चिकित्सा-शिक्षा में गुणवत्ता की कमी
अपने बच्चों को हरहाल में मेडिकल और आर्इटी कॉलेजों में प्रवेश की यह महत्वाकांक्षा रखने वाले पालक यही तरीका अपनाते हैं। देश के सरकारी कॉलेजों की एक साल की शुल्क महज 4 लाख है, जबकि निजी विश्व-विद्यालय और महाविद्यालयों में यही शुल्क 64 लाख है। यही धांधली एनआरआर्इ और अल्पसंख्यक कोटे के छात्रों के साथ बरती जा रही है। एमडी में प्रवेश के लिए निजी संस्थानों में जो प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र और अनुदान आधारित सीटें हैं, उनमें प्रवेश शुल्क की राशि 2 करोड़ से 5 करोड़ है। बावजूद सामान्य प्रतिभाशाली छात्र के लिए एमएमबीबीएस परीक्षा कठिन बनी हुर्इ है।