तेईसवीं शताब्दी में एक दिन

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उठो आज ऑफिस नहीं जाना है क्या? माधुरी रमन को झिंझोड़ कर उठा रही थी। अब तक वह उसे तीन बार उठा चुकी थी पर हर बार रमन चादर में मुंह घुसा कर सो जाता था।

वरदान न बने अभिशाप

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तकनीक या विज्ञान जितनी प्रगति कर रहा है उतना ही यह प्रश्न सुरसा की तरह मुंह फैला रहा है कि इसे वरदान कहें या अभिशाप? हालांकि मशीनी युग में भी मानवीय संवेदनाएं ही इसका सही उत्तर देंगी कि मानव के लिए क्या सही है और क्या गलत।

शिक्षा संस्थानों की मनमानी शिक्षकों की कमी

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भारत में स्कूली शिक्षकों की नितांत कमी है। ऐसे में निजी विद्यालयों के प्रबंधक कम मानक के शिक्षकों को रखकर, शिक्षा की गुणवत्ता की बजाय अपनी तिजोरी भरने की भावना के तहत कार्य कर रहे हैं। इस पर रोक लगाना आवश्यक है।

जिजामाता : स्वराज्य जननी कैसे बनी राजमाता

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अपनी गर्भावस्था में जीजाबाई शिवनेरी के दुर्ग में थीं । उन्होंने रामायण और महाभारत के युद्धों की कथाएँ सुनना आरंभ कीं । ताकि गर्भस्थ बालक पर वीरता के संस्कार पड़े। जीजाबाई ने महाभारत युद्ध के उन प्रसंगों को अधिक सुना जिनमें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की रणनीति से अर्जुन को सफलता मिली । अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान जीजाबाई रामायण और महाभारत युद्ध की घटनाओं के श्रवण, चिंतन और, मनन पर केंद्रित रही। समय के साथ 19 फरवरी 1630 को शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। और उनके जीवन में यदि श्रीराम का आदर्श था तो युद्ध शैली योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण सी रणनीति भी ।

हल्के से बदलाव पर हंगामा

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देश की शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है तो जाहिर सी बात है कि किताबों में भी कुछ बदलाव अवश्य होंगे। कुछ लोग राजनीतिक ईर्ष्यावश विरोध कर रहे हैं, जबकि शिक्षाविद् इसे सही कदम बता रहे हैं। इसलिए इस तरह के विरोधों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। सिलेबस…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का सोमवार 8 मई को नागपुर स्थित डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में स्थित महर्षि व्यास सभागार में शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ के सह सरकार्यवाह तथा इस वर्ग के पालक अधिकारी श्री रामदत्त जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन…

शिक्षा ही पीढ़ी निर्माण की नींव

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किसी भी शहर के विकास में वहां की शिक्षण संस्थाओं का योगदान काफी महत्व रखता है। इंदौर में होलकर वंश तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर वृहद् स्तर पर प्रयास किए। इसका परिणाम है कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत एवं स्वच्छ इंदौर शहर मानक के तौर पर…

सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जले…- सुनील वेदपाठक

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दिव्यांग कल्याणकारी  शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र द्वारा दिव्यांग बच्चों और परिसर के सभी सामान्य बच्चों के लिए 15 अप्रैल से 30 अप्रैल को आयोजित किये गए एकीकृत संस्कार वर्ग का समापन समारोह दिनांक 30/4/2023 को सायंकाल 5.30 बजे संपन्न हुआ। यह आयोजन विगत 25 वर्षों से क्षेत्र में…

तपस्वी शिक्षाविद महात्मा हंसराज

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भारत के शैक्षिक जगत में डी.ए.वी. विद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। विद्यालयों की इस शृंखला के संस्थापक हंसराज जी का जन्म महान संगीतकार बैजू बावरा के जन्म से धन्य हुए ग्राम बैजवाड़ा (जिला होशियारपुर, पंजाब) में 19 अप्रैल, 1864 को हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनके मन में…

दिव्यांग शिक्षण संस्था द्वारा १५ दिवसीय संस्कार वर्ग का आयोजन

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दिव्यांग शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्कुल की छुट्टियों में १५ दिवसीय संस्कार वर्ग का आयोजन किया गया है. जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र उपस्थित रहकर संस्कारों की शिक्षा ग्रहण करेंगे. विगत २५ वर्षों से इस वर्ग का आयोजन किया…

सच्चा इतिहास युवा पीढ़ी को बनाएगा जिज्ञासु विज्ञानी

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) द्वारा दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं की पुस्तकों में कतिपय संशोधन किए गए हैं। इन पुस्तकों में बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम बनाए जाते हैं। विषय विशेषज्ञों की समिति विचार करती है। अन्य विषय की पुस्तकों में भी संशोधन हुए हैं। लेकिन इतिहास की…

समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले

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महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दराव फूलों की खेती से जीवनयापन करते थे। इस कारण इनका परिवार फुले कहलाता था। महाराष्ट्र में उन दिनों छुआछूत की बीमारी चरम पर थी। अछूत जाति के लोगों को अपने चलने से अपवित्र हुई…

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