कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम का संदेश

कर्नाटक चुनाव परिणाम आ चुके हैं। विश्व के सर्वाधिक सम्मानित और लोकप्रिय नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा खुद को चुनाव में झोंक देने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक चुनाव में लगभग धराशायी हो गई। इसका अर्थ क्या हैं? क्या भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से कर्नाटक की जनता का मोहभंग हो गया है? क्या राज्य सरकार के नेतृत्व पर कर्नाटक का भरोसा टूट गया है अथवा घट गया है? क्या जैसा कि कुछ राजनीतिक पंडितों ने टिप्पणी की है, भाजपा के लिए दक्षिण भारत के द्वार बंद हो गए हैं? क्या यह कर्नाटक में भाजपा की राज्य सरकार की नाकामी के प्रति जनता का गुस्सा है? अथवा क्या यह आज की कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा गांधी की आरएसएस और भाजपा की विचारधारा खिलाफ घोषित लड़ाई के प्रति जनता का समर्थन है? क्या यह कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का परिणाम है? या फिर कर्नाटक के चुनाव परिणाम राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं?
इस प्रकार के अनेकानेक प्रश्न 2024 में लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने तक देश के राजनीतिक परिदृश्य पर उतराते रहेंगे। अन्यान्य विशेषज्ञ उनके उत्तर तलाशते रहेंगे।  लेख आदि भी लिखे जाते रहेंगे। आज जब विश्व के प्रमुखतम शक्तिशाली देश दुनिया में व्याप्त विभिन्न दुश्वारियों के निदान के लिए, संकटों के समाधान के लिए,  समरस और समृद्ध दुनिया के निर्माण के लिए, दुनिया में शांति और सुकुन के लिए भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे है, ऐसे समय भारत की प्रखर राष्ट्रवाद की विचारधारा पर कोई भी आघात दुनिया को भयावह संकट की ओर धकेल सकता है। क्योंकि भारत का प्रखर राष्ट्रवाद मानव धर्म या पश्चिम की शब्दावली में कहें तो मानवाधिकारों की पुख्ता नींव पर अधिष्ठित है।
आज जो दुनिया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व की मुरीद बन रही है, उसका कारण है भारतीय ज्ञान, विज्ञान, विचार, दर्शन, संस्कृति, परम्परा एवं दृष्टिकोण आदि के अनुरूप मोदी जी का आचरण, व्यवहार एवं विचारों का प्रकटीकरण।सही अर्थों में आज भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी सनातन भारत के प्रतीक रूप में देखे जाने लगे हैं। भारत की ताकत मोदी जी की ताकत बन गई है और मोदी जी की ताकत भारत की ताकत बन गई है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का यह पुनीत कर्तव्य बन जाता है कि मोदी जी को यूँ ही खर्च न कर दें। विशेष रूप से राज्यों के चुनाव जीतने के लिए भाजपा को प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व की लालसा रखने का लोभ संवरण करना ही श्रेयस्कर होगा। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की पराजय के बाद कर्नाटक चुनाव परिणाम इसी दिशा की ओर इंगित कर रहे हैं।

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