकि मशीनी युग में भी मानवीय संवेदनाएं ही इसका सही उत्तर देंगी कि मानव के लिए क्या सही है और क्या गलत।

शिक्षा संस्थानों की मनमानी शिक्षकों की कमी

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भारत में स्कूली शिक्षकों की नितांत कमी है। ऐसे में निजी विद्यालयों के प्रबंधक कम मानक के शिक्षकों को रखकर, शिक्षा की गुणवत्ता की बजाय अपनी तिजोरी भरने की भावना के तहत कार्य कर रहे हैं। इस पर रोक लगाना आवश्यक है।

जिजामाता : स्वराज्य जननी कैसे बनी राजमाता

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अपनी गर्भावस्था में जीजाबाई शिवनेरी के दुर्ग में थीं । उन्होंने रामायण और महाभारत के युद्धों की कथाएँ सुनना आरंभ कीं । ताकि गर्भस्थ बालक पर वीरता के संस्कार पड़े। जीजाबाई ने महाभारत युद्ध के उन प्रसंगों को अधिक सुना जिनमें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की रणनीति से अर्जुन को सफलता मिली । अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान जीजाबाई रामायण और महाभारत युद्ध की घटनाओं के श्रवण, चिंतन और, मनन पर केंद्रित रही। समय के साथ 19 फरवरी 1630 को शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। और उनके जीवन में यदि श्रीराम का आदर्श था तो युद्ध शैली योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण सी रणनीति भी ।

हल्के से बदलाव पर हंगामा

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देश की शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है तो जाहिर सी बात है कि किताबों में भी कुछ बदलाव अवश्य होंगे। कुछ लोग राजनीतिक ईर्ष्यावश विरोध कर रहे हैं, जबकि शिक्षाविद् इसे सही कदम बता रहे हैं। इसलिए इस तरह के विरोधों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। सिलेबस…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का सोमवार 8 मई को नागपुर स्थित डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में स्थित महर्षि व्यास सभागार में शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ के सह सरकार्यवाह तथा इस वर्ग के पालक अधिकारी श्री रामदत्त जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन…

शिक्षा ही पीढ़ी निर्माण की नींव

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किसी भी शहर के विकास में वहां की शिक्षण संस्थाओं का योगदान काफी महत्व रखता है। इंदौर में होलकर वंश तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर वृहद् स्तर पर प्रयास किए। इसका परिणाम है कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत एवं स्वच्छ इंदौर शहर मानक के तौर पर…

सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जले…- सुनील वेदपाठक

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दिव्यांग कल्याणकारी  शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र द्वारा दिव्यांग बच्चों और परिसर के सभी सामान्य बच्चों के लिए 15 अप्रैल से 30 अप्रैल को आयोजित किये गए एकीकृत संस्कार वर्ग का समापन समारोह दिनांक 30/4/2023 को सायंकाल 5.30 बजे संपन्न हुआ। यह आयोजन विगत 25 वर्षों से क्षेत्र में…

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