विकसित होने की राह पर पनवेल – परेश ठाकूर

                                                                                                परेश ठाकूर पूर्व सभागृह नेता, पनवेल महानगरपालिका

अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए परेश ठाकुर महानगरपालिका क्षेत्र के जन सामान्य लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए प्रयासरत हैं। उनके भविष्योन्मुखी कार्यों की चर्चा चहुंओर है। हिंदी विवेक के साथ बातचीत में उन्होंने सभी आवश्यक विषयों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

अपनी अब तक की राजनीतिक यात्रा के विषय में बताएं।

1998 से मैं सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हूं। 2001 में विद्यार्थी सेवा संस्था की स्थापना की। 2004 तक उसके मुख्य सचेतक के तौर पर कार्य किया। उसके उपरांत 2011 तक कांगे्रस का पनवेल शहर युवामोर्चा अध्यक्ष रहा। युवाओं की ऊर्जा के समाज के प्रति सकारात्मक हित हेतु मैंने राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों के माध्यम से लगातार कार्य किया। मैं युवाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर विशेष जोर देता रहा हूं। 2014 में भाजपा ज्वाइन करने के बाद से ही रामशेठ ठाकुर सामाजिक विकास मंडल एवं रामशेठ ठाकुर इंटरनेशनल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से हेल्थ कैम्प और मल्हार महोत्सव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से जनसेवा में कार्यरत रहा। मेरे सामाजिक कार्यों से प्रभावित होकर पार्टी ने 2017 में मुझे पनवेल महानगरपालिका का टिकट दिया, जहां मैंने 68% से ज्यादा वोट प्राप्त किए। पार्टी ने मुझे सभागृह नेता बनाया। पिछले साल सभा विसर्जित होने के बावजूद मैं बिजली, पानी जैसे सामाजिक मुद्दों को लेकर संघर्षरत हूं।

 एक बड़े राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने का कितना दबाव आप अपने ऊपर महसूस करते हैं?

पनवेल और उसके आसपास के क्षेत्र को विकसित करने एवं जन सामान्य को सुलभ शिक्षा दिलाने के लिए कार्यसम्राट रामशेठ ठाकुर एवं विधायक प्रशांत ठाकुर का योगदान अतुलनीय है। उनका विजन व्यापक है और उन्होंने भविष्य के विकास एवं चुनौतियों को ध्यान में रखकर कार्य किए हैं। प्रशांत ठाकुर आमलोगों के बीच अपनत्व का भाव जगाते हैं। इतने लम्बे राजनीतिक जीवन में उन दोनों पर कोई दाग नहीं है। ठीक वही अपेक्षा मुझसे है, जिसे पूरा करने हेतु मैं सदैव प्रयासरत रहता हूं। इस विरासत को सम्भाले रखने का भाव तो रहता ही है।

 नगरसेवक और सदन के नेता के तौर पर आपके द्वारा इम्प्लीमेंट किए गए कार्यों के बारे में बताएं?

2016 में महानगरपालिका बनने के बाद मई 2017 में चुनाव हुए, जिसमें हम भारी बहुमत से जीतकर आए। उसके पश्चात् विधायक प्रशांत ठाकुर की अगुवाई में भाजपा ने पनवेल के विकास हेतु शिक्षा, आरोग्य, पानी तथा विनिर्माण को मजबूत करने पर जोर दिया। रायगड जिला परिषद से ठीक सहयोग न मिल पाने के कारण विद्यालयों को मनवांछित विकास नहीं दे पाए, परंतु आरोग्य केंद्रों की संख्या चार से बढ़कर सोलह हो चुकी है। मोबाइल हॉस्पिटल शुरू करने तथा स्पेश्यलिस्ट डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। पनवेल और आसपास के लोगों की सुविधा के लिए तीन सौ बिस्तरों वाला ‘माता-बाल संगोपन केंद्र’ आरम्भ कर रहे हैं। विद्यालयों के डिजिटलीकरण का कार्य जोरों पर है। यदि भविष्य में रायगड जिला परिषद के विद्यालय हमें मिल जाते हैं तो हम सीबीएसई स्कूल भी शुरू कर सकते हैं। हमें विद्यालयों के प्रशासन से भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। हम भविष्य में लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयासरत हैं।

 मोबाइल हॉस्पिटल की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?

पनवेल महानगरपालिका का अधिकार क्षेत्र एक सौ दस वर्ग किलोमीटर का है। उसमें कुछ दुर्गम आदिवासी भाग भी हैं। बरसात के दिनों में वहां के लोगों का इलाज के लिए अन्य स्थानों पर आना कठिन हो जाता है। इसलिए यह सेवा शुरू की जा रही है। वर्तमान जनसंख्या के अनुपात में हम दो हजार से अधिक कर्मचारी नहीं बढ़ा सकते। लेकिन जल्दी ही यह सेवा शुरू हो जाएगी।

पनवेल मनपा स्कूलों में डिजिटल बोर्ड शुरू करने वाली पहली मनपा बन गई है। इसे कैसे अमल में लाया गया?

आधुनिक युग में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाने हेतु डिजिटल बोर्ड शुरू करना आवश्यक था। डिजिटल क्रांति से हम परिचित हैं और इंटरनेट, यूट्यूब के लाभ को देखते हुए हमने इसकी पहल की क्योंकि यदि किसी भी दृश्य को आंखों से देखते हैं तो वह हमें अच्छे से समझ में आती है और लम्बे समय तक याद भी रहती है। इससे छात्रों की आकलन शक्ति और सोचने का दायरा निश्चित रूप से बढ़ेगा। हर छात्र के हाथ में टैब देना कितना सही और कितना गलत है? इस पर विचार करना चाहिए। इसके विकल्प के तौर पर यदि डिजिटल बोर्ड पर सिखाया जाए तो मुझे लगता है यह अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसका हमने सफल प्रयोग किया। पनवेल मनपा में डिजिटल बोर्ड की सुविधा के लिए विधायक प्रशांत ठाकुर और एड. प्रकाश बिनेदार से आग्रह किया। हमारा सौभाग्य है कि मनपा के आयुक्त भी बड़ी सोच रखते हैं। उन्होंने ने हमारे प्रस्ताव का समर्थन किया और डिजिटल स्कूल करने हेतु आगे बढ़े। साथ ही, शिक्षा के प्रति जन रुझान एवं सहयोग के चलते ही स्कूलों का डिजिटलाइजेशन का कार्य जल्दी पूरा हो पाया।

 कलम्बोली और अन्य क्षेत्रों में होनेवाले अवैध निर्माण को रोकने हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

पनवेल मनपा समय-समय पर अवैध निर्माण रोकने के लिए उचित कार्रवाई करती रही है। कर्मचारियों की कमी से बीच-बीच में थोड़ी रूकावट आ जाती है। जल्दी ही इसको आगे बढ़ाया जाएगा क्योंकि अवैध निर्माण शहर के विकास में अवरोधक होते हैं।

पूर्व सैनिकों एवं उनकी विधवाओं की प्रोपर्टी टैक्स में छूट की मांगों पर क्या कदम उठाया गया है?

हम इस विषय पर विचार कर ही रहे थे, इसी बीच हमें पता चला कि राज्य सरकार ने इनके लिए नियम बनाए हुए हैं। इसे लागू करने हेतु हमने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था, जिसमें सफलता मिली है। सामान्य कर में हमने 100 प्रतिशत छूट दी है। टोटल टैक्स में उन्हें लगभग 50 प्रतिशत छूट का लाभ मिल रहा है। आगे उनका टैक्स पूरी तरह से माफ हो, इसके लिए भी हम प्रयासरत हैं।

 शहर के विकास और पर्यावरण संतुलन में आप कैसे सामंजस्य बना रहे हैं?

पनवेल शहर का विकास पर्यावरण संतुलन के अनुरूप ही किया जा रहा है। हम पार्कों का सौंदर्यीकरण कर नागरिकों को पर्यावरण के प्रति आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। महाराष्ट्र में सबसे बड़े डेंस फारेस्ट का कार्य पनवेल में किया जा रहा है। रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम सभी सोसायटियों में अच्छे से संचालित है या नहीं, इसकी भी हम समीक्षा करते हैं। जल संरक्षण-संवर्धन, जमीन का जल स्तर बढ़ाने भी काम हो रहा है। गोचरण भूमि को विकसित करने, तालाब, बोरवेल, जलाशय, कुएं, आदि के संरक्षण-संवर्धन का कार्य भी किया जा रहा है।

 बारिश के दौरान होनेवाले जलजमाव से निपटने हेतु क्या नियोजन किया गया है?

जब मैं चुनकर आया, मिरैकल हाउसिंग सोसायटी सबसे सोसायटी थी, जिसमें 120 प्लाट हैं। यहां का गटर सिस्टम नया बनाया। बावन बंगला सोसायटी का काम पूरा हो चुका है। शहर में कुछ नए नाले बनाए गए हैं। पुराने गटर-नालों की साफ-सफाई नियमित रूप से की जाती है। 2018-19 में गाढ़ी नदी का पानी पनवेल में घुस गया था, इससे बचाव के लिए हमने 3 किलोमीटर लम्बी रिटर्निंग वॉल का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बड़े पम्प हाउस हों ताकि पनवेल के पुराने कोर्ट के आसपास के क्षेत्र में पानी न घुसे। उसमें ऑटोेमैटिक बांध की भांति दरवाजे हों जो लो टाइड में खुलें तथा हाई टाइड के टाईम में बंद रहें। लगभग 130-150 करोड़ के काम का यह प्रस्ताव परमिशन के लिए अटका पड़ा है। इस पर 3 साल से काम चल रहा है।

 मनपा समिति भंग होने के कारण किस प्रकार की परेशानी सामने आ रही है?

हमारे आयुक्त गणेश देशमुख के काम करने का तरीका बहुत अच्छा है। वे लोक प्रतिनधि के महत्व को जानते हैं। इसलिए उनके कारण हमें कभी ऐसा महसूस नहीं होता कि हम लोक प्रतिनिधि नहीं हैं। या फिर ये हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। मनपा के सभी पदाधिकारियों से हमारा अच्छा समन्वय है। उनके सहयोग से जनता के कार्य में कोई बाधा नहीं पहुंच रही है। पनवेल मनपा की सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों की कमी है, जिसे बढ़ाने से मनपा के काम करने की गति दोगुनी से ज्यादा हो जाएगी।

 देश के सभी मनपा में भ्रष्टाचार देखा जाता है। पनवेल में इसके नियंत्रण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

यह सरकारी स्तर पर देखने में आता है। इतना तो हम गर्व से बोल सकते हैं कि हमारे नेता ही यह बोलते हैं कि ‘न खुद खाऊंगा, न किसी को खाने दूंगा’। इस कारण और विधायक प्रशांत ठाकुर की सीख और सहयोग के कारण हम इसे यहां भी लागू कर सके हैं।  इसलिए लोग यहां पर काफी खुश हैं। यहां काफी हद तक भ्रष्टाचार कम हुआ है। नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं का स्तर बढ़ा है।

 

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