जल संकट से कब मिलेगी मुक्ति?

पालघर जिला अपनी खुबसूरत छटा के लिए तो प्रसिद्ध है ही, धार्मिक स्तर पर भी इस जिले की काफी मान्यता है। यह जिला जल संकट का सामना कर रहा है। साथ ही, वृक्षों की अनियमित कटाई के कारण पर्यावरण पर खतरा मंडराने लगा है।

वसई-विरार शहर मनपा क्षेत्र की जनसंख्या अनुमानित 30 लाख के आसपास पहुंच गयी है। इसका कारण यहां की झुग्गी झोपड़ियां या फिर  बेहिसाब अवैध इमारतें जो रहन-सहन के हिसाब से मुंबई की अपेक्षा सस्ती व कम किराया होने की वजह से लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

देशभर के हर प्रांत के लोगों की उपस्थिति में यहां सर्वाधिक जनसंख्या उ.भारतीय व बिहार प्रांत के लोगों की है, जो अब मुंबई ना जाकर यहीं रोजी रोटी के जुगाड़ में रच बस गये हैं। जनसंख्या की हिसाब से यहां मूलभूत सुविधाओं का हमेशा ही अभाव रहा है। इन सभी अभावों के बावजूद लोगों का बसना बंद नहीं हुआ है, अभी भी नये ठिकाने तलाशकर लोगों के बसने- बसाने की प्रक्रिया शुरू है।

महानगरपालिका द्वारा सड़क, चिकित्सा, नाली, साफ सफाई जैसे कार्यों को ठेका पद्धति के हिसाब से संचालित कर अपना दायित्व निर्वहन कर रही है। पर एक ऐसा संकट जो हमेशा से जनमानस के बीच में रहा हैं वह है जलसंकट का। पिछले 25/30 वर्षों से अगर इन शहरों पर नजर डालें तो तीन दशक के बाद भी आज तक नागरिकों को पानी की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सिडको इमारत के लिए मनपा का पानी तो उपलब्ध है पर, झुग्गियों व लोड बेयरिंग इमारतों को टैंकर के पानी के भरोसे ही रहना पड़ता है। इसका कारण मनपा में फैले भ्रष्टाचार के कारण अवैध नल कनेक्शन का होना है।

मनपा का अपना अंदाजे बयां

इस वर्ष सबसे ज्यादा गृहकर, घरपट्टी वसूलने के बाद भी मनपा नागरिकों को पानी देने अक्षम है। मनपा अधिकारियों के अनुसार मनपा क्षेत्र में कुल 58 हजार नल कनेक्शन वैध रूप से लगे हैं। जलापूर्ति करने के लिए वसई विरार शहर को फिलहाल 372 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। लेकिन मनपा के पास फिलहाल महज 230 एमएलडी पानी है, नई परियोजना से मनपा को 165 एमएलडी अतिरिक्त पानी मई माह तक मिलने की सम्भावना है, जिसके बाद यहां से पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

मनपा जलापूर्ति विभाग के अनुसार एमएमआरडीए द्वारा एमबीआर बनाने का काम किया जा रहा है। इस नई परियोजना से मनपा को 165 एमएलडी अतिरिक्त पानी मिलना है। वसई विरार क्षेत्र के सभी इलाकों तक पानी पहुंचाने के लिए वसई विरार मनपा मुख्य जलवाहिनी बिछाने का कार्य कर रही है। यह कार्य भी मई माह तक पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है।

जल जीवन मिशन योजना पालघर में अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। अधिकारियों के सुस्त रवैये और ठेकेदारों की धीमी गति से काम करने के चलते जल जीवन मिशन योजना का लाभ पालघर के आदिवासियों को समय से मिलता नहीं दिख रहा है। ग्रामीणों ने अंदेशा जताया कि निकम्मे अधिकारियों की काली करतूतों की वजह से कहीं पहले की तरह यह पेयजल योजना भी दम न तोड़ दे। वहीं 2024 तक हर घर में जल देने की जिम्मेदारी विभाग के पास है, लेकिन अब तक आधा कार्य भी पूरा होते नहीं दिख रहा, जिससे इतने कम समय में जल जीवन मिशन योजना को पूरा करना सम्भव नजर नहीं आ रहा है। जिले के सैकड़ों गांवों में जल संकट के हालात हैं।

वॉटर लेवल डाउन होने के कारण मार्च से ही कई इलाकों में पीने की पानी की समस्या होने लगी है, और आदिवासी पेयजल के लिए 2 से 3 किमी तक भटकने को मजबूर हैं। पालघर जिले के 564 गांवों में जलजीवन मिशन योजना के तहत कार्यों की मंजूरी दी गई है। इनमें से 540 काम शुरू हो चुके हैं। लेकिन सुस्ती के चलते योजना का आधा भी काम भी पूरा नहीं हो सका है। जिससे यहां योजना दम तोड़ती दिख रही है। पिछले 6 माह में योजना के तहत 50 फीसदी भी कोई काम पूरा नहीं होने के दावे किए जा रहे है। और 24 गांवों में तो अभी तक काम तक शुरू नहीं हो सका है। योजना के तहत बड़ी-बड़ी पानी की टांकियों का निर्माण किया जा रहा है। कहा जा रहा है, कि इनमें से एक भी कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है।

जबकि योजना को पूरा करने की समय सीमा छः माह, आठ माह और कुछ कार्यों के लिए एक वर्ष है। हालांकि, सभी कार्यों की वर्तमान गति को देखते हुए, ग्रामीणों के अनुसार मानसून से पहले आधे काम भी पूरे नहीं होंगे।

क्या है जल जीवन मिशन योजना

शहरों की तरह ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन की 2019 में शुरुआत की थी। योजना के तहत गांवों में ओवर हेड टैंक का निर्माण कराकर घरों तक पाइप लाइन बिछाकर नल से सीधे जल पहुंचाना था। इस योजना के तहत प्रति व्यक्ति प्रति दिन 85 लीटर पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में हो रहे कार्यों को हर हाल में मार्च 2024 से पहले पूरा कर लेना है लेकिन जिस तरह से संस्थाएं काम कर रही हैं ऐसा नहीं लग रहा कि समय से चयनित गांवों में लोगों को नल से जल मिल पाएगा।

– प्रेम चौबे

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